Exclusive Interview: एक्शन, कॉमेडी, ड्रामा का परफेक्ट डोज है ‘मर्द को दर्द नहीं होता’

Edited By Chandan,Updated: 20 Mar, 2019 09:07 AM

exclusive interview with the starcast of film mard ko dard nahi hota

21 मार्च को रिलीज होनी वाली अभिनेत्री भाग्यश्री के बेटे अभिमन्यु दसानी की फिल्म ‘मर्द को दर्द नहीं होता’ कंटेंट और कहानी की वजह से सुर्खियों में है। यह 43वें टोरंटो अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में अवॉर्ड जीत चुकी है। फिल्म के लेखक और निर्देशक वसन...

नई दिल्ली। 21 मार्च को रिलीज होनी वाली अभिनेत्री भाग्यश्री के बेटे अभिमन्यु दसानी की फिल्म ‘मर्द को दर्द नहीं होता’ कंटेंट और कहानी की वजह से सुर्खियों में है। यह 43वें टोरंटो अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में अवॉर्ड जीत चुकी है। फिल्म के लेखक और निर्देशक वसन बाला और निर्माता आरएसवीपी के रोनी वाला हैं।

इसमें अभिमन्यु के साथ राधिका मदान, गुलशन देवैया, महेश मांजरेकर और जिमित त्रिवेदी हैं। फिल्म प्रमोशन के लिए दिल्ली पहुंची फिल्म की स्टार कास्ट ने पंजाब केसरी/ नवोदय टाइम्स/ जगबाणी/ हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:

इस मर्द को सच में दर्द नहीं होता : वासन 
मैं बताना चाहूंगा कि यह एक ऐसे आदमी की कहानी है जिसे कभी दर्द नहीं होता। उसे एक ऐसे सिंड्रोम की शिकायत है जो दर्द का अहसास नहीं होने देता। इस वजह से वह जहां बचपन में काफी परेशान रहता है, वहीं बड़े होने के बाद वह अपनी इस कमजोरी को ही अपनी ताकत बना लेता है। इसमें अभिमन्यु यही किरदार निभा रहे हैं जिसे दर्द महसूस नहीं होता।

रोते हुए कुछ बोल नहीं पाई थी मां जब मेरी मां ने ये फिल्म देखी तो वो थिएटर से रोते-रोते बाहर आईं, उस वक्त मैं वहीं खड़ा था तब वो मेरे गले लगी और कुछ-कुछ बोलने लगी। इसके अलावा फिल्म का ट्रेलर रिलीज होने के बाद मेरे पापा के पास बहुत से फोन आए जिन्होंने मेरी बहुत तारीफ की और जब मैं घर पहुंचा तो पापा ने पहली बार मुझसे कहा, ‘हमें तुम पर गर्व है’।

80 और 90 के दशक से प्रेरित
दरअसल, यह फिल्म 80 और 90 के दशक वाले सिनेमा से प्रेरित है। ‘मर्द को दर्द नहीं होता’ तो फिर भी थोड़ा हल्का टाइटल है, उस समय तो ‘पाप को जलाकर राख कर दूंगा’, ‘मर मिटेंगे’, ‘आग ही आग’ और ‘आग का गोला’ जैसे टाइटल हुआ करते थे। इस फिल्म के ट्रेलर रिलीज के बाद मेरे पास ऐसे बहुत से पेरेंट्स के फोन आए जिनके बच्चे इस बीमारी से पीड़ित हैं। इस फिल्म के बाद लोगों में इस बीमारी के प्रति जागरुकता बढ़ेगी।

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ये फिल्म न करने पर पछताता : गुलशन देविहा 
मुझे ऐसा लगता है कि अगर मैं इस फिल्म को नहीं करता तो बाद में पछताता। जब इस फिल्म का मुझे पता चला तब मेरे घुटने की सर्जरी हुई थी और वासन को ये बात पता थी, एक दोस्त होने के नाते उन्होंने मुझे मना किया। लेकिन अंदर ही अदर उन्हें भी ये पता था कि मुझे ये फिल्म जरूर करनी चाहिए। 

कभी भूल नहीं पाउंगा ये यादें : अभिमन्यु दसानी
लोग कहते हैं कि मैं हिन्दी सिनेमा का पहला कलाकार हूं जिसे पहली ही फिल्म के लिए किसी इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट एक्टर का खिताब मिला। डेन्निस टैनोविच बहुत मशहूर फिल्ममेकर हैं वह स्क्रीनिंग के बाद मुझे डिनर पर ले गए। उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या सिर्फ हिंदी फिल्मों में ही काम करने का इरादा है?

इसके अलावा जब अवार्ड मिला तो मेरा नाम जैकी चैन के नाम के साथ लिया गया। यह शायद पहली हिंदी फिल्म होगी जिसके सौ फीसदी स्टंट खुद हीरो ने किए हैं और कहीं भी किसी भी सीन में न कोई डुप्लीकेट है और न ही बॉडी डबल। बहुत मार खाई है मैंने इस फिल्म की शूटिंग में। ये सारी यादें हैं जो मैं कभी भूल नहीं सकता।

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