देश को ऐसे समय में ''खामोश'' राष्ट्रपति नहीं चाहिए जब यहां अशांति का वातावरण है: सिन्हा

Edited By PTI News Agency,Updated: 01 Jul, 2022 11:24 PM

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रायपुर, एक जुलाई (भाषा) राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने शुक्रवार को कहा कि देश को ऐसे समय में ''खामोश'' राष्ट्रपति नहीं चाहिए जब यहां अशांति का वातावरण है और एक विचारधारा समाज को सांप्रदायिक रेखाओं के आधार पर बांटकर...

रायपुर, एक जुलाई (भाषा) राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने शुक्रवार को कहा कि देश को ऐसे समय में 'खामोश' राष्ट्रपति नहीं चाहिए जब यहां अशांति का वातावरण है और एक विचारधारा समाज को सांप्रदायिक रेखाओं के आधार पर बांटकर रखना चाहती है।
सिन्हा ने यह भी कहा कि यह सिर्फ संख्या बल की नहीं बल्कि विचारधारा की लड़ाई है। हम उस विचारधारा के खिलाफ खड़े हैं, जो इस देश को रसातल की ओर ले जा रही है।
राजधानी रायपुर में शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ''राष्ट्रपति पद की एक गरिमा होती है। अच्छा होता यदि चुनाव नहीं होता, सर्वसम्मति से होता तब ठीक रहता। सत्ता पक्ष को पहल करनी चाहिए थी। यह जिम्मेदारी उनकी थी।'' उन्होंने कहा, ''संविधान में राष्ट्रपति के कुछ कर्तव्य निर्धारित हैं। कुछ ने इस पद की शोभा बढ़ाई है, वहीं कभी-कभी खामोश राष्ट्रपति आए हैं। उन्हें जो जिम्मेदारी निभानी चाहिए थी, उसमें वे सफल नहीं हो सके। अभी देश की स्थिति विकट है। चारों तरफ समाज में अशांति का वातावरण है। इसके मूल में एक विचारधारा है जो समाज को सांप्रदायिक रेखाओं के अनुसार बांटकर रखना चाहती है।'' सिन्हा ने कहा, ''यदि कोई सरकार इन प्रवृत्तियों को बढ़ावा देती है तब मुश्किल पैदा होती है। आज हमें खामोश राष्ट्रपति नहीं चाहिए। आवश्यकता इस बात की है कि ऐसा व्यक्ति राष्ट्रपति बने, जो अपने संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन करे। एक अधिकार राष्ट्रपति का है कि वह सरकार को सलाह दे सकते हैं। यदि वह प्रधानमंत्री के हाथ की कठपुतली है, तो वह ऐसा नहीं करेगा।'' राष्ट्रपति चुनाव को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में सिन्हा ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा और कहा, ''यह सिर्फ संख्या बल की नहीं विचारधारा की लड़ाई है। हम उस विचारधारा के खिलाफ खड़े हैं, जो इस देश को रसातल की ओर ले जा रही है। जो लोग सत्ता में बैठे हैं वह सहमति में नहीं टकराव की राजनीति में विश्वास करते हैं। महाराष्ट्र में जो कुछ हुआ क्या वह हमारे प्रजातंत्र की महत्ता को ऊपर उठाता है या नीचे गिराता है। यह सत्ता की भूख है, जो घातक है।'' विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सिन्हा ने कहा, ''एक तरफ संविधान और उसके मूल्यों की रक्षा करने वाली विचारधारा है और दूसरी ओर संविधान से खिलवाड़ करने वाली और संवैधानिक मूल्यों को नष्ट करने वाली विचारधारा है।'' उन्होंने कहा कि यह चिंता का विषय है कि राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है।
सिन्हा ने कहा, ''मै भी सरकार में रहा हूं। कभी भी मेरे दिल में दूर दूर तक ख्याल नहीं आया कि राजनीतिक प्रतिद्वंदी के खिलाफ सरकारी एजेंसियों का इस्तेमाल करें। आज सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग का नंगा नाच हो रहा है। यह अत्यंत चिंता का विषय है कि राजनीति में अपने प्रतिद्वंदियों को दबाने के लिए सरकारी एजेंसी का उपयोग कर रहे हैं, इससे निकृष्ठ काम दूसरा कुछ नहीं हो सकता है।'' उन्होंने कहा, ''कुछ लोग पहले मेरे समर्थन में दिखे और आज नहीं दिख रहे हैं, शायद उसके पीछे भी यही कारण है।'' संवाददाता सम्मेलन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद थे।

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