ईरान की जनता को भड़का रहे, ट्रंप- हसन रूहानी

Edited By Ashish panwar,Updated: 27 Jan, 2020 10:42 PM

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ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने देश की जनता से अपील करते हुए कहा है कि,अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रीय एकता को नुकसान पहुंचाने वाले प्रयासों को कभी सफल नहीं होने देंगे। संसदीय चुनावों से पहले की गई इस अपील के साथ ही वह प्रत्याशियों...

इंटरनेशनल डेस्कः ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने देश की जनता से अपील करते हुए कहा है कि,अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रीय एकता को नुकसान पहुंचाने वाले प्रयासों को कभी सफल नहीं होने देंगे। संसदीय चुनावों से पहले की गई इस अपील के साथ ही वह प्रत्याशियों को अयोग्य ठहराए जाने के मुद्दे को लेकर कट्टरपंथियों पर भी बरसे। अमेरिका द्वारा लगाए गए कड़े प्रतिबंधों के कारण ईरान को अपनी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। परमाणु करार से अमेरिका के बाहर निकलने के बाद ईरान के तेल निर्यात पर भी अंकुश लगाया गया है।

 

आधिकारिक वेबसाइट पर लाइव प्रसारण के दौरान रूहानी ने कहा, 'हमें ट्रंप को किसी भी कीमत पर जनता और सरकार के बीच दूरियां पैदा करने में सफल नहीं होने देना है। हमें हरहाल में एकजुट रहना होगा। 21 फरवरी को होने वाले संसदीय चुनावों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें। हमें ट्रंप और व्हाइट हाउस में बैठे आतंकियों को ईरान को अलग-थलग करने के प्रयासों को कामयाब नहीं होने देना है।' ईरान की कट्टरपंथी गार्डियन काउंसिल ने सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। उदारवादियों से संबंध रखने वाले 14 हजार में से करीब नौ हजार प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित कर दिया गया है। उदारवादियों का कहना है कि ज्यादातर शहरों में उनके पास कोई उम्मीदवार ही नहीं है।

 

रूहानी ने कहा, यह संसदीय चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है। उम्मीदवारों को अयोग्य ठहराए जाने के मुद्दे पर संबंधित अधिकारियों को पत्र लिखा है। कट्टरपंथियों का दावा है कि चुनाव में जीत उन्हीं की होगी। अगर वह चुनाव जीतते हैं तो इससे किसी को कोई एतराज नहीं, लेकिन चुनाव को प्रतिस्पर्धी होने से नहीं रोका जाना चाहिए। सभी नागरिकों से अपील है कि उन्हें सरकार से कई शिकायतें हो सकती हैं, लेकिन इसके बावजूद वह मतदान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें। वर्ष 1979 में इस्लामिक क्रांति के बाद से मुल्क की सत्ता पर कट्टरपंथियों की पकड़ रही है। लेकिन पिछले साल आम जनता और शासकों के बीच उस समय दूरियां बढ़ गई जब सरकार विरोधी प्रदर्शनों में सैकड़ों युवाओं को मौत के घाट उतार दिया गया। यूक्रेनी विमान को मार गिराए जाने की घटना ने इस आग में घी का काम किया। 

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