‘प्रचंड के भारत समर्थक होने से नेपाल-चीन के रिश्तों में आ गई है खटास’

Edited By ,Updated: 22 Mar, 2017 01:20 AM

prachanda has come into nepal china relations due to india support khataas

नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड के चीन की इस हफ्ते होने वाली यात्रा से पहले यहां की सरकारी मीडिया....

बीजिंग: नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड के चीन की इस हफ्ते होने वाली यात्रा से पहले यहां की सरकारी मीडिया ने यह कहते हुए उनकी आलोचना की कि प्रचंड की ‘‘भारत समर्थक’’ नीतियों के कारण दोनों देशों के संबंध ‘‘निचले स्तर’’ पर आ गए हैं। सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में आए लेख में कहा गया कि कुछ समय तक प्रधानमंत्री और कॉम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माआेवादी) के प्रमुख प्रचंड का चीन के प्रति दोस्ताना रूख था। 


लेख में प्रचंड के पूर्व में चीन से करीबी संबंधों और भारत विरोधी बयानबाजी का जिक्र किया गया। अखबार ने कहा लेकिन पिछले साल अगस्त में दूसरी बार प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद प्रचंड दो बार भारत गए और नवंबर में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का काठमांडो में गर्मजोशी से स्वागत किया। लेख के अनुसार, ‘‘प्रचंड की भारत समर्थक विदेश नीति के कारण चीन-नेपाल के संबंध निचले स्तर पर चले गए हैं।’’ ‘‘चीन समर्थक’’ प्रधानमंत्री के पी. शर्मा. आेली की जगह लेने वाले प्रचंड 23 मार्च से चीन का पांच दिन का दौरा शुरू करेंगे और इस दौरान बोआआे फोरम फोर एशिया के वार्षिक सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। उनके चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से भी मिलने की उम्मीद है।


चिनफिंग पिछले साल अपनी दक्षिण एशिया यात्रा के दौरान नेपाल नहीं गए थे। वह साफ तौर पर चीन-नेपाल को रेल से जोडऩे जैसी बहुप्रचारित परियोजनाओं को लेकर प्रगति ना होने से नाराज थे। चिनफिंग इसकी बजाए प्रचंड से ब्रिक्स सम्मेलन से इतर गोवा में मिले। विशेषज्ञों के अनुसार आेली का प्रधानमंत्री पद से हटना चीन के लिए गहरी निराशा की बात थी और उसे तिब्बत के रास्ते नेपाल को अपने रेल एवं सड़क मार्ग से जोडऩे की तथा भूआवेष्टित देश में अपना प्रभाव का विस्तार करने की योजना को लेकर झटका लगा था। 


नेपाल अपनी सभी आपूर्तियों के लिए भारत पर निर्भर है। लेख में आेली सरकार के गिरने को लेकर और परियोजनाओं पर आगे ना बढऩे को लेकर प्रचंड की आलोचना की गई। इसमें कहा गया कि प्रचंड ने भारत के प्रभाव में आकर आेली सरकार गिराई। 
 

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