Edited By Niyati Bhandari,Updated: 27 Sep, 2023 10:07 AM

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत महत्व है। हर महीने दो प्रदोष व्रत रखे जाते हैं। एक शुक्ल पक्ष के समय और दूसरा कृष्ण पक्ष के समय। प्रदोष व्रत को त्रयोदशी व्रत के नाम से भी जाना
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Pradosh Vrat : हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत महत्व है। हर महीने दो प्रदोष व्रत रखे जाते हैं। एक शुक्ल पक्ष के समय और दूसरा कृष्ण पक्ष के समय। प्रदोष व्रत को त्रयोदशी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। भाद्रपद मास का अंतिम प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाएगा। इस व्रत में भगवान शिव की पूरे विधि-विधान से पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साधक को सुख एवं समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए जानते हैं कि कब रखा जाएगा भाद्रपद मास का अंतिम प्रदोष व्रत ?
Pradosh vrat 2023 date प्रदोष व्रत 2023 तिथि
इल साल भाद्रपद मास का अंतिम प्रदोष व्रत 27 सितंबर 2023 बुधवार के दिन पड़ रहा है इसलिए इसे बुध प्रदोष व्रत भी कहा जा सकता है। गणेश उत्सव में बुध प्रदोष व्रत का खास महत्व होता है। माना जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है, उसे कभी न खत्म होने वाला पुण्य मिलता है।
Pradosh Vrat 2023 auspicious time प्रदोष व्रत 2023 शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि आज 27 सितंबर 2023 को दोपहर 01 बजकर 45 मिनट पर शुरू होगी और रात 10 बजकर 18 मिनट पर खत्म होगी। ये भाद्रपद का आखिरी प्रदोष व्रत होगा। इस दिन शिव पूजा का शुभ समय शाम 06 बजकर 12 मिनट से रात 08 बजकर 36 मिनट तक रहेगा।

Importance of budha pradosh fast बुध प्रदोष व्रत महत्व
भाद्रपद का आखिरी प्रदोष बुधवार को है, ये दिन गणपति को समर्पित है। इसके साथ ही गणेश उत्सव भी चल रहे हैं। संतान प्राप्ति के लिए बुध प्रदोष व्रत बहुत खास होता है। इस दिन शिव परिवार की उपासना करने वालों को सुयोग्य संतान की प्राप्ति होती है। बुधवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सौम्यवारा प्रदोष भी कहा जाता है।
Pradosh vrat puja method प्रदोष व्रत पूजा विधि
प्रदोष व्रत पर साफ-स्वच्छ वस्त्र धारण करें। सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद ही शिव पूजा करें। इस दिन शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग का दूध और शहद से अभिषेक करें। शिव जी को फूल, फल, बेलपत्र और धतूरा अर्पित करें। इसके बाद प्रदोष व्रत की कथा करने के बाद आरती कर लें। फिर आखिर में भगवान शिव का प्रसाद सभी में बांट कर खुद खाएं।
