Edited By Seema Sharma,Updated: 17 May, 2018 11:47 AM
अपनी नीति में बड़ा बदलाव करते हुए मोदी सरकार ने नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन.जी.टी.) को इंटैंसिव केयर यूनिट (आई.सी.यू.) से बाहर लाने और उसकी पहले जैसी गरिमा बहाल करने का फैसला किया है। एन.जी.टी. को भंग करने के अपने फैसले को बदलते हुए सरकार ने अब इस...
नेशनल डेस्कः अपनी नीति में बड़ा बदलाव करते हुए मोदी सरकार ने नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन.जी.टी.) को इंटैंसिव केयर यूनिट (आई.सी.यू.) से बाहर लाने और उसकी पहले जैसी गरिमा बहाल करने का फैसला किया है। एन.जी.टी. को भंग करने के अपने फैसले को बदलते हुए सरकार ने अब इस शक्ति विहीन संस्था का नया चेयरमैन नियुक्त करने का फैसला किया है। यह संस्था उस समय निष्क्रिय होकर रह गई थी जब जस्टिस स्वतंत्र कुमार 6 महीने पहले सेवानिवृत्त हुए थे। दिसम्बर के बाद से एन.जी.टी. में कम से कम 80 प्रतिशत स्थान रिक्त पड़े हुए हैं और यह संस्था वास्तव में आई.सी.यू. में थी क्योंकि इसके पास हजारों केस लम्बित हैं। अब समय बदल रहा है और सूत्रों पर विश्वास किया जाए तो उच्चतम न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश जस्टिस आदर्श कुमार गोयल को एन.जी.टी. का नया चेयरमैन नियुक्त किया जा सकता है।
जस्टिस गोयल जुलाई के शुरू में सेवानिवृत्त होने वाले हैं। वह जुलाई 2014 में मोदी सरकार द्वारा उनको उच्चतम न्यायालय में नियुक्त किए जाने से पहले ओडिशा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे। एन.जी.टी. एक्ट के अनुसार उच्चतम न्यायालय का सेवानिवृत्त जज ही एन.जी.टी. का चेयरमैन नियुक्त किया जा सकता है। चेयरमैन का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है। एन.जी.टी. के दिल्ली स्थित प्रधान कार्यालय और उसकी चेन्नई, कोलकाता, भोपाल की 3 जोनल ब्रांचों में कम से कम 30 रिक्त स्थान पड़े हैं। एन.जी.टी. का कामकाज ठप्प होकर रह गया है क्योंकि कोई अकेला सदस्य मामले की सुनवाई नहीं कर सकता। नियमों के अनुसार मामलों की सुनवाई एक न्यायिक और विशेषज्ञ सदस्य द्वारा ही की जा सकती है। दिल्ली में केवल एक बैंच में ही काम हो रहा है जबकि 2 अन्य ठप्प हैं। इसी तरह 2 जोनल ब्रांचें भी ठप्प पड़ी हैं क्योंकि वहां कोई तकनीकी सदस्य नहीं है।
यहां तक कि एक जोन में कोई न्यायिक सदस्य नहीं है मगर समय बदल गया है और सरकार ने फैसला किया है कि न्यायिक और तकनीकी सदस्यों सहित सभी रिक्त स्थानों की पूर्ति की जाए। एन.जी.टी. के विभिन्न शाखाओं में नियुक्त किए जाने वाले 12 तकनीकी सदस्यों के रिक्त स्थानों की पूर्ति के लिए पहले ही विज्ञापन दिए जा चुके हैं। न्यायिक सदस्यों के चयन की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। दूसरा कारण यह भी है कि सरकार ने न्यायपालिका के साथ शांति बनाए रखने का फैसला किया है। वह चुनावी वर्ष में टकराव पैदा करना नहीं चाहती।