कोविड-19 से निपटने के तौर तरीकों को लेकर केंद्र ने बंगाल सरकार को लगाई फटकार

Edited By shukdev,Updated: 07 May, 2020 12:17 AM

center reprimands bengal government for ways to deal with kovid 19

कोविड-19 से निपटने में पश्चिम बंगाल सरकार के तौर-तरीकों को लेकर बुधवार को केंद्र ने राज्य को फटकार लगाते हुए कहा कि प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण की जांच दर बहुत कम है, जबकि बाजारों में अत्यधिक भीड-भाड़, लोगों के क्रिकेट, फुटबॉल खेलने और नदियों...

नई दिल्ली: कोविड-19 से निपटने में पश्चिम बंगाल सरकार के तौर-तरीकों को लेकर बुधवार को केंद्र ने राज्य को फटकार लगाते हुए कहा कि प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण की जांच दर बहुत कम है, जबकि बाजारों में अत्यधिक भीड-भाड़, लोगों के क्रिकेट, फुटबॉल खेलने और नदियों में नहाने जैसी लॉकडाउन उल्लंघन की घटनाओं के चलते कोविड-19 मरीजों की मृत्यु दर काफी बढ़ी है। 

पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा को लिखे दो पृष्ठों के पत्र में केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा कि लॉकडाउन का सख्त अनुपालन कराने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि समस्या स्वास्थ्य विशेषज्ञों के असहयोग और राज्य में पृथक-वास सुविधाओं के अभाव के चलते पैदा हुई। दो अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीमों (आईसीएमटी) द्वारा रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद भल्ला ने यह पत्र लिखा है।

ये दोनों टीमें कोलकाता और जलपाईगुड़ी जिलों में 20 अप्रैल से तैनात थीं तथा ये सोमवार को लौटी हैं। उन्होंने अपने पत्र में कहा,‘पश्चिम बंगाल में कोरोना वायरस संक्रमण की जांच दर आबादी के अनुपात में बहुत कम हो रही है, जबकि राज्य में कोविड-19 के मरीजों की मृत्यु दर (किसी भी राज्य के मामले में) सर्वाधिक है।' इसमें कहा गया है कि राज्य में कोविड-19 के मरीजों की मृत्यु दर 13.2 प्रतिशत है। 

भल्ला ने कहा कि यह राज्य में उपयुक्त निगरानी नहीं किया जाना, संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए लोगों का तत्परता से पता नहीं लगाना और जांच दर कम रहने को यह प्रदर्शित करता है। उन्होंने कहा कि भीड़-भाड़ वाले इलाकों में लोगों की औचक जांच बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कोलकाता और हावड़ा शहरों में कुछ खास समुदायों द्वारा कुछ खास स्थानों पर लॉकडाउन उल्लंघन की घटनाएं देखने को मिली हैं। साथ ही, ऐसे इलाकों में पुलिसकर्मियों सहित कोरोना योद्धाओं पर हमले की खबरें भी मीडिया में आईं। 

गृह सचिव ने कहा कि समुचित स्वच्छता का अभाव, बाजारों में अत्यधिक भीड़, बिना मास्क पहने लोगों के बड़ी संख्या में आवाजाही करने, नदियों में लोगों के नहाने, क्रिकेट और फुटबॉल खेलने, निषिद्ध क्षेत्रों में लॉकडाउन उपायों का पालन कराने में गंभीर लापरवाही, बगैर किसी प्रतिबंध के रिक्शा चलाया जाना, लॉकडाउन के निर्देशों और सामाजिक मेलजोल से दूरी के मानकों के गंभीर उल्लंघन के उदाहरण हैं। उन्होंने कहा कि ये सभी जिला प्रशासन द्वारा उपयुक्त निरीक्षण नहीं किये जाने और भीड़ नियंत्रण के उपायों को लागू नहीं करने के नतीजे हैं। भल्ला ने कहा कि आईसीएमटी ने राज्य के सात जिलों का व्यापक दौरा किया और अपने अवलोकन से राज्य सरकार को समय-समय पर अवगत कराया। 

गृह सचिव ने कहा कि विश्वास बहाली के उपायों के साथ गहन निगरानी और जांच के जरिए तथा आरोग्य सेतु ऐप के प्रभावी उपयोग से वायरस के प्रसार को रोकने में मदद मिल सकती है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) और एन 95 मास्क भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के मानकों पर खरा उतरे और गैर-कोविड अस्पतालों के स्वास्थ्य कर्मियों के लिये उपलब्ध हो। 

पत्र में कहा गया है कि राज्य सरकार को केंद्र के दिशानिर्देशों के मुताबिक गरीबों और प्रवासी मजदूरों के कल्याण के लिए भी ध्यान देना चाहिए तथा राहत शिविरों की संख्या सहित उनकी कठिनाइयों को दूर करने के लिये उठाये गये कदमों पर सूचना साझा करनी चाहिए। भल्ला ने कहा कि दार्जीलिंग, सिल्लीगुड़ी के चाय बागान मजदूरों को पर्याप्त मुआवजा देना चाहिए क्योंकि लॉकडाउन के प्रथम चरण के दौरान इन्हें कथित तौर पर कम मजदूरी दी गई है। 

उन्होंने कहा कि निगरानी और कोविड-19 के पॉजिटिव मामलों के बीच अंतराल है। उन्होंने कहा,‘राज्य ने परिवारों की संख्या के बारे में आंकड़े तैयार नहीं किए हैं।' उन्होंने कहा कि जांच नतीजों में अनिश्चितकाल की देरी ने संक्रमित मरीज के संपर्क में आये लोगों का पता लगाने की प्रक्रिया प्रभावित की है और रोगियों को जोखिम में डाल दिया है। कोविड-19 से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए एक जन शिकायत निवारण तंत्र होना चाहिए।

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