अमेरिकी वैज्ञानिकों का दावाः बोलने और सांस के जरिए भी फैलता है कोरोना वायरस

Edited By Tanuja,Updated: 04 Apr, 2020 04:58 PM

coronavirus can spread through just breathing talking us

कोरोना वायरस को लेकर अमेरिकी वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि यह घातक वायरस बोलने और सांस के जरिए भी फैलता है । अमेरिका के एक उच्च स्तरीय पैनल ने सुझाव दिया कि बीमारी ...

 वॉशिगटनः कोरोना वायरस को लेकर अमेरिकी वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि यह घातक वायरस बोलने और सांस के जरिए भी फैलता है । अमेरिका के एक उच्च स्तरीय पैनल ने सुझाव दिया कि बीमारी फैलाने वाला वायरस एयरबोर्न (हवा में मौजूद) है। यह पहले के मुकाबले अब बहुत आसानी और सुगम तरीके से लोगों के बीच फैल रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जब लोग सांस छोड़ते हैं तो उससे पैदा होने वाली अल्ट्राफाइन मिस्ट (धुंध) में वायरस जिंदा रहता है। विज्ञान, इंजीनियरिंग और मेडिसिन की स्थायी समिति के अध्यक्ष डॉक्टर हार्वे फिनबर्ग ने एक पत्र में कहा, 'वर्तमान शोध सीमित है, उपलब्ध अध्ययनों के परिणाम सांस लेने से होने वाले वायरस के प्रसार को दिखाते हैं।' उनका कहना है कि कोरोना वायरस महामारी सांस लेने और बात करने से भी फैल सकती है।

 

यह समिति अमेरिकी सरकार को विज्ञान और उभरती संक्रामक बीमारियों और अन्य सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरों से संबंधित नीतिगत फैसले लेने में मदद करती है। एक वायरोलॉजिस्ट ने कहा, इससे यह समझा सकता है कि वायरस इतनी तेजी से क्यों फैल रहा है और इसका प्रमाण भी मिल गया है। ऐसे में पूरी तरह से लॉकडाउन और सामाजिक दूरी बनाए रखना बेहद जरूरी हो जाता है। विशेष रूप से भारत जैसे अत्यधिक आबादी वाले देशों में एयरबोर्न वायरस और बैक्टीरिया अधिक संक्रामक और चिंता का विषय है। अभी तक भारत में कोविड-19 से संक्रमितों की संख्या 2547 हो चुकी है जबकि मृतकों की संख्या 62 पर पहुंच गई है।

 

अमेरिका के एक उच्च स्तरीय पैनल का कहना है कि कोरोना वायरस महामारी सांस लेने और बात करने से भी फैल सकती है। पैनल ने बुधवार को सुझाव दिया कि बीमारी फैलाने वाला वायरस एयरबोर्न (हवा में मौजूद) है। यह पहले के मुकाबले अब बहुत आसानी और सुगम तरीके से लोगों के बीच फैल रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जब लोग सांस छोड़ते हैं तो उससे पैदा होने वाली अल्ट्राफाइन मिस्ट (धुंध) में वायरस जिंदा रहता है। विज्ञान, इंजीनियरिंग और मेडिसिन की स्थायी समिति के अध्यक्ष डॉक्टर हार्वे फिनबर्ग ने एक पत्र में कहा, 'वर्तमान शोध सीमित है, उपलब्ध अध्ययनों के परिणाम सांस लेने से होने वाले वायरस के प्रसार को दिखाते हैं।'

 

यह समिति अमेरिकी सरकार को विज्ञान और उभरती संक्रामक बीमारियों और अन्य सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरों से संबंधित नीतिगत फैसले लेने में मदद करती है।  एक वायरोलॉजिस्ट ने कहा, इससे यह समझा सकता है कि वायरस इतनी तेजी से क्यों फैल रहा है और इसका प्रमाण भी मिल गया है। ऐसे में पूरी तरह से लॉकडाउन और सामाजिक दूरी बनाए रखना बेहद जरूरी हो जाता है। विशेष रूप से भारत जैसे अत्यधिक आबादी वाले देशों में एयरबोर्न वायरस और बैक्टीरिया अधिक संक्रामक और चिंता का विषय है। अभी तक भारत में कोविड-19 से संक्रमितों की संख्या 2547 हो चुकी है जबकि मृतकों की संख्या 62 पर पहुंच गई है।

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