अदृश्यम में एक्शन अवतार में दिखीं दिव्यांका त्रिपाठी, सब्जी खरीदते नजर आ रहे हैं एजाज खान

Edited By Varsha Yadav,Updated: 16 Apr, 2024 02:00 PM

divyanka tripathi seen in action avatar in vishwaam ejaz khan is seen buying

'बनूं मैं तेरी दुल्हन' से लेकर 'ये है मोहब्बतें' जैसे सीरियल्स से दर्शकों के दिलों में जगह बनाने वाली एक्ट्रेस दिव्यांका त्रिपाठी काफी चर्चा में हैं। एक्ट्रैस सोनी लिव की सीरीज 'अदृश्यम- द इनविजिबल हीरो' में एक्शन अवतार में नजर आ रही हैं।

नई दिल्ली।  'बनूं मैं तेरी दुल्हन' से लेकर 'ये है मोहब्बतें' जैसे सीरियल्स से दर्शकों के दिलों में जगह बनाने वाली एक्ट्रेस दिव्यांका त्रिपाठी काफी चर्चा में हैं। एक्ट्रैस सोनी लिव की सीरीज 'अदृश्यम- द इनविजिबल हीरो' में एक्शन अवतार में नजर आ रही हैं। इस सीरीज में उनके साथ एजाज खान भी अहम भूमिका में है। आई.बी. ऑफिसर्स की जिंदगी पर आधारित इस सीरीज का निर्देशन सचिन पांडे ने किया है, जो 11 अप्रैल से स्ट्रीम होगी चुकी है। इस बारे में दिव्यांका त्रिपाठी और एजाज खान ने पंजाब केसरी/ नवोदय टाइम्स/ जगबाणी/ हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश...


दिव्यांका त्रिपाठी

Q. एजाज खान या आपने सीरीज में किसने ज्यादा अच्छा एक्शन किया है?
इस शो में सब कुछ विपरीत है क्योंकि एक्शन सिर्फ मैंने किया है। इसलिए आप लोगों को यह शो देखना ही होगा। अब तक जितने भी प्रोटोकॉल बन चुके हैं यह शो सबको गलत साबित करता है। जिसमें लड़का एक्शन करता है और लड़की बैकग्राउंड में होती है। हमारे शो में ऐसा नहीं है। हम अंडरकवर ऑफिसर हैं और एक एजेंसी में काम करते हैं। सिर्फ नाम के लिए हम मौसम विभाग में कार्यरत हैं लेकिन असल में हम देश को बचा रहे होते हैं। मेरे किरदार का नाम पार्वती है, जो मां है, एक बहू है। वहीं दूसरी तरफ वह बहुत साहसी ऑफिसर है। घर पर वह सबका ख्याल रखती है साथ ही उसे अपने देश की फिक्र भी रहती है। दोनों दुनिया में वह बिल्कुल विपरीत है। मैंने भी नहीं सोचा था कि इस किरदार को इतनी खूबसूरती से लिखा जाएगा।


 Q. 'बनूं मैं तेरी दुल्हन' से सुपरवूमैन बनना, दोनों में से क्या सबसे ज्यादा मुश्किल रहा?  
मेरे लिए दोनों एक समान मुश्किल थे। 'बनूं मैं तेरी दुल्हन' में मुझे वो बनना पड़ा जो मैं तब नहीं थी। ये बात वैसे तो मैं कई बार बता चुकी हूं कि मैं आर्मी में जाना चाहती थी। मेरी बॉडी लैंग्वेज उस समय काफी अलग थी, बिल्कुल जवानों के जैसी। वहीं मेरा पहला किरदार जो मैंने उस सीरियल में निभाया था विद्या का। वो बहुत शांत, सहमी, डरी, अनपढ़ और गांव की लड़की थी, तो मुझे अपनी पूरी बॉडी लैग्वेंज बदलनी पड़ी। वो अपने आप में एक मुश्किल भरा सफर था। तब से लेकर अब तक इतने साल में मुझे कभी ऐसा किरदार नहीं मिला और अब जब मैं इतनी पुरानी हो गई तब जाकर मुझे ये रोल मिला। तो मुझे दोबारा से अपने अंदर सब कुछ डालना पड़ा। मुझे ट्रेनिंग लेनी पड़ी ताकि एक्शन करने के लिए मेरी बॉडी तैयार रहे। तो वो भी मुश्किल था और ये भी मुश्किल है लेकिन मजा दोनों में आया।

 

Q. एक्शन करते हुए आपको कैसा लगा और इस किरदार से आपने क्या सीखा?  
मुझे अलोका जी ने ट्रेनिंग दी थी और उस समय मुझे बताया गया था कि ये किरदार बहुत आम लोगों के जैसा होना चाहिए। तो उस चीज का तो हमने ख्याल रखा ही, साथ में यह कोशिश भी की गई कि सिर्फ फील्ड वर्क का प्रेशर या स्ट्रेस ही न दिखाया जाए। बल्कि घर और काम दोनों को अच्छे से बैलेंस करके दिखाया जाए। पार्वती मल्टी टास्किंग है वो अपनी पारिवारिक जिंदगी को बहुत अच्छे से जीती है। वहीं
अपराधियों के साथ उसका व्यवहार अलग होता है। जहां रवि वर्मा को लगता है कि इन लोगों को सुधारा जा सकता है वहां पार्वती को लगता है कि इन लोगों को जीने का ही हक नहीं है। तो हम दोनों काफी अलग है।

 

Q. सीरीज में आप दो तरह की लाइफ जी रही हैं, असल में भी ऐसा ही है। ऐसे में आपको दोनों में क्या समानताएं लगीं?
इसमें एक तीसरी लाइफ और है। जो हमें अलोका प्रभाकर ने सिखाई थी कि हम 3 जिंदगियां एक साथ जी रहे हैं। एक फैमिली लाइफ है जो झूठ से भरी हुई है। जहां आप हर सच नहीं बता सकते हैं कि आप आज कौन सा मिशन करके आ रहे हैं, आपने क्या काम किया। एक आपकी ऑफिस की जिंदगी, जहां आप इन मिशन में लगे हुए हैं। अटैक्स रोक रहे हैं, खोजबीन कर रहे हैं। तीसरी वो जब आप मिशन के दौरान अपना भेष बदलते हैं। एक वो तीसरी लाइफ होती है। जो आपको रियल लाइफ में जीने का मौका नहीं मिलता।

 

Q. ऑनस्क्रीन से कितना अलग हो? और क्या गुस्सा भी आता है?
हां.. मुझे गुस्सा आता है तो मैं उसी समय निकाल देती हूं और आगे बढ़ जाती हूं। अपने अंदर नहीं रखती इसलिए मैं अपने साथ कोई बोझ लेकर नहीं चलती। तभी मुस्कुरा पाती हूं। आपको पता है काफी सालों तक लोगों को यही लगता रहा था कि मैं हंसने की एक्टिंग कर रही हूं। उनका मानना था कि ये असली मैं ऐसी नहीं है, दिल से कोई प्यारी और मीठी नहीं है। लेकिन यार मैं कितने सालों तक एक्टिंग करूंगी।


मैं वही करता हूं, जो मुझे करना है : एजाज खान  

 

Q.  इस सीरीज में आपके लिए सब्जी खरीदना ज्यादा मुश्किल था या अंडरकवर ऑफिसर बनना?
हंसते हुए...बहुत मुश्किल है। इस शो में मैं वही करता हूं। सिर्फ सब्जी खरीदता हूं और घर जाता हूं। सच कहूं तो अब तक एक्शन बहुत किया है। मजा आता है एक्शन करने में। लेकिन इस शो में रवि वर्मा के रोल के लिए मुझे एक्शन करने की जरूरत नहीं पड़ी। इंटेलिजेंस ऑफिसर हमेशा बैकग्राउंड में होते हैं, उनका काम बोलता है कि वो सामने न आएं। अगर वो ऐसा करते हैं, तो उन्हें रिटायर किया जाता है क्योंकि वे अपने काम में असफल हो गए। इसी तरह हमें भी बैकग्राउंड में या इनविजिबल रहना होता है। ऐसे में रवि वर्मा अपनी बीवी, दोस्तों और परिवार किसी को भी अपने काम के बारे में नहीं बता सकता। सिर्फ पार्वती ही उसकी ऐसी दोस्त है, जिससे वो अपनी पर्सनल लाइफ भी शेयर करता है। यहां मैं एक्शन इसलिए नहीं करता क्योंकि रवि वर्मा इतना विश्वास नहीं करता कि हर चीज में गन निकाल ले। इस किरदार में बहुत मानवता और विश्वास है। वो हर इंसान पर ये भरोसा करना चाहता है कि उनमें अच्छाई है और वो सही रास्ते पर लाए जा सकते हैं। बतौर अभिनेता हमारे लिए ऐसे किरदार बहुत जरूरी है क्योंकि हमने पर्दे पर ऐसे कई ऑफिसर देखें जो एक्शन करते हैं, कानून की ताकत उनके हाथों में होती है।

 

Q. सेट पर दिव्यांका अंडरकवर एजेंट से ट्रेनिंग लेती थी या आप ही उन्हें ट्रेनिंग देते थे?
हमने एक अंडरकवर एजेंट से ट्रेनिंग ली है। उनका नाम अलोका जी है, 25 साल वो इस इंडस्ट्री में काम कर चुके हैं। उन्होंने कुछ किताबें भी लिखी हैं। उन्हें अवॉर्ड भी मिले हैं। हमारी खुशकिस्मती है कि उन्होंने हमें गाइड किया है। जब मैंने शो साइन किया था, इस किरदार व शो को लेकर मेरी सोच अलग थी। उन्होंने बहुत कुछ सही किया व सिखाया। कैसे अंडरकवर एजेंट रहते हैं, कैसे काम करते हैं व किस तरह अपने आपको परिस्थिति के हिसाब से ढालते हैं।

 

Q.  शुरुआत में इंडस्ट्री के लोगों से आपको क्या सलाह मिलती थी?
मुझे सामान्य तौर पर कोई सलाह नहीं देता क्योंकि मैं मानता नहीं हूं। हां, जीतू जी ने मुझे कॉल करके एक बार बोला था कि बेटा कभी काम से छुट्टी नहीं मांगना, जिस दिन मिल गई उस दिन बहुत पछताओगे। हम कोई 60-70 घंटे शूटिंग कर रहे थे, तो मुझे याद है, उन्होंने हमारे काम की कितनी सराहना की थी कि हम कितनी मेहनत कर रहे हैं।

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