2019 लोकसभा चुनाव: आठ राज्यों की 322 सीटों पर होगी महागठबंधन की नज़र

Edited By shukdev,Updated: 10 Aug, 2018 05:41 AM

2019 lok sabha elections elections will be held in 322 seats in eight states

हाल ही की घटनाओं में एनडीए की ताक़त और विपक्ष की कमजोरी देखने को मिली। उपसभापति चुनाव में एनडीए को 232 में 125 वोट मिले और विपक्ष को सिर्फ 105 वोट मिले। 20 जुलाई को सरकार के खिलाफ लाये अविश्वाश प्रस्ताव में भी विपक्ष को 451 वोट में सिर्फ 126 वोट मिले...

नेशनल डेस्क: (मनीष शर्मा) हाल ही की घटनाओं में एनडीए की ताक़त और विपक्ष की कमजोरी देखने को मिली। उपसभापति चुनाव में एनडीए को 232 में 125 वोट मिले और विपक्ष को सिर्फ 105 वोट मिले। 20 जुलाई को सरकार के खिलाफ लाये अविश्वाश प्रस्ताव में भी विपक्ष को 451 वोट में सिर्फ 126 वोट मिले जबकि सरकार को 325 वोट मिले। महागठबंधन बनने का आधार सिर्फ 2014 में मिले वोट शेयर हीं है।

देश के आठ बड़े राज्यों में भाजपा विरोधी मोर्चे ने आकार लेना शुरू कर दिया है। राज्य हैं- उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, ओडिशा, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, और पश्चिम बंगाल। इन आठों राज्यों की कुल सीट 322 है। यही आठ राज्य फैसला करेंगे कि केंद्र में किसकी सरकार बनेगी। जीत किसकी होगी यह भविष्य के गर्भ में है लेकिन हम यह अंदाजा तो लगा ही सकते हैं कि इन राज्यों में महागठबंधन और एनडीए का स्वरूप क्या होगा?

1.उत्तर प्रदेश (80 सीट)

  • 2014 का वोट शेयर:
  • बीजेपी— 42.63%,
  • अपना दल—0.67%,
  • सपा—22.35%,
  • कांग्रेस—7.53%,
  • बसपा—19.77%,
  • राष्ट्रिय लोक दल—0.86%

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2014 के वोट शेयर को देखें तो एनडीए को 43.3 वोट मिले वहीँ महागठबंधन को 50.51% वोट मिले। 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की प्रचंड जीत के बाद समाजवादी पार्टी, बहुजन समाजवादी पार्टी , राष्ट्रीय लोक दल और कांग्रेस को महागठबंधन बनाने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसका नतीजा उन्हें अनुकूल भी मिला। कैराना, गोरखपुर और फूलपुर चुनावों में उन्हें जीत मिली। लेकिन 2019 में कौन सी पार्टी बढ़े भाई की भूमिका निभाएगी इस पर विवाद हो सकता है। फिलहाल बढ़े भाई के लिए पिछले आंकड़े सपा के पक्ष में दिखाई दे रहे हैं। समाजवादी पार्टी किसी भी सूरत में बसपा से कम सीट पर राज़ी नहीं होगी अगर पोस्टपोल अलायन्स पर समझौता होता है तो भी उसका फायदा बीजेपी को होगा। उत्तर प्रदेश में दलित और यादव वोटर्स में सामाजिक दूरी है, इनको साथ में लाना सपा और बसपा नेताओं के लिए मुश्किल होगा। बीजेपी, अपना दल और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी बीच गठबंधन जारी रहेगा। उनके बीच सीटों को लेकर दिक्कत नहीं होगी। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर 42.63% था जो 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में घट कर 41.57% रह गया है।

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2. महाराष्ट्र (48 सीट )

  • 2014 का वोट शेयर :
  • बीजेपी— 27.56%,
  • शिव सेना—20.82%,
  • कांग्रेस—18.29%,
  • एनसीपी— 16.12%,
  • स्वाभिमानी शेतकरी संगठन—0.14%,
  • बसपा—2.63%

उपसभापति के चुनाव में शिवसेना ने भले ही एनडीए के उम्मीदवार के समर्थन में वोट दिया हो लेकिन अगर उम्मीदवार बीजेपी का होता तो तस्वीर दूसरी होती। बीजेपी और शिवसेना के बीच तनाव सार्वजानिक है। अविश्वास प्रस्ताव के दौरान भी शिवसेना ने जिस तरह से सदन से बाहर रहने का फैसला किया वो दोनों दलों के रिश्तों में कड़वाहट को दिखाने वाला था। हाल ही में हुए पालघर उपचुनाव में बीजेपी और शिवसेना अलग अलग लड़ी थीं जिसमे जीत बीजेपी की हुई थी। शिवसेना ने घोषणा कर दी है कि 2019 का चुनाव वो अकेले लड़ेगी। ऐसे में देखा जायेगा कि इसका फायदा एनसीपी और कांग्रेस उठा पाएंगे कि नहीं। 2014 के वोट शेयर में नज़र मारें तो कांग्रेस, बसपा और एनसीपी गठबंधन का वोट शेयर 37.04 बीजेपी के वोट शेयर 27.56% से कहीं ज़्यादा है।

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एनसीपी-कांग्रेस-बसपा के साथ, बहुजन विकास अगाड़ी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया(अंबेडकर और गवई) जैसे दल आ सकते हैं। स्वाभिमानी शेतकरी संगठन ने पिछले लोकसभा चुनाव में 1 सीट जीती थी। स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के अध्यक्ष राजू शेट्टी ने शिवसेना को पेशकश की है कि शिवसेना एनडीए का साथ छोड़ देती है तो वह शिवसेना के  साथ गठबंधन बनाने के लिए तैयार है। बीजेपी अपना गठबंधन रिपब्लिकन पार्टी ऑफ़ इंडिया (अठावले) के साथ कायम रख सकती है।  महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना वोट काटने का काम करेगी।

3. पश्चिम बंगाल: 42 सीट 

  • 2014 का वोट शेयर:
  • तृणमूल कांग्रेस— 39.79%,
  • कांग्रेस— 9.69%,
  • बीजेपी—17.02%,
  • लेफ्ट —25.32%,
  • बसपा—0.49%

पश्चिम बंगाल की राजनीति में वामपंथी विचारधारा हमेशा से हावी रही है। तृणमूल कांग्रेस भी उसी विचारधारा से जुडी हुई है। 2014 में कांग्रेस ने लेफ्ट के साथ गठबंधन किया था। अब की परिस्थिति दूसरी है। कांग्रेस में एक गुट टीएमसी के साथ गठबंधन करने की बात करता है तो दूसरा गुट लेफ्ट की बात करता है। लेकिन 2014 के वोट शेयर को देखें तो टीएमसी का पलड़ा लेफ्ट से भारी दिखता है। कांग्रेस दोनों में से किसको चुनती है यह देखना दिलचस्प होगा। हां अगर कांग्रेस टीएमसी को चुनती है तो सीटों का बड़ा शेयर टीएमसी के पास ही जाएगा। बंगाल की राजनीति में बीजेपी ने नया नया कदम रखा है पर उसे कमज़ोर आंकना भूल होगा। हाल ही के निकाय चुनावों में बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया था और वह दुसरे नंबर पर रही थी। बीजेपी अपना गठबंधन गोरखा जनमुक्ति मोर्चा और कामतापुर पीपल पार्टी के साथ कायम रख सकती है।

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4. बिहार : 40 सीट 

  • 2014 का वोट शेयर:
  • बीजेपी —29.86%,
  • जेडीयू—16.04%,
  • एलजेपी:— 6.50%,
  • कांग्रेस—8.56%,
  • एनसीपी—1.22%,
  • राजद—20.46%,
  • बसपा—2.17%

बिहार में चुनाव दिलचस्प होगा। 2014 में बीजेपी और जेडीयू के बीच मतभेद हो गया था जिसपर जेडीयू ने 17 साल से चला आ रहा गठबंधन तोड़ दिया था लेकिन इसका नुक्सान जेडीयू को उठाना पड़ा। 2014 के आंकड़े को देखते हुए 2015 विधानसभा चुनाव में जेडीयू, राजद और कांग्रेस साथ आये और बहुमत के साथ जीत प्राप्त की। लेकिन नितीश कुमार को यह गठबंधन रास नहीं आया और फिर से एनडीए के साथ जुड़ गए। अब कांग्रेस और राजद बसपा का महागठबंधन बना है उसका वोट शेयर 32.41% एनडीए के वोट शेयर 52.40% से काफी कम है। बिहार में बीजेपी का गठबंधन जेडीयू, लोजपा और राष्ट्रिय लोक समता पार्टी के साथ रहेगा। PunjabKesari

5. ओडिशा: 21 सीट 

  • 2014 के वोट शेयर :
  • बीजेपी— 21.88%.
  • बीजेडी—44.77%,
  • कांग्रेस—26.38%

ओडिशा में नवीन पटनायक का जादू अभी भी कायम है। 2019 के लोकसभा चुनाव में क्या बीजेडी एनडीए के साथ आएगी यह बड़ा प्रश्न है। उपसभापति के चुनाव में जेडीयू के उम्मीदवार के कारण बीजेडी ने अपना समर्थन दिया था। क्या नितीश कुमार नवीन पटनायक को एनडीए के खेमे में ला पाएंगे। यह तो तय है कि बीजेडी विपक्ष के महागठबंधन में शामिल नहीं होगी।

दक्षिण के राज्य
6. कर्नाटक: 28 सीट

  • 2014 का वोट शेयर:
  • बीजेपी—43.37%,
  • कांग्रेस— 41.14%,
  • जनता दाल सेक्युलर—11.07%,

कर्नाटक में गठबंधन के फॉर्मूले से सत्ता तक पहुंची जेडीएस और कांग्रेस ने 2019 के चुनावों में भी हाथ मिलाने का फैसला कर लिया है। आगामी लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टियां मिलकर लड़ेंगी। कर्नाटक में हाल ही में विधानसभा चुनाव हुए हैं। जिनमें किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है। चुनाव परिणाम आने के बाद कांग्रेस के समर्थन से जेडीएस ने सरकार बनाई। कांग्रेस और जेडीएस का वोट देखें तो 2017 में महागठबंधन को ज़्यादा सीटें मिलने की उम्मीदें हैं।

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7. तमिलनाडु—38 सीट

  • 2014 के वोट शेयर:
  • एआईडीएमके— 44.92%,
  • डीएमके— 23.91,
  • बीजेपी—5.53%,
  • कांग्रेस—4.36%

तमिलनाडु की राजनीती हमेशा से द्विध्रुवी रही है। पिछले तीस साल से करूणानिधि और जयललिता ही तमिल राजनीती का चेहरा बने हुए थे। 2016 में एआईडीएमके अध्यक्ष जयललिता का निधन हो गया और अब डीएमके प्रमुख करुणानिधि हमारे बीच नहीं रहे। एआईडीएमके और डीएमके टूट के कगार पर हैं। केंद्र में एआईडीएमके बीजेपी के साथ है तो  डीएमके कांग्रेस के साथ। 2019 का चुनाव बिलकुल भिन्न होगा। रजनीकांत और कमल हासन महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। कमल हासन का झुकाव कांग्रेस की तरफ है तो रजनीकांत बीजेपी को समर्थन दे सकते हैं।

8. आंध्र प्रदेश—25 सीट

  • 2014 के वोट शेयर :
  • टीडीपी—29.36%,
  • टीआरएस—14.03%,
  • बीजेपी—8.52
  • कांग्रेस—11.62%

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हाल ही राज्य को विशेष दर्जा न मिल पाने के कारण टीडीपी एनडीए से बाहर हो गई। जुलाई में टीडीपी के सांसदों ने एनडीए सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया था और उपसभापति के चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार का समर्थन किया था। ऐसे में कयास लगाया जा रहा है कि अगले लोक सभा चुनाव में विपक्ष के साथ टीडीपी जाएगी और तेलंगाना राज्य समिति एनडीए के साथ।

अविश्वास प्रस्ताव और उपसभापति चुनाव में विपक्ष की मैनेजमेंट बुरी तरह फ़ैल हुई है । ऐसे में देखना होगा कि 2019 के चुनाव में महागठबंधन अपनी गलतियों से सबक सीखता है या आसानी से जीत का तौहफा एनडीए को दे देता है।

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