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पाकिस्तान में गूंजेगा किसान आंदोलन, जानिए क्या है वजह?

Edited By Rohini Oberoi,Updated: 08 Apr, 2025 10:45 AM

farmers movement will echo in pakistan know what is the reason

पाकिस्तान में किसान संगठनों ने 13 अप्रैल से देशभर में कॉरपोरेट खेती के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की है। इस आंदोलन का उद्देश्य कॉरपोरेट्स के प्रभाव से पारंपरिक खेती और किसानों के अधिकारों की रक्षा करना है। पाकिस्तान किसान...

इंटरनेशनल डेस्क। पाकिस्तान में किसान संगठनों ने 13 अप्रैल से देशभर में कॉरपोरेट खेती के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की है। इस आंदोलन का उद्देश्य कॉरपोरेट्स के प्रभाव से पारंपरिक खेती और किसानों के अधिकारों की रक्षा करना है। पाकिस्तान किसान रबीता समिति, अंजुमन मजारीन पंजाब, हरि जेदोजेहाद समिति और क्रॉफ्टर फाउंडेशन जैसे प्रमुख किसान संगठन इस आंदोलन का हिस्सा बनेंगे। इन संगठनों ने एक संयुक्त बैठक के बाद यह फैसला लिया है कि विरोध प्रदर्शन 13 अप्रैल से शुरू होगा और यह पूरे पाकिस्तान खासकर दक्षिणी पंजाब और अन्य कस्बों में आयोजित किए जाएंगे।

किसान आंदोलन का कारण

पाकिस्तान के किसान मानते हैं कि कॉरपोरेट खेती के बढ़ते प्रभाव से उनकी पारंपरिक भूमि और खेती पर संकट आ सकता है। उन्हें डर है कि इस मॉडल के तहत उनका पारंपरिक कृषि संसाधनों पर अधिकार कमजोर हो सकता है और वे अपने खेतों और भूमि से वंचित हो सकते हैं। ग्रीन पाकिस्तान इनिशिएटिव (GPI) एक सरकारी योजना है जिसका उद्देश्य बंजर भूमि को उपजाऊ बनाना है। इस योजना के तहत नई कृषि तकनीकों जैसे कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)-संचालित निगरानी, उन्नत बीज और बेहतर सिंचाई प्रणाली का इस्तेमाल करने की योजना है। सरकार का दावा है कि इससे खाद्य सुरक्षा में सुधार होगा और कृषि उत्पादन बढ़ेगा लेकिन किसानों को चिंता है कि इस योजनाओं के नाम पर उनके पारंपरिक खेतों को कॉरपोरेट्स के अधीन कर दिया जाएगा।

आंदोलन की मुख्य मांगें

पाकिस्तान के किसानों की मांगें पूरी तरह से कॉरपोरेट खेती और भूमि अधिकारों से जुड़ी हैं। 13 अप्रैल से शुरू होने वाले इस विरोध के दौरान किसानों द्वारा उठाए जाने वाले प्रमुख मुद्दे निम्नलिखित हैं:

➤ कॉरपोरेट खेती की योजना को रद्द किया जाए।

➤ दक्षिणी पंजाब में विवादास्पद नहरों का निर्माण रोका जाए।

➤ सभी सार्वजनिक कृषि भूमि को किसानों में वितरित किया जाए।

➤ किसानों को बकाया के लिए भेजे गए नोटिस वापस लिए जाएं।

➤ चालू कटाई मौसम में गेहूं की सरकारी खरीद दर को 4,000 PKR/40 किलो तय किया जाए।

इन मांगों में सिर्फ आर्थिक न्याय की बात नहीं की गई है बल्कि भूमि स्वामित्व और आर्थिक स्वतंत्रता को लेकर एक गहरी चिंता भी व्यक्त की गई है। किसानों का कहना है कि इन मुद्दों को हल करना पाकिस्तान की सामाजिक और आर्थिक संरचनाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

 

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छोटे किसानों की चिंताएं

पाकिस्तान में छोटे किसानों और कृषि कार्यकर्ताओं के बीच कॉरपोरेट खेती के मॉडल को लेकर गहरी चिंताएं हैं। वे इस बात से डरे हुए हैं कि बड़े कॉरपोरेट्स के प्रभाव से वे अपनी पुश्तैनी ज़मीन से हाथ धो सकते हैं। उनका डर है कि कॉरपोरेट्स बीज, पानी और कृषि उपकरण जैसे संसाधनों पर एकाधिकार बना सकते हैं जिससे उन्हें इन चीजों तक पहुंच नहीं मिलेगी। इसके अलावा किसानों का मानना है कि बड़े कॉरपोरेट्स और सरकार के गठजोड़ से छोटे किसानों को न्याय मिलना मुश्किल हो सकता है और उनकी कानूनी मदद में अड़चनें आ सकती हैं।

आंदोलन का उद्देश्य

पाकिस्तान में किसानों का यह आंदोलन केवल कॉरपोरेट खेती के खिलाफ नहीं है बल्कि यह उनकी भूमि और आर्थिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए भी है। किसान चाहते हैं कि सरकार इस संकट को समझे और उनकी समस्याओं का समाधान करे। किसान संगठन इस आंदोलन के माध्यम से सरकार पर दबाव डालने का प्रयास करेंगे ताकि उनके हितों की रक्षा की जा सके।

 

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भारत में भी रहा था किसान आंदोलन

पाकिस्तान में किसान आंदोलन की घोषणा एक महत्वपूर्ण घटना है खासकर तब जब भारत में भी किसानों ने अपनी भूमि और कृषि के अधिकारों के लिए आंदोलन किया था। भारत में किसानों और सरकार के बीच लंबे समय तक टकराव चलता रहा था और पाकिस्तान में हो रहा यह आंदोलन भारत के किसान आंदोलनों की याद दिलाता है।

फिलहाल पाकिस्तान के किसानों का यह आंदोलन उस देश में कृषि और भूमि अधिकारों को लेकर हो रही चिंता को उजागर करता है जो भविष्य में न केवल कृषि बल्कि देश की सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था पर भी असर डाल सकता है।

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