Edited By ,Updated: 01 Aug, 2015 03:37 PM
देश के लिए वल्र्ड कप खेल चुका ये खिलाड़ी आज गुमनामी की जिंदगी जिने को मजबूर है। इंडियन हॉकी टीम का बेहतरीन सेंटर फारवर्ड खिलाड़ी विंसेंट लकड़ा की इच्छा है कि वे अपना शेष जीवन इस खेल को समर्पित कर दें।
रायगढ: देश के लिए वल्र्ड कप खेल चुका ये खिलाड़ी आज गुमनामी की जिंदगी जिने को मजबूर है। इंडियन हॉकी टीम का बेहतरीन सेंटर फारवर्ड खिलाड़ी विंसेंट लकड़ा की इच्छा है कि वे अपना शेष जीवन इस खेल को समर्पित कर दें।
इन दिनों लकड़ा, जिला मुख्यालय से 85 किमी दूर आदिवासी ब्लॉक धरमजयगढ़ के कुकरीखोर गांव में हैं, जहां उनके पास जीवन यापन के लिए आज सिर्फ खेती में सिर खपाने के कुछ भी नहीं है। उन्होंने ने 1978 के अर्जेंटीना में हुए चौथे वल्र्ड-कप में बतौर सेंटर फारवर्ड खिलाड़ी के रूप में इंडियन टीम में भाग लिया था।
खिलाडिय़ों के बेहतरीन प्रदर्शन के कारण टीम सेमीफाइनल तक पहुंची थी। लेकिन इंग्लैंड के साथ हुए क्वार्टर फाइनल मैच में फारवर्ड पोजिशन के दोनों खिलाड़ी घायल हो गए, और टीम कमजोर पड़ गई। टीम जर्मनी से सेमीफाइनल मैच हार गई।
टीम में वर्तमान इंडियन हॉकी फेडरेशन के सदस्य अजीत पॉल, भोपाल एकेडमी के अशोक कुमार ध्यानचंद, रांची एकेडमी से जुड़ चुके एस डुंगडुंग, और पंजाब के रिटायर्ट कर्नल बलबीर सिंह जैसे कई बेहतरीन खिलाड़ी शामिल थे। लेकिन वहीं टीम के सबसे महत्वपूर्ण पोजिशन पर खेलने वाले विंसेंट लकड़ा के लिए राज्य शासन तो दूर जिला प्रशासन ने भी कुछ नहीं किया।
अपने कैरियर के दौरान उन्होंने सिंगापुर, मलेशिया, पाकिस्तान जैसे कई देशों में इंटरनेशनल मैच खेले। साथ ही मुंबई में अपने दौर के आगा-खां चैंपियन ट्राफी भी दिलाई। लेकिन वल्र्ड-कप में घुटने पर लगी चोट के कारण वे अधिक समय तक नहीं खेल सके।