जानवर भी बदल सकते हैं आपका भाग्य और देंगे इच्छित वर

Edited By ,Updated: 21 May, 2015 09:40 AM

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सनातन धर्म वेदों व पुराणों पर आधारित अति प्राचीन धर्म है। इसमें तैंतीस कोटि देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। वैदिक धर्म में 'अज एकपाद' व 'अहितर्बुध्न्य' देवताओं की परिकल्पना पशुरूप में की गई। मरुतों की माता 'चितकबरी गाय' के रूप में पूजी जाती है।

सनातन धर्म वेदों व पुराणों पर आधारित अति प्राचीन धर्म है। इसमें तैंतीस कोटि देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। वैदिक धर्म में 'अज एकपाद' व 'अहितर्बुध्न्य' देवताओं की परिकल्पना पशुरूप में की गई। मरुतों की माता 'चितकबरी गाय' के रूप में पूजी जाती है। इंद्र को 'वृषभ' रूप व सूर्य को 'अश्व' रूप माना जाता है। सनातन धर्म के मुताबिक मनुष्य में ही नहीं, बल्कि हर पशु व पेड़-पौधे, यानि कि हर जीव में आत्मा होती है। धार्मिक शास्त्रों में देवी-देवताओं का ही नहीं जानवरों के पूजने का भी विधान है। यहां तक के भगवान शंकर को पशुपतिनाथ भी कहा गया है ।

गाय: जो व्यक्ति प्रतिदिन भोजन से पहले गौ माता को ग्रास अर्पित करता है, वह विजय व ऐश्वर्य को प्राप्त कर लेता है। जो व्यक्ति प्रात:काल मे नित्य गौ दर्शन करता है, उसकी कभी भी अकाल मृत्यु नहीं होती है, यह बात महाभारत में बहुत ही प्रामाणिकता के साथ कही गई है। गाय में तैंतीस कोटि देवी-देवताओं का वास है। गौ सेवा से 108 मंदिरों के निर्माण करने के बराबर फल प्राप्त होता है।
 
बैल: शिवजी का वाहन नंदी पुरुषार्थ अर्थात परिश्रम का प्रतीक है। नंदी का एक संदेश यह भी है कि जिस तरह वह भगवान शिव का वाहन है। ठीक उसी तरह हमारा शरीर आत्मा का वाहन है। जैसे नंदी की दृष्टि शिव की ओर होती है, उसी तरह हमारी दृष्टि भी आत्मा की ओर होनी चाहिए। भगवान शिव का वरदान है कि जहां पर नंदी का निवास होगा वहां उनका भी निवास होगा। तभी से हर शिव मंदिर में शिव जी के सामने नंदी की स्थापना की जाती है।
 
श्वान: श्वान को भैरवजी का वाहन माना जाता है। यद्यपि श्वान को घर में प्रवेश वर्जित कहा गया है, परंतु रसोई में बनने वाले भोजन में से श्वान हेतु अंतिम अंश आवश्यक रूप से निकालने का विधान है। जब मृत शरीर को अन्तेष्टि हेतु श्मशान ले जाया जाता है तब श्वानों को परिजन द्वारा मिष्ठान खिलाया जाता है। श्राद्ध में भी श्वान हेतु ग्रास निकाला जाता है।
 
घोड़ी: मान्यतानुसार विवाह के समय लड़के को घोड़ी पर बिठाना शुभ शकुन माना जाता है। घोड़ी का विधी-विधान के अनुसार पूजन करने के बाद ही लड़के को घोड़ी पर बिठाया जाता है। इससे उसके भावी वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि बनी रहती है।
 
मूषक: इसे गणेशजी की सवारी माना जाता है। ये ही नहीं बीकानेर के देशनोक में देवी करणी माता का स्थान ही मूषक मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर में देवी से ज्यादा महत्त्व वहां रहने वाले चूहों को दिया जाता है।
 
सांप: सांप की महिमा अपंरपार है। उसे तो भगवान शिव के गले का हार होने का सौभाग्य प्राप्त है। नाग पंचमी का दिन हो या फिर सोमवार एवं शिवरात्रि का सांप का विशेष रूप से पूजन किया जाता है।
 
हाथी: भगवान गणेश का श्री मुख हाथी के समान होता है। प्रतिदिन हाथी का पूजन करने वाला श्रीगणेश का आशीर्वाद प्राप्त करता है।
 
आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

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