Edited By Tanuja,Updated: 05 Oct, 2021 12:20 PM
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल नए तालिबान शासकों द्वारा मध्य एशियाई बिजली आपूर्ति कंपनियों के बकाया का भुगतान नहीं करने के कारण ...
काबुल: अफगानिस्तान की राजधानी काबुल नए तालिबान शासकों द्वारा मध्य एशियाई बिजली आपूर्ति कंपनियों के बकाया का भुगतान नहीं करने के कारण अंधेरे में डूब सकती है। अफगानिस्तान में राष्ट्रीय बिजली ग्रिड का अभाव है और वह लगभग पूरी तरह से उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान जैसे पड़ोसी देशों से आयातित बिजली पर निर्भर है। इन देशों से आवश्यकता की लगभग आधी बिजली आयात की जाती है।
एक रिपोर्ट के अनुसार दाऊद नूरजई, जिन्होंने देश के राज्य बिजली प्राधिकरण द अफगानिस्तान ब्रेशना शेरकट (डी.ए.बी.एस.) के मुख्य कार्यकारी के पद से इस्तीफा दे दिया, ने चेतावनी दी कि स्थिति मानवीय आपदा का कारण बन सकती है। 15 अगस्त को तालिबान के अधिग्रहण के लगभग 2 सप्ताह बाद नूरजई ने इस्तीफा दे दिया था। नूरजई ने कहा कि बिजली की कमी से स्थिति देशभर में बिगड़ेगी, विशेष रूप से काबुल में ब्लैकआऊट होगा। इस वर्ष के सूखे से भी घरेलू बिजली उत्पादन प्रभावित हुआ है।
इस तरह के हालात पर संयुक्त राष्ट्र लगातार चिंता जताता आ रहा है, वहीं रविवार को यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख जोसप बोरेल ने कहा कि अफगानिस्तान पर गंभीर मानवीय, आर्थिक व सामाजिक संकट का खतरा बना हुआ है, जो क्षेत्रीय व वैश्विक मुसीबतें बढ़ाने वाला है, क्योंकि अफगानिस्तान दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक है, जहां एक तिहाई आबादी दो डॉलर प्रतिदिन से भी कम की आय में गुजर-बसर कर रही है।
दरअसल अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने के बाद से तालिबान को लगातार कई तरह के संकटों का सामना करना पड़ रहा है। अब तालिबान अफगानिस्तान में बिजली आपूर्ति करने वाली कंपनियों का बकाया भुगतान करने में नाकाम हो रहा है, जिससे चलते काबुल सहित पूरे अफगानिस्तान के अंधेरे में डूबने का खतरा मंडरा रहा है। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के दो हफ्ते बाद इस्तीफा देने वाल नूरजाई प्राधिकरण के अधिकारियों के संपर्क में बने हुए हैं। उन्होंने वाल वाल स्ट्रीट जर्नल को बताया कि घरेलू बिजली उत्पादन देश में सूखे की वजह से बुरी तरह प्रभावित हुआ है।