पाकिस्तान में भी तालिबान कस रहा शिकंजा, TTP ने पत्रकारों की दी धमकी

Edited By Tanuja,Updated: 09 Sep, 2021 02:49 PM

pakistan journalist body expresses concern over ttp threat

पाकिस्तान में तालिबान की जीत के बाद सरेआम मनाए गए जश्न ने साबित कर दिया है कि अफगानिस्तान की बर्बादी के पीछ पाक का ही हाथ है। ...

इस्लामाबादः पाकिस्तान में तालिबान की जीत के बाद सरेआम मनाए गए जश्न ने साबित कर दिया है कि अफगानिस्तान की बर्बादी के पीछ पाक का ही हाथ है। अफगानिस्तान के बाद अब तालिबान ने पाक पर भी शिंकजा कसना शुरू कर दिया है।  तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) यानी पाकिस्तानी तालिबान ने अपने मीडिया और पत्रकारों को धमकी दी है। TTP का कहना है कि मीडिया उन्हें “आतंकवादी” कहना बंद करे नहीं उन्हें शत्रु माना जाएगा।

 

TTP के प्रवक्ता मोहम्मद खुरासानी ने सोमवार को सोशल मीडिया पर जारी एक बयान में कहा कि उनका संगठन मीडिया की उन खबरों पर नजर रख रहा है, जिसमें  TTP के लिए “आतंकवादी और चरमपंथी”जैसे विशेषणों का इस्तेमाल किया जाता है। ‘डॉन’ समाचारपत्र ने TTP के ऑनलाइन बयान के हवाले से कहा, ‘‘ TTP के लिए इस तरह के विशेषणों का इस्तेमाल करना मीडिया और पत्रकारों की पक्षपातपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।’’ खुरासानी ने कहा, ‘‘ TTP के लिए इस तरह के विशेषण के इस्तेमाल का मतलब है कि पेशेवर मीडिया अपने कर्तव्य के प्रति बेईमान है और वे अपने लिए दुश्मन पैदा करेंगे।’’


खुरासानी ने कहा कि इसलिए मीडिया को उन्हें तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के नाम से संबोधित करना चाहिए। पाकिस्तानी तालिबान का गठन 2007 में हुआ था और सरकार ने अगस्त 2008 में नागरिकों पर लक्षित हमलों के बाद इसे एक प्रतिबंधित संगठन के रूप में सूचीबद्ध किया था। TTP का पहला प्रमुख बैतुल्ला महसूद 2009 में अमेरिका द्वारा ड्रोन हमले में मारा गया था। पाकिस्तान सरकार ने 2014 की अपनी राष्ट्रीय कार्य योजना में  TTP के सहयोगी समूहों पर प्रतिबंध लगा दिया था और मीडिया द्वारा तथाकथित ‘‘आतंकवादियों के महिमामंडन’’ किये जाने पर रोक लगा दी थी। आतंकवाद के खिलाफ सरकार की लड़ाई की चपेट में आकर अभी तक कई पाकिस्तानी पत्रकार मारे गए हैं।

 

वहीं अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में मंगलवार को रैली को तितर-बितर करने के लिए तालिबान लड़ाकों ने गोलीबारी की और प्रदर्शन को कवर कर रहे कई अफगान पत्रकारों को गिरफ्तार कर लिया। चश्मदीदों और अफगान मीडिया के अनुसार काबुल स्थित पाकिस्तानी दूतावास के सामने पाकिस्तान के आंतरिक मामले में पाकिस्तान के कथित हस्तक्षेप के खिलाफ प्रदर्शन हुआ, खासतौर पर इस्लामाबाद द्वारा पंजशीर में तालिबान विरोधी लड़ाकों के खिलाफ तालिबान की कथित मदद के विरोध में । सोशल मीडिया पर कई पोस्ट किए गए हैं जिनमें पत्रकारों को रिहा करने की मांग की गई है। जिन पत्रकारों को हिरासत में लिया गया था और बाद में रिहा किया गया उनमें से एक अफगान पत्रकार ने एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि उसे तालिबान ने सजा दी।

 
 

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