Bye-Bye 2018ः महाराष्ट्र में छाया रहा मराठा आरक्षण और जातीय हिंसा का मुद्दा

Edited By Anil dev,Updated: 19 Dec, 2018 06:20 PM

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महाराष्ट्र में इस साल आरक्षण की राजनीति और जातीय हिंसा का मुद्दा छाया रहा, इसके अलावा सत्ताधारी भाजपा और शिवसेना के बीच रिश्तों में कभी नरमी तो कभी गर्मी देखी गई। महाराष्ट्र की 12 करोड़ की आबादी में 30 फीसदी मराठा समुदाय को लंबे आंदोलन के बाद इस...

मुबंई: महाराष्ट्र में इस साल आरक्षण की राजनीति और जातीय हिंसा का मुद्दा छाया रहा, इसके अलावा सत्ताधारी भाजपा और शिवसेना के बीच रिश्तों में कभी नरमी तो कभी गर्मी देखी गई। महाराष्ट्र की 12 करोड़ की आबादी में 30 फीसदी मराठा समुदाय को लंबे आंदोलन के बाद इस साल नौकरियों और शिक्षा में 16 प्रतिशत आरक्षण मिला। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार ने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया जिसने मराठाओं को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा करार दिया।  इससे पहले कांग्रेस-राकांपा सरकार ने मराठों को 16 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया था, लेकिन वह फैसला कानूनी कसौटी पर खरा नहीं कर उतर पाया था। राज्य में विभिन्न विभागों में रिक्त पड़े 72 हजार पदों में से 36 हजार पदों को भरने के लिए नियुक्ति अभियान चलाने के फडणवीस सरकार के एलान के बीच मराठा आरक्षण को बंबई उच्च न्यायालय में चुनौती भी दी गई। औरंगाबाद जिले में गोदावरी नदी में कूद कर जुलाई में काकासाहेब शिंदे की आत्महत्या के बाद मराठवाड़ा से शुरू हुआ आरक्षण आंदोलन पूरे राज्य में फैल गया था। 

महाराष्ट्र के कई कस्बों और शहरों में दलितों ने किए आंदोलन
वहीं, एक जनवरी को पुणे जिले में भीमा-कोरेगांव युद्ध की 200वीं बरसी के दौरान पथराव और तोडफ़ोड़ ने महाराष्ट्र को हिलाकर रख दिया था। इस घटना के खिलाफ महाराष्ट्र के कई कस्बों और शहरों में दलितों ने आंदोलन किए। उनका विरोध प्रदर्शन मुंबई में भी फैल गया। यहां प्रदर्शनकारियों ने बसों में तोडफ़ोड़ की और सड़क और रेल यातायात को बाधित कर दिया।  इस सिलसिले में पुणे पुलिस ने सितंबर में महाराष्ट्र, तेलंगाना, दिल्ली, हरियाणा और गोवा में छापेमारी कर माओवादियों से संपर्क रखने के संदेह में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं वर्नेन गोन्साल्विस, अरुण फरेरा, गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज और वरवर राव को गिरफ्तार किया। 

भाजपा-शिवसेना रिश्तों में रही खटास
पुलिस का कहना है कि पांचों कार्यकर्ता दलितों के बीच तनाव फैलाने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाने पर लेने की साजिश का हिस्सा थे। इसके अलावा यह वर्ष चार साल के भाजपा-शिवसेना रिश्तों के बीच राम मंदिर निर्माण को लेकर तल्खियों के गवाह के तौर पर भी जाना जाएगा। नवंबर में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे राम मंदिर निर्माण की मांग को लेकर शिवसेना कार्यकर्ताओं के साथ अयोध्या पहुंचे। राजनीति पर्यवेक्षकों का मानना है कि उद्धव का यह दौरा 2019 में राम मंदिर निर्माण को लेकर भाजपा को उसी के जाल में फंसा कर हराने का प्रयास है। राज्य सरकार ने इस साल राज्य के 26 जिलों के 151 तालुकाओं को सूखाग्रस्त घोषित किया है और केंद्र सरकार से 7,962.63 करोड़ रुपए की सहायता राशि मांगी है।     

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