77वें कांस फ़िल्म महोत्सव में A R Rahman ने रिलीज की डॉक्यू फ़ीचर फ़िल्म 'हेडहंटिंग टू बीटबॉक्सिंग'

Edited By Diksha Raghuwanshi,Updated: 20 May, 2024 09:21 AM

a r rahman releases documentary feature film

रोहित गुप्ता द्वारा निर्देशित और ए. आर. रहमान द्वारा निर्मित 'हेडहंटिंग टू बीटबॉक्सिंग' नागालैंड की पृष्ठभूमि पर लय और ध्वनि की अद्भुत यात्रा को इस फ़िल्म के माध्यम से प्रस्तुत करती है।

मुंबई। 77वें कांस फ़िल्म महोत्सव में भारत पवेलियन में ऑस्कर विजेता और पद्म भूषण से सम्मानित ए. आर. रहमान ने‌ 'हेडहंटिंग टू बीटबॉक्सिंग' नामक एक अनूठी डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म के फ़र्स्ट लुक और टीज़र का विमोचन किया। इस डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म का निर्देशन रोहित गुप्ता ने‌ किया है। 

रहमान के साथ डॉक्युमेंट्री के एक्ज़ीक्यूटिव प्रोड्यूसर अबु मेथा (नगालैंड के मुख्यमंत्री के सलाहकार), एक्ज़ीक्यूटिव प्रोड्यूसर थेरा मेज़ू (अध्यक्ष TaFMA, नगालैंड सरकार) जैसी दिग्गज हस्तियां और अन्य गणमान्य मेहमान भी मौजूद थे। 

रोहित गुप्ता द्वारा निर्देशित और ए. आर. रहमान द्वारा निर्मित 'हेडहंटिंग टू बीटबॉक्सिंग' नागालैंड की पृष्ठभूमि पर लय और ध्वनि की अद्भुत यात्रा को इस फ़िल्म के माध्यम से प्रस्तुत करती है। इसके ज़रिए एक अर्से से दुनिया भर की विविध सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के बीच संगीत के विकास यात्रा को बख़ूबी पेश किया गया है। हेंडहंटिंग करने के लिए मशहूर रही जातियों द्वारा चलाई जाने वाली इस प्रचलित प्रथा से लेकर संगीत के क्षेत्र में क्रांति तक यह डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म‌ दर्शकों को एक अनूठे और दिलचस्प सफ़र‌ पर ले जाएगी।‌ इसके माध्यम से दर्शकों को संगीत की उत्पति से‌ लेकर उसके‌ विकास तक की संपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी। 

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ए. आर. रहमान ने विमोचन के दौरान अपना उत्साह जताते हुए कहा, "संगीत में वो शक्ति है जिससे समाज में बदलाव लाया जा सकता है और इससे दुनिया के अस्तित्व को बेहतर ढंग से समझने में भी मदद मिलती है। 'हेडहंटिंग टू बीटबॉक्सिंग' वैश्विक लय से इंसानियत को एकत्रित लाने वाली दुनिया की विविधता का जश्न है। यकीनन, इस फ़िल्म महोत्सव के माध्यम से हमारी फ़िल्म के सफ़र‌ की अच्छी शुरुआत हुई है। इस फ़िल्म की शुरुआत के लिए कांस फ़िल्म‌ महोत्सव और भारत पवेलियन से बढ़िया जगह नहीं हो सकती थी।

नगालैंड सरकार के मुख्यमंत्री के सलाहकार अबु मेथा ने कहा, "इस फ़िल्म को बनाने का आइडिया उस वक्त आया जब संगीतकार ए. आर. रहमान नगालैंड में आयोजित होने वाले बेहद लोकप्रिय हॉर्नबिल महोत्सव में शामिल होने के लिए आए थे। इस फ़िल्म को बनाने में कई रचनात्मक लोगों ने अपना योगदान दिया है।इसके लिए‌ TaFMA की भी विशेष रूप‌ से प्रशंसा करनी होगी। असली नायक तो नगालैंड के संगीतकार हैं जो प्राचीन काल से स्थानीय संगीत को एक नई ऊंचाई पर ले जाने में गहरा योगदान दे रहे हैं। यह ऐसा अद्भुत संगीत है जो युवाओं की महत्वाकांक्षाओं को भी दर्शाता है। 

 इस मौके पर निर्देशक रोहित गुप्ता ने कहा, "इस फ़िल्म के बनने में पांच साल का वक्त लगा और इस फ़िल्म के बनने की प्रकिया ने मेरी ज़िंदगी को भी बदल कर रख दिया है। फ़िल्म के निर्माण के दौरान पुराने ज़ख़्मों पर‌ मरहम का काम करने वाले‌ मौजूदा संगीत की समृद्धता ने मुझे काफ़ी प्रभावित किया।‌ मैं दर्शकों को फ़िल्म के‌ निर्माण के लिए की गयी मशक़्क़त नगालैंड के अद्भुत संगीत से वाकिफ़ कराने के लिए बेकरार हूं।" 

उल्लेखनीय है कि एक निर्माता के तौर पर ए. आर. रहमान की ये दूसरी फिल्म है। इससे पहले उन्होंने '99 सॉन्ग्स' नामक फिल्म का निर्माण किया था जिसे बुसान फ़िल्म फ़ेस्टिवल में प्रदर्शित किया गया था।

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