Edited By Ashish panwar,Updated: 23 Jan, 2020 10:41 PM
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण आदेश देते हुए कहा कि म्यांमार देश में रोहिंग्या की सुरक्षा को सुनिश्चित करें। साथ ही कोर्ट ने कहा है कि रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा और नरसंहार रोका जाएं। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का यह आदेश...
इंटरनेशनल डेस्कः अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण आदेश देते हुए कहा कि म्यांमार देश में रोहिंग्या की सुरक्षा को सुनिश्चित करें। साथ ही कोर्ट ने कहा है कि रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा और नरसंहार रोका जाएं। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का यह आदेश बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में रह रहे साढ़े 7 लाख रोहिंग्या शरणार्थियों की यह पहली कानूनी जीत है। ये शरणार्थी म्यांमार में हुई सैन्य कार्रवाई के बाद भागकर बांग्लादेश आए हैं। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में मामले से संबंधित याचिका गांबिया ने दाखिल की थी।
म्यांमार में रोहिंग्या समुदाय के लोगों के हुए नरसंहार को संयुक्त राष्ट्र के 1948 के अंतरराष्ट्रीय समझौते का स्पष्ट उल्लंघन कहा गया था। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय दो या इससे ज्यादा देशों के बीच के विवादों को निपटाने के लिए सबसे बड़ी अदालत है। न्यायालय का अंतिम आदेश आने के अभी कई सालों का समय लग सकता हैं। लेकिन गांबिया के अपील पर न्यायालय ने गुरुवार को रोहिंग्या समुदाय के लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर अंतरिम आदेश जारी किया। आदेश में कहा गया कि म्यांमार सरकार रोहिंग्या समुदाय की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाए। पीठासीन न्यायाधीश अब्दुलकावी यूसुफ ने आदेश के मुख्य बिंदुओं को घोषणा करते हुए कहा- प्रत्येक 4 महीने में सुरक्षा उपायों की न्यायालय को जानकारी दी जाए। अंतरिम आदेश में कहा गया है कि म्यांमार सरकार हिंसा रोकने के लिए सरकार सेना और अन्य हथियारबंद संगठनों पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करे।