कोविड-19 : रोजी-रोटी चलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं करतब दिखाने वाले लोग

Edited By PTI News Agency,Updated: 01 Aug, 2021 05:12 PM

pti maharashtra story

मुंबई, एक अगस्त (भाषा) कई लोगों के लिए रोजी-रोटी कमाना मुश्किल ही नहीं बल्कि बेहद कठिन हो जाता है, खासकर महामारी के दौर में जब लोगों को दो वक्त की रोटी कमाने के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण समय का सामना करना पड़ रहा है और कई गैर परंपरागत काम भी...

मुंबई, एक अगस्त (भाषा) कई लोगों के लिए रोजी-रोटी कमाना मुश्किल ही नहीं बल्कि बेहद कठिन हो जाता है, खासकर महामारी के दौर में जब लोगों को दो वक्त की रोटी कमाने के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण समय का सामना करना पड़ रहा है और कई गैर परंपरागत काम भी करने पड़ रहे हैं। ऐसे में इन लोगों का भविष्य अनिश्चित माना जा रहा है।
पॉवरबॉकिंग, एक्सट्रीम बाइकिंग स्टंट, हिप-हॉपिंग, फ़्रीस्टाइल फ़ुटबॉल या केवल एक 'जीवित प्रतिमा' के रूप में खड़े रहने की कला जैसी कई विविध चीजें हैं, जिनके जरिए लोग जीविकोपार्जन करते हैं और खुद को असामान्य बनाने के अपने जुनून को भी पूरा करते हैं। जीविका कमाने के लिए इस तरह की चीजें करने वाले लोगों को कई महीनों के लॉकडाउन के खत्म होने के बावजूद आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है।
रोहन सिंह एक पावरबॉकर (कंगारू की तरह उछलने की एक कला) का काम करते हैं। इस बारे में कम लोगों को जानकारी होगी ।
पावरबॉकिंग विशेष स्टिल्ट्स पर दौड़ने, कूदने और कलाबाजी करने की कला है। पिछले वर्ष मार्च में महामारी से पहले सब कुछ ठीक चल रहा था और 27 साल के रोहन पावरबॉकिंग प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए दुनिया के विभिन्न देशों की यात्रा करते थे।
रोहन के भाई राहुल ने 2012 में अल्टीमेट स्ट्राइडर्ज़ नामक एक कंपनी की स्थापना की थी। रोहन के मुताबिक यह भारत का पहला पावरबॉकिंग समूह था।
रोहन ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “ महामारी के कारण मनोरंजन जगत और विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन करने वाले उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। कई चीजें दोबारा खोल दी गयी हैं, लेकिन हमारा काम अब तक शुरू नहीं हुआ है।”
रोहन ने अपनी मूलभूत जरूरतों को पूरा करने के लिए एक सेल्स रिप्रेजेंटेटिव के रूप में भी काम करना शुरू कर दिया था, लेकिन यह भी बहुत लंबे समय तक नहीं चल सका।
इस मुश्किल दौर में खुद को सकारात्मक और व्यस्त रखने के लिए रोहन इंस्टाग्राम पर अपने वीडियो अपलोड करते हैं और फिट रहने के लिए कसरत भी करते हैं।
वहीं, फुटबॉल के जरिए करतब दिखाने वाले अक्षय यादव के काम पर भी महामारी का काफी असर पड़ा है। 26 साल के अक्षय भारत के सर्वश्रेष्ठ फ्रीस्टाइल फुटबॉलरों में से एक हैं। अक्षय का कहना है कि फुटबॉल को लेकर वह लोगों की समझ और धारणा को बदलना चाहते हैं।
लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण अक्षय की इस योजना पर पानी फिर गया है। बड़े-बड़े कार्यक्रमों में अभिनेता सलमान खान और वरुण धवन के साथ मंच साझा कर चुके अक्षय का कहना है कि वह अपनी मूलभूत जरुरतों को पूरा करने के लिए डिलीवरी ब्वॉय का काम करने के लिए भी तैयार हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर के फुटबॉल खिलाड़ी डेल पीएरो और बाइचुंग भूटिया भी अक्षय की प्रतिभा को लेकर उनकी प्रशंसा कर चुके हैं।
अक्षय ने कहा, “महामारी के कारण सभी आयोजन रद्द हो गए हैं। अंतरराष्ट्रीय यात्राएं रद्द कर दी गईं, शूटिंग बंद कर दी गई। मैं बाहर अभ्यास भी नहीं कर सका क्योंकि सभी पार्क और समुद्र तट बंद थे। बचत की सारी धन राशि समाप्त हो गयी और जिंदगी में पहली बार मुझे अपने दोस्त से उधार मांगना पड़ा।’’
अक्षय ने कहा कि चीजें धीरे-धीरे ठीक हो रही हैं। उन्होंने कहा, “ मुझे दो फिल्मों के प्रस्ताव मिले हैं। मैं अब किसी भी कीमत पर काम करने के लिए तैयार हूं।”
रोहन और अक्षय के अलावा प्रवीण हबीब तथा गिरजेश गौड़ भी इसी प्रकार के गैर परंपरागत कलाओं के जरिए अपनी आजीविका कमाते हैं और महामारी का यह दौर इन लोगों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण रहा है।


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