Edited By ,Updated: 28 Jul, 2015 12:51 PM
उच्चतम न्यायालय ने याकूब अब्दुल रज्जाक मेमन की वह याचिका वृहत पीठ को भेज दी है जिसमें उसने 1993 के मुंबई बम विस्फोट मामले में 30 जुलाई को निर्धारित अपनी फांसी की सजा की तामील पर रोक लगाने की मांग की है।
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने याकूब अब्दुल रज्जाक मेमन की वह याचिका वृहत पीठ को भेज दी है जिसमें उसने 1993 के मुंबई बम विस्फोट मामले में 30 जुलाई को निर्धारित अपनी फांसी की सजा की तामील पर रोक लगाने की मांग की है। मेमन की याचिका पर विचार करने के मुद्दे पर न्यायमूर्ति एआर दवे और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ के बीच मतभेद होने की खबर है।
मुंबई हमले के गुनहगार याकूब मेमन को 30 जुलाई को फांसी दी जानी है। याकूब पर फैसला सोमवार को ही आना था लेकिन सुनवाई के दौरान जजों की बेंच ने इस मामले की और तफ्सील से सुनवाई की जरूरत समझी। जस्टिस दवे ने पूछा कि क्या एक आदमी दो जगहों पर एक साथ अपील कर सकता है। क्या जब राज्यपाल और राष्ट्रपति के पास अर्जी दी गई है, ऐसे में डेथ ऑर्डर जारी किया जा सकता है।
याकूब की फांसी की सजा टालने के लिए करीब 300 लोगों ने राष्ट्रपति को अर्जी दी है। याकूब ने महाराष्ट्र के राज्यपाल के पास भी नए सिरे से दया याचिका भेजी थी। राज्यपाल विद्यासागर राव भी याचिका पर फैसला ले सकते हैं। राष्ट्रपति पहले ही उसकी दया याचिका को खारिज कर चुके हैं। गौरतलब है कि 1993 के सीरियल बम धमाके में 257 लोगों की मौत हुई थी। इस मामले में टाडा कोर्ट ने 2007 में ही याकूब मेमन को फांसी की सजा सुनाई थी।