Karmanasa River: इस नदी के पानी को हाथ लगाने से कर्मों का होता है नाश

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 10 Feb, 2022 11:19 AM

karmanasa river

भारत में नदियों को मां का दर्जा दिया गया है। नदियों को बेहद पवित्र माना गया है। उनकी पूजा होती है, दीपदान किए जाते हैं। खास मौकों पर नदियों में स्नान करने की परंपरा भी सदियों पुरानी है। पूजा-पाठ, शुभ कार्यों में

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Karmanasa River: भारत में नदियों को मां का दर्जा दिया गया है। नदियों को बेहद पवित्र माना गया है। उनकी पूजा होती है, दीपदान किए जाते हैं। खास मौकों पर नदियों में स्नान करने की परंपरा भी सदियों पुरानी है। पूजा-पाठ, शुभ कार्यों में पवित्र नदियों के जल का खासतौर पर उपयोग होता है। कुल मिलाकर हमारे यहां नदियां केवल लाइफ लाइन ही नहीं मानी जाती, बल्कि उनका बड़ा धार्मिक महत्व है। लेकिन हमारे ही देश में एक ऐसी नदी भी है, जिसके पानी को लोग हाथ तक लगाने से बचते हैं।

PunjabKesari Karmanasa River

कर्मनाशा है इस अनूठी नदी का नाम
हिंदू धर्म में गंगा को सबसे पवित्र नदी माना गया है लेकिन सरस्वती, नर्मदा, यमुना, क्षिप्रा आदि नदियों का भी बेहद महत्व है। इन नदियों में स्नान के महापर्व कुंभ आयोजित किए जाते हैं। वहीं उत्तर प्रदेश की एक नदी कर्मनाशा के पानी को लोग छूते तक नहीं हैं। कर्मनाशा दो शब्दों से बना है।

PunjabKesari Karmanasa River

पहला कर्म और दूसरा नाशा। माना जाता है कि नदी का पानी छूने से काम बिगड़ जाते हैं और अच्छे कर्म भी मिट्टी में मिल जाते हैं। इसलिए लोग इस नदी के पानी को छूते ही नहीं हैं। न ही किसी भी काम में उपयोग में लाते हैं। 

PunjabKesari Karmanasa River

फल खाकर गुजारते थे दिन 
कर्मनाशा नदी बिहार और उत्तर प्रदेश में बहती है। इस नदी का अधिकांश हिस्सा यू.पी. में ही आता है। यू.पी. में यह सोनभद्र, चंदौली, वाराणसी और गाजीपुर से होकर बहती है और बक्सर के पास गंगा में मिल जाती है। 

PunjabKesari Karmanasa River

मान्यता है कि जब इस नदी के आस-पास पीने के पानी का इंतजाम नहीं था, तब लोग फल खाकर गुजारा कर लेते थे लेकिन इस नदी का पानी उपयोग में नहीं लाते थे जबकि कर्मनाशा नदी आखिर में जाकर गंगा में ही मिलती है। 

PunjabKesari Karmanasa River

ये है पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा हरिश्चंद्र के पिता सत्यव्रत ने एक बार अपने गुरु वशिष्ठ से सशरीर स्वर्ग में जाने की इच्छा जताई लेकिन गुरु ने इंकार कर दिया। फिर राजा सत्यव्रत ने गुरु विश्वामित्र से भी यही आग्रह किया। वशिष्ठ से शत्रुता के कारण विश्वामित्र ने अपने तप के बल पर सत्यव्रत को सशरीर स्वर्ग में भेज दिया। इसे देखकर इंद्रदेव क्रोधित हो गए और राजा का सिर नीचे की ओर करके धरती पर भेज दिया। विश्वामित्र ने अपने तप से राजा को स्वर्ग और धरती के बीच रोक दिया और फिर देवताओं से युद्ध किया।

PunjabKesari Karmanasa River

इस दौरान राजा सत्यव्रत आसमान में उल्टे लटके रहे, जिससे उनके मुंह से लार गिरने लगी। यही लार नदी के तौर पर धरती पर आई, वहीं गुरु वशिष्ठ ने राजा सत्यव्रत को उनकी धृष्टता के कारण का श्राप दे दिया। माना जाता है कि लार से नदी बनने और राजा को मिले श्राप के कारण इसे शापित माना गया।

PunjabKesari Karmanasa River

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!