मोदी के शपथ लेने से पहले पाक अखबार ने निकाली भड़ास, उठाए ये बड़े सवाल

Edited By Tanuja,Updated: 30 May, 2019 03:35 PM

dawn published article about modi s victory

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रचंड जीत को पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान हजम नहीं कर पा रहा है । पीएम मोदी आज दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले हैं लेकिन दूसरी तरफ पाकिस्‍तान में इसको लेकर भारी उथल-पुथल मची हुई है...

इस्लामाबादः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रचंड जीत को पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान हजम नहीं कर पा रहा है । पीएम मोदी आज दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले हैं लेकिन दूसरी तरफ पाकिस्‍तान में इसको लेकर भारी उथल-पुथल मची हुई है। दरअसल, पाकिस्‍तान के नामी अखबार डॉन में आज जो लेख छपा है वह इसी उथल-पुथल की तरफ इशारा कर रहा है।

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यह लेख पाकिस्‍तान की एक जानी-मानी शख्सियत और मानवाधिकार कार्यकर्ता इब्‍न अब्‍दुर रहमान ने लिखा है। उन्‍होंने लिखा है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिली प्रचंड जीत के बाद भारत ने अपनी सेक्‍युलरिज्‍म की छवि को दफन कर दिया है। इसमें यहां तक लिखा है कि भाजपा ने इस चुनाव में जिस रणनीति से काम किया था वह पूरे देश को हिंदू राष्‍ट्र में बदलने की नीति थी। इसमें उसको सफलता मिली है। रहमान ने लिखा है कि मतदाताओं ने नरेंद्र मोदी को सत्‍ता में वापस लाकर इस ओर इशारा कर दिया है कि उनके लिए सेक्‍युलर होने की छवि केवल दिखावे भर के लिए ही है। मतदाताओं ने उन्‍हें इस चुनाव में प्रचंड जीत दिलाकर मोदी को अल्‍पसंख्‍यकों के प्रति निरंकुश बनने का लाइसेंस दे दिया है।

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उन्‍होंने अपने इस लेख से न सिर्फ पीएम मोदी को कटघरे में लाने की कोशिश की है बल्कि सेना पर भी सवाल खड़ा किया है। उन्‍होंने लिखा है कि यह जीत इस बात की तरफ इशारा है कि कश्‍मीर में मसले का निपटारा केवल और केवल सेना की वादी में सख्‍ती से ही किया जा सकता है। उन्‍होंने लिखा है कि भाजपा ने यह पूरा चुनाव पाकिस्‍तान से भारत को खतरे के मुद्दे पर लड़ा था। उनकी सरकार में दोबारा वापसी भारत के पड़ोसी देश खासकर पाकिस्‍तान से भारत के संबंधों पर जरूर असर डालेगी। कश्‍मीर को लेकर उन्‍होंने पीएम मोदी की वापसी को बेहद बुरा बताते हुए लिखा है कि इससे वहां पर सेना को जहां नागरिकों पर दबाव बढ़ाने की मंजूरी मिल जाएगी वहीं नागरिकों को मिले बुनियादी अधिकार भी खत्‍म हो जाएंगे।

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चुनाव का जिक्र करते हुए रहमान ने लिखा है कि इस चुनाव में कांग्रेस समेत लेफ्ट पार्टियों को भी अपनी जमीन से हाथ धोना पड़ा है।बता दें कि इससे पहले 2014 में भी जब पहली बार नरेंद्र मोदी ने देश की बागडोर संभाली थी तब पाकिस्‍तान में उन्‍हें कट्टर सोच वाला एक निरंकुश शासक बताया था। मीडिया में इस दौरान बढ़-चढ़कर गुजरात दंगों का भी जिक्र किया था। मीडिया डिबेट में इसको लेकर लगातार चर्चाओं का दौर गरम था। वह सब अब फिर से पाकिस्‍तान में दिखाई दे रहा है।

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