Edited By ,Updated: 31 Jul, 2015 08:29 AM
आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को भगवान विष्णु के 9वें अवतार भगवान वेद व्यास का जन्म हुआ था। इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा या गुरु पूर्णिमा कहते हैं।
आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को भगवान विष्णु के 9वें अवतार भगवान वेद व्यास का जन्म हुआ था। इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा या गुरु पूर्णिमा कहते हैं। यह गुरु पूजा करने का दिवस है, गुरु के प्रति आस्था, श्रद्धा और समर्पण का महापर्व है। गुरु की पूजा करके हम उस ‘साक्षात परब्रह्म’ का ही पूजन करते हैं जो सर्वेश्वर है। गुरु स्वयं ईश्वर है, परम सत्य है। वह हमारा रक्षक है, मार्गद्रष्टा है।
गुरु को गोविंद से भी बड़ा कहा गया है। गुरु की पूजा कर हम अपने अत्यल्प ‘स्व’ को उसकी सर्वसमर्थ सत्ता में समर्पित अथवा विसर्जित कर देते हैं। पुष्पदंत विरचित ‘शिवमहिम्रस्तोत्रम’ के अनुसार गुरु से बढ़कर कोई तत्व नहीं है, ‘नास्ति तत्वं गुरो: परम्।’
भगवान वेदव्यास का जन्म एक द्वीप पर होने से ये ‘द्वैपायन’ और रंग काला होने के कारण ‘कृष्ण’ अर्थात कृष्णद्वैपायन कहलाए। इनका अवतार धर्म की रक्षा के लिए हुआ। इन्होंने अद्भुत शाश्वत धार्मिक साहित्य की रचना पर मानव जाति को ज्ञान और भक्ति का मार्ग दिखलाया। वस्तुत: हमारा सम्पूर्ण साहित्य ही ‘व्यासोच्छिष्टं जगत्सर्व’ कहा गया है।