बोर्ड ने दिया तर्क, फीस बढ़ाना मजबूरी: सीबीएसई बोर्ड सचिव

Edited By Riya bawa,Updated: 14 Aug, 2019 12:03 PM

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सीबीएसई बोर्ड सचिव अनुराग त्रिपाठी ने ...

नई दिल्ली: सीबीएसई बोर्ड सचिव अनुराग त्रिपाठी ने फीस बढ़ाने पर मंगलवार को स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि बीते 5 सालों से बोर्ड ने कोई फीस बढ़ोत्तरी नहीं की है। बोर्ड के पास एनटीए के गठन के बाद प्रतियोगी परीक्षाएं भी नहीं बची हैं। स्कूलों में नकल और लीक प्रूफ एग्जाम कराने के लिए सीबीएसई ने 2018-19 परीक्षा सत्र में 100 फीसद 5000 नए ऑब्जर्बर और 5000 वए डिप्टी सेंटर सुपरिंटेंडेेंट्स को लगाया गया था। जहां पहले 1.2 लाख इवैल्युएटर्स कार्य करते थे वहीं इस साल परीक्षकों की संख्या बढ़ाकर 2 लाख कर दी गई। 

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इन दो लाख उत्तर पुस्तिका जांच कर्ताओं को एग्जाम की अलग से ट्रेनिंग भी मुहैया कराई गई। एग्जाम और कॉपी जांचने की प्रक्रिया को ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम में लाया गया। कई तरह की नई तकनीकियों का ईजाद किया गया जिसमें टेट्रा एप जैसे कुछ एप विकसित किए गए। अब पेपर की लागत बढ़ गई है। प्रश्न-पत्र और कॉफीडेंशियल मटेरियल की प्रिंटिंग लागत बढ़ गई है। ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा बढ़ा है। 

10वीं और 12वीं की परीक्षा जोकि हाल ही में आयोजित कराई गई उसमें बोर्ड घाटे में गया है। बोर्ड की मौजूदा स्थिति देखी जाए तो बोर्ड हजारों करोड़ रुपए के घाटे में है। सीबीएसई एक स्व वित्त पोषित स्वायत्त संस्था है इसलिए बोर्ड को स्वयं के खर्चों को ही बैलेंस कर सारे कार्य करने होते हैं। बोर्ड सचिव ने कहा कि पिछले 10 सालों में 10 हजार स्कूल बढ़े हैं और 2014 के बाद 6 नए रीजनल सेंटर्स बढ़े हैं। यही कारण है जिसके कारण बोर्ड ने फीस बढ़ाने का फैसला किया है। अगर बोर्ड फीस नहीं बढ़ाएगा तो चल नहीं पाएगा। 
 

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