Power of Your Mind- मन की शक्ति से किए जा सकते हैं चमत्कार, जानें कैसे

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 02 Apr, 2024 10:50 AM

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मनुष्य को ईश्वर से प्राप्त मन एक दिव्य ऊर्जा है। इसी दिव्य मन के द्वारा मनुष्य अपने जीवन के समस्त क्रियाकलापों का संचालन करता है। आध्यात्मिक शब्दावली में मन को बंधन एवं मोक्ष का कारण माना गया है।

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Power of Your Mind: मनुष्य को ईश्वर से प्राप्त मन एक दिव्य ऊर्जा है। इसी दिव्य मन के द्वारा मनुष्य अपने जीवन के समस्त क्रियाकलापों का संचालन करता है। आध्यात्मिक शब्दावली में मन को बंधन एवं मोक्ष का कारण माना गया है। अद्भुत सामर्थ्य से परिपूर्ण हमारा मन जब ‘शिव संकल्प’ अर्थात ‘श्रेष्ठ एवं शुभ संकल्प’ से परिपूर्ण होता है, तब वह हमारे जीवन को परम आनंद की ओर ले जाता है। मन की शक्ति असीम है। दार्शनिकों ने मन को छठी इंद्रिय कहा है और यह छठी इंद्रिय अन्य इंद्रियों से कहीं अधिक प्रचंड है। मन इंद्रियों का प्रकाशक है, ज्योति स्वरूप है। मन ही इंद्रियों का नियंत्रक है, इसलिए अगर मन में उठने वाले संकल्प कल्याणकारी हैं तो ऐसा श्रेष्ठ मन इंद्रियों को भी श्रेष्ठ कर्मों की ओर प्रेरित करेगा। मनुष्य का संपूर्ण जीवन मन के संकल्पों से प्रभावित होता है।

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भारतीय वांग्मय में भी कहा गया है कि जैसे संकल्प मन में सृजित होते हैं, वैसे ही कर्मों में मनुष्य निमग्न हो जाता है और उन्हीं कर्मों के अनुरूप मनुष्य का आचरण निर्मित होता है, इसलिए कर्म का आधार मनुष्य के मन में उठने वाले विचार हैं। मन के संबंध में कहा गया है कि प्रत्येक मनुष्य को जिस प्रकार स्थूल अस्तित्व के रूप में शरीर मिला है, उसी प्रकार सूक्ष्म अस्तित्व के रूप में मन मिला है।

सदैव गतिशील रहना मन का स्वभाव है। यह मन ही मनुष्य का दिव्य धाम है। मन रूपी भूमि पर उगने वाले विचार या संकल्प यदि अशुभ या निकृष्ट प्रवृत्ति के हैं तो वे मनुष्य को भी नरक एवं दुखों की दलदल में ले जाते हैं। हमारी मानसिक व आध्यात्मिक उन्नति में मन के ‘शिव संकल्पों’ का अहम योगदान है। कुशल सारथी जिस प्रकार लगाम के नियंत्रण से गतिमान घोड़ों को गंतव्य पथ पर मनचाही दिशा में ले जाता है, उसी प्रकार शिव संकल्पित मन भी मनुष्य को अपने परम लक्ष्य की ओर ले जाता है। मन अनंत ज्ञान का स्रोत है। जप, तप, साधना का मार्ग इसी शुभ संकल्पों से युक्त मन से ही प्रशस्त होता है। यजुर्वेद के ‘शिव संकल्प सूत्र’ के मंत्रों में परमपिता परमात्मा से दिव्य एवं शुभ संकल्पों की पग-पग पर प्रार्थना की गई है।

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उन्नति और अवनति मन के विचारों की प्रकृति पर ही निर्भर हैं। सुख-दुख एवं आत्मिक आनंद का द्वार भी इसी मन की संकल्प संपदा से खुलता है। मन के अशुभ संकल्प मनुष्य के जीवन में अभिशाप के समान हैं । दैवी एवं शुभ संकल्पों की सम्पदा जिस मन में होती है, वह मनुष्य के लिए एक उत्तम वरदान के समान है।

‘शिव संकल्पों’ से समावेशित मन ही मनुष्य को धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष के आध्यात्मिक मार्ग का पथिक बनाता है।  मन के दिव्य संकल्प से ही परम तत्व परमात्मा की अनुभूति का मार्ग खुलता है। दैवी संकल्पों से युक्त मन आध्यात्मिक ऊर्जा का अथाह भंडार होता है।

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