Edited By ,Updated: 11 Apr, 2015 09:47 PM
बिहार के मधुवनी जिले के सौराठ गांव विवाह के मामलों में सबसे मशहुर है। यह गांव बिहार की सांस्कृतिक राजधानी दरभंगा जिले से सटे मधुबनी जिले
बिहार. बिहार के मधुवनी जिले के सौराठ गांव विवाह के मामलों में सबसे मशहुर है। यह गांव बिहार की सांस्कृतिक राजधानी दरभंगा जिले से सटे मधुबनी जिले में स्थित है। जानकारी के अनुसार यहां इंसानों के विवाह का प्रकृति से एक अनोखा रिश्ता है। एक ऐसा रिश्ता जिसके बारे में शायद आपको जानकर कुछ अटपटा लगे। इस गांव में होने वाले कार्यक्रम आसपास के गांवों और पूरे मिथिलांचल में यह गांव सबसे अधिक प्रसिद्ध है।
इसलिए है प्रसिद्ध
जानकारी के अनुसार इस गांव में एक सभा लगती है जिसका नाम सौराठ सभा गाछी है। गाछी मिथिलांचल में फलों के बगीचे के लिए प्रयोग किया जाने वाला शब्द है। गौर रहे कि हर वर्ष होने वाली इस सभा में दूरदराज जिलों के लोग भी भाग लेते हें। यहां बड़ी संख्या में मैथिल ब्राह्मण अपने बच्चों के साथ इक_ा होते हैं। विवाह के मौसम में आयोजित इस सभा का उद्देश्य मैथिल ब्राह्मण लड़के और लड़कियों की शादी तय करना है।
कैसे की जाती है शादी तय
गांव में जन्मपत्र और राशिफल के आधार पर युवक व युवतियों की शादी की कुंडली मिलाई जाती है। राशिफल मिल जाने पर पंजीकार द्वारा जोड़ों की शादी निश्चित कर दी जाती है।
क्यो है सभा की विशेषता
जेठ और अषाढ़ में लगने वाली इस सभा की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां आने वाले लोगों की संख्या जब 1,00,000 पार कर जाती है तो वहाँ 22 बीघा जमीन में लगे पेड़ों से अपने-आप ही सारे पत्ते झड़ जाते हैं। सुदूर क्षेत्रों से वहां आने वाले लोगों के बीच यह वर्षों से जिज्ञासा का विषय रहा है जिसका आज तक कोई ठोस जवाब नहीं मिल पाया है। वहां की युवा पीढ़ी इस सच को अपनी आंखों से ना देख पाने के कारण बड़े-बुजुर्गों की बातों पर चुटकी लेते हुए कहते हैं कि यहां मोदी जी की सभा करवानी पड़ेगी, और फिर देखना पड़ेगा कि पेड़ों से पत्ते गिरते हैं की नहीं।