कभी पुलिस का खबरी था नेंगरू, अब बना जैश का खूंखार आतंकवादी

Edited By rajesh kumar,Updated: 08 Oct, 2019 01:09 PM

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ज्यादा पैसे के लालच ने आशिक अहमद नेंगरु को पुलिस के मुखबिर से एक खूंखार आंतकवादी बना दिया। सूत्रों के अनुसार पुलवामा के ट्रक ड्राइवर नेंगरु को कभी भारत के पक्षधर कश्मीरी के रुप में जाना जाता था...

श्रीनगर: ज्यादा पैसे के लालच ने आशिक अहमद नेंगरु को पुलिस के मुखबिर से एक खूंखार आंतकवादी बना दिया। सूत्रों के अनुसार पुलवामा के ट्रक ड्राइवर नेंगरु को कभी भारत के पक्षधर कश्मीरी के रुप में जाना जाता था। लेकिन आज वह पैसों के लालच में पड़ कर भारतीय सीमा में हथियार, नशीले पदार्थ और आंतकवादी भेजने वाले टॉप आतंकियों में शुमार हो चुका है।

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भारतीय सुरक्षा एजैंसियों ने पंजाब में ड्रोन से हथियार गिराने की घटना के बाद कश्मीर में उन 40 से ज्यादा आतंकवादियों को दबोचने के लिए बड़े पैमाने पर ऑप्रेशन चलाया, जन्हें नेंगरु ने पाकिस्तान के खूंखार आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का नया पोस्टर ब्वॉय बनने के बाद से भारत में कुछ बड़ा ऑप्रेशन करने को उतावला है।

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भारत विरोधी ताकतों के बीच गहरी पकड़
नेंगरु ने पाकिस्तान में प्रशिक्षण प्राप्त इन आंतकवादियों को अंतर्राष्ट्रीय सीमा के जरिए जम्मू-कश्मीर में भेजा है, जिनमें फिदायीनों के भी कुछ छोटे-छोटे समूह हैं। नेंगरू ने पाकिस्तान की खुफिया एजैंसी इंटर सर्विसिज इंटैलीजैंस की मदद से पिछले महीने पंजाब में हथियार उतारने की तैयारी की थी। सीमा पार से स्मगलिंग के जरिए भारत में घातक हथियार भेजने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था। कितनी दिलचस्प बात है कि कभी नेंगुरु की खबर पर घाटी में कई खूंखार आतंकियों को मार गिराया गया था। नेंगरू पुलवामा के काकापोरा इलाके का निवासी है, जो श्रीनगर से 12 कि.मी. दूर पड़ता है। उसने अलगाववादी नेताओं और भारत विरोधी ताकतों के बीच अच्छी पैठ बनाई है। इंटेलीजेंस एजैंसियों के एक डोजियर से पता चलता है कि इसी नेटवर्क के दम पर उसकी श्रीनगर और उसके आस-पास के इलाकों में आतंकी गतिविधियों पर गहरी पकड़ बन गई है।

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डोजियर बताता है कि नेंगरु हिजबुल मुजाहिद्दीन के एक लीडर के संपर्क में आया, जिसने उसे पुलवामा में पत्थरबाजी करवाने का जिम्मा सोंप दिया। वह इलाका घाटी के पत्थरबाजों का सबसे बड़ा केंद्र है। भारत विरोधी हर काम के लिए नेंगरु को कुछ हजार रुपए मिला करते थे। जब उसका लालच बड़ा तो वह हिजबुल को अलविदा कर कर आई.एस.आई के हाथों में खेलने लगा। अपने आकाओं से अच्छा-खासा फंड पाकर उसने कुछ ट्रक खरीद लिए और हथियारों की स्मगलिंग शुरु कर दी। वहीं उसने आतंकवादियों को ढोने में आतंकी संगठनों की भी मदद की।

नेंगुरु का भाई भी जैश का आतंकवादी था
आखिर में उसने जैश-ए-मोहम्मद ज्वाइन कर ली और पी.ओ.के. चला गया। इंटेलीजैंस डोजियर बताता है कि नेंगुरु का भाई मोहम्मद अब्बास भी जैश का ही आतंकवादी था, जो कुछ साल पहले एनकाउंटर में मारा गया था।

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