आज से आरंभ हुआ मार्गशीर्ष माह, जानिए श्री हरि के अलावा कौन से देवता होंगे आप पर मेहरबान

Edited By Jyoti,Updated: 13 Nov, 2019 01:48 PM

lord ganesh mantra in margashirsha month

आज से यानि 13 नवंबर से मार्गाशीर्ष महीने का आरंभ हो गया, जिसे हिंदू पंचांग के अनुसार अगहन का माह भी कहा जाता है। यूं तो ये महीना श्री हरि व उनके दामोदर स्वरूप को समर्पित है।

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आज से यानि 13 नवंबर से मार्गाशीर्ष महीने का आरंभ हो गया, जिसे हिंदू पंचांग के अनुसार अगहन का माह भी कहा जाता है। यूं तो ये महीना श्री हरि व उनके दामोदर स्वरूप को समर्पित है। परंतु क्योंकि इस बार हिंदू धर्म का ये नौवां महीना सर्वार्थ सिद्धि योग के अंतर्गत भगवान गणेश जी के दिन अर्थात बुधवार के दिन शुरू हुआ है। जिसे धार्मिक दृष्टि से इसे बहुत ही शुभ माना जा रहा है। ज्योतिष विद्वानों का कहना है कि इस पूरे माह में श्री हरि के साथ देवों के देव महादेव के पुत्र श्री गणेश की पूजा भी फलदायी मानी जाएगी। तो अगर आप भी भगवान विष्णु जी के साथ बप्पा को खुश करना चाहते हैं आगे बताए जाने कुछ खास उपायो ज़रूर अपनाएं। इतना तो सभी जानते ही होंगे कि बुधवार को भगवान गणेश पूजा करने का विशेष विधान रहता है। मान्यता है जो भी इस दिन इनकी विधि-वत अर्चना करता है वो उनकी अपार कृपा का पात्र बनता है। परंतु इससे भी कई गुना ज्यादा फलदायी होती है इनकी मंत्र साधना। जी हां, कहा जाता है गणेश मंत्र साधना से व इनके सिद्ध मंत्र का जप करने से न केवल जातक की एक दो नहीं बल्कि एक साथ सैकड़ों मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। अगर आप भी अपनी समस्त इच्छाओं पूरी नहीं हो पा रही हो तो आज के दिन सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक कभी भी शुद्ध चित्त होकर निम्न गणेश का मंत्र जप कर लें। 

गणपति बप्पा का एक विशिष्ट स्वरूप विघ्नहर्ता के रूप में प्रचलित है जो भोग और मोक्ष प्रदान करने वाला और शक्ति के गुणों का साकार स्वरूप माना जाता है। यह रूप सद्गृहस्थ एवं योगी दोनों ही जीवन की समस्त समस्याओं का निराकरण कर देता है। गणेश जी के इस मंत्र का जप प्रति बुधवार 108 बार सुबह एवं 108 बार शाम को करने से जीवन की मनोकामनाएं पूरी होने लगती हैं।

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मंत्र- 
।। ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ।।

श्री महागणपति प्रणव मूलमंत्र: ॐ ।

ॐ वक्रतुण्डाय नम: ।

श्री महागणपति प्रणव मूलमंत्र: ॐ  गं ॐ ।

महाकर्णाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदयात् ।।

चंदन की धूप जलाएं.

ॐ गं गणपतये नम:।

ॐ श्री गणेशाय नम: ।

ॐ नमो भगवते गजाननाय ।

ॐ वक्रतुण्डाय हुम् ।

श्री गणेशाय नम: ।

महाकर्णाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदयात् ।।

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पूजा में आरती जरूर करें

ॐ श्री गणेशाय नम: ।

ॐ गं गणपतये नम:।

दूर्वा जरूर अर्पित करें

ॐ वक्रतुण्डाय हुम् ।

ॐ हीं श्रीं क्लीं गौं ग: श्रीन्महागणधिपतये नम:।

हीं श्रीं क्लीं गौं वरमूर्र्तये नम: ।

ॐ गं गणपतये नम:।

पँच अमृत अर्पित करें

हीं श्रीं क्लीं नमो भगवते गजाननाय ।

ॐ वक्रतुण्डाय हुम् ।

दूर्वा जरूर अर्पित करें

श्री गजानन जय गजानन।

महाकर्णाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदयात् ।।

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मार्गशीर्ष के पूरे माह उपरोक्त मंत्रों की जाप करें। ज्योतिष मान्यता के अनुसार इन मंत्रों के सही उच्चारण से एक साथ आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। साथ ही साथ जीवन की सी कठिनाईयां दूर होंगी और आप सफलता की सीढ़ी चढ़ेंगे।

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