'अवैज्ञानिक पद्धति' : वैश्विक भुखमरी सूचकांक में भारत के फिसलने पर बोली केंद्र सरकार

Edited By Yaspal,Updated: 15 Oct, 2021 07:49 PM

central government bids on india s slip in global hunger index

सरकार ने कहा कि यह स्तब्ध कर देने वाला है कि वैश्विक भूख सूचकांक में भारत की रैंक और घटी है और उसने रैंकिंग के लिए इस्तेमाल की गई पद्धति को ‘‘अवैज्ञानिक'''' बताया। भारत 116 देशों के वैश्विक भूख सूचकांक (जीएचआई) 2021 में 101वें स्थान पर पहुंच गया है,...

नई दिल्लीः सरकार ने कहा कि यह स्तब्ध कर देने वाला है कि वैश्विक भूख सूचकांक में भारत की रैंक और घटी है और उसने रैंकिंग के लिए इस्तेमाल की गई पद्धति को ‘‘अवैज्ञानिक'' बताया। भारत 116 देशों के वैश्विक भूख सूचकांक (जीएचआई) 2021 में 101वें स्थान पर पहुंच गया है, जो 2020 में 94वें स्थान पर था। भारत अब अपने पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल से पीछे है।

रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कहा कि यह ‘‘चौंकाने वाला'' है कि वैश्विक भूख रिपोर्ट 2021 ने कुपोषित आबादी के अनुपात पर एफएओ के अनुमान के आधार पर भारत के रैंक को कम कर दिया है, जो ‘‘जमीनी वास्तविकता और तथ्यों से रहित, और गंभीर कार्यप्रणाली मुद्दों से ग्रस्त'' पाया जाता है। मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘इस रिपोर्ट की प्रकाशन एजेंसियों, कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेल्ट हंगरहिल्फ ने रिपोर्ट जारी करने से पहले उचित मेहनत नहीं की है।''

मंत्रालय ने दावा किया कि एफएओ द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली कार्यप्रणाली ‘‘अवैज्ञानिक'' है। उसने कहा, ‘‘उन्होंने ‘चार प्रश्न' के एक जनमत सर्वेक्षण के परिणामों पर अपना मूल्यांकन किया है, जो गैलप द्वारा टेलीफोन पर किया गया था। इस अवधि के दौरान प्रति व्यक्ति खाद्यान्न की उपलब्धता जैसे अल्पपोषण को मापने के लिए कोई वैज्ञानिक पद्धति नहीं है। अल्पपोषण का वैज्ञानिक माप करने के लिए वजन और ऊंचाई की माप की आवश्यकता होती है, जबकि यहां शामिल पद्धति जनसंख्या के पूरी तरह से टेलीफोन पर अनुमान के आधार पर गैलप पोल पर आधारित है।''

मंत्रालय ने कहा कि रिपोर्ट ‘‘कोविड -19 अवधि के दौरान पूरी आबादी की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार के बड़े पैमाने पर प्रयासों'' की पूरी तरह से अनदेखी करती है, जिस पर सत्यापन योग्य डाटा उपलब्ध है। मंत्रालय ने कहा, ‘‘जनमत सर्वेक्षण में एक भी ऐसा सवाल नहीं है कि क्या प्रतिवादी को सरकार या अन्य स्रोतों से कोई खाद्य मदद मिली है।''

मंत्रालय ने कहा कि यह ‘‘आश्चर्य की बात है कि, एफएओ की रिपोर्ट ‘द स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन इन द वर्ल्ड 2021' में इस बात पर गौर किया गया है कि इस क्षेत्र के अन्य चार देश अफगानिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका, महामारी के कारण नौकरी/व्यवसाय के नुकसान और आय के स्तर में कमी से बिल्कुल भी प्रभावित नहीं हुए हैं।'' मंत्रालय ने कहा कि 2017-19 की तुलना में 2018-20 की अवधि के दौरान ये देश ‘अल्पपोषित आबादी के अनुपात' संकेतक पर क्रमशः 4.3 प्रतिशत, 3.3 प्रतिशत, 1.3 प्रतिशत और 0.8 प्रतिशत अंक से अपनी स्थिति में सुधार करने में सक्षम थे।

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