जय श्रीराम पास हो जाएं... टीचर ने भी पूरे किए अरमान, 56 प्रतिशत अंकों के साथ किया पास

Edited By rajesh kumar,Updated: 27 Apr, 2024 04:36 PM

teacher also fulfilled his wishes passed with 56 percent marks

जनपद के वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के फार्मेसी प्रथम वर्ष के चार छात्र अपनी परीक्षा की कॉपियों में केवल “जय श्री राम” और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खिलाड़ियों के नाम लिखकर भी 56 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण हो जाने का चौंकाने वाला मामला...

नेशनल डेस्क: जनपद के वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के फार्मेसी प्रथम वर्ष के चार छात्र अपनी परीक्षा की कॉपियों में केवल “जय श्री राम” और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खिलाड़ियों के नाम लिखकर भी 56 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण हो जाने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत विश्वविद्यालय के एक पूर्व छात्र द्वारा मांगी गई जानकारी के बाद इस मामले का पर्दाफाश हुआ। बुधवार को विश्वविद्यालय की परीक्षा समिति की बैठक में इसके लिए दो शिक्षकों डॉ. आशुतोष गुप्ता और डॉ. विनय वर्मा को दोषी ठहराया गया।

सही उत्तर न देने पर भी पास किए छात्र 
विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र दिव्यांशु सिंह ने शनिवार को बताया कि जब उन्हें पता चला कि पूर्वांचल विश्वविद्यालय द्वारा संचालित डी.फार्मा पाठ्यक्रम के प्रथम एवं द्वितीय सेमेस्टर के कुछ छात्रों को सही उत्तर न देने पर भी परीक्षा में उत्तीर्ण कर दिया गया है तो उन्होंने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत विश्वविद्यालय से जानकारी मांगी। दिव्यांशु सिंह ने कहा कि तीन अगस्त, 2023 को उन्होंने कुछ रोल नंबर देकर उत्तर पुस्तिकाओं के पुनर्मूल्यांकन की मांग की थी।

जांच के दौरान, यह पाया गया कि चार अलग-अलग बार-कोड वाली कॉपियों में छात्रों ने केवल 'जय श्री राम' और विराट कोहली, रोहित शर्मा, हार्दिक पंड्या आदि जैसे खिलाड़ियों के नाम लिखे थे और उन्हें 75 में से 42 अंकों के साथ उत्तीर्ण किया गया जो 56 फीसदी प्राप्तांक हैं। पूर्व छात्र ने इन तथ्यों के सामने आने पर राजभवन (राज्यपाल कार्यालय) को पत्र लिखकर एक प्रोफेसर पर पैसे लेकर छात्रों को पास करने का आरोप लगाया।

दोनों शिक्षकों को कार्यमुक्त करने का निर्देश 
उन्होंने सभी शिकायतें हलफनामे के साथ राजभवन को भी भेजी और राजभवन ने इसका संज्ञान लेते हुए 21 दिसंबर, 2023 को जांच और कार्रवाई का आदेश दिया था। इस पर विश्‍वविद्यालय ने जांच कमेटी गठित की और दो बाहरी परीक्षकों से कराए गए पुनर्मूल्यांकन में इन छात्रों को शून्य अंक मिले। उन्होंने कहा कि परीक्षा नियंत्रक ने एक जांच समिति बनाकर मामले की जांच की, जिसने कुलपति को दी गयी अपनी रिपोर्ट में दोनों शिक्षकों को दोषी ठहराया।

विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. वंदना सिंह ने बताया कि मामले की जांच के लिए बुधवार को परीक्षा समिति की बैठक बुलाई गई और इसमें फार्मेसी विभाग के दो शिक्षकों को गलत मूल्यांकन का दोषी माना गया है। कुलपति ने कहा दोनों शिक्षकों को कार्यमुक्त करने का निर्णय लिया गया है और अंतिम निर्णय के लिए इसे कार्यपरिषद के सामने प्रस्तुत किया जाएगा।  

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