जम्मू-कश्मीर के दौरे पर पहुंचा विदेशी राजनायिकों का प्रतिनिधिमंडल, लोगों से की बात

Edited By Yaspal,Updated: 17 Feb, 2021 06:41 PM

delegation of foreign diplomats reached jammu and kashmir talks to people

कई यूरोपीय देशों और ओआईसी के कुछ देशों के राजनयिकों के एक समूह का जम्मू कश्मीर का दो दिवसीय दौरा बुधवार से शुरू हो गया जो केंद्रशासित प्रदेश में खासकर हाल में हुए जिला विकास परिषद (डीडीसी) चुनाव के बाद की स्थिति का जायजा लेगा। उल्लेखनीय है कि 2019...

नेशनल डेस्कः कई यूरोपीय देशों और ओआईसी के कुछ देशों के राजनयिकों के एक समूह का जम्मू कश्मीर का दो दिवसीय दौरा बुधवार से शुरू हो गया जो केंद्रशासित प्रदेश में खासकर हाल में हुए जिला विकास परिषद (डीडीसी) चुनाव के बाद की स्थिति का जायजा लेगा। उल्लेखनीय है कि 2019 में जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर इसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था। अधिकारियों ने यहां बताया कि प्रतिनिधिमंडल को कड़े सुरक्षा प्रबंधों के बीच मध्य कश्मीर के मागम ले जाया गया जिसमें इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के चार देशों-मलेशिया, बांग्लादेश, सेनेगल और ताजिकिस्तान के राजनयिक भी शामिल हैं।

प्रतिनिधिमंडल में ब्राजील, इटली, फिनलैंड, क्यूबा, चिली, पुर्तगाल, नीदरलैंड, बेल्जियम, स्पेन, स्वीडन, किर्गिस्तान, आयरलैंड, घाना, एस्टोनिया, बोलिविया, मालावी, इरिट्रिया और आइवरी कोस्ट के राजनयिक भी शामिल हैं। पांच अगस्त 2019 को पूर्ववर्ती राज्य का विशेष दर्जा खत्म कर इसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित किए जाने के बाद से यह तीसरा प्रतिनिधिमंडल है जिसने जम्मू कश्मीर का दौरा किया है। मागम में राजनयिकों का यह प्रतिनिधिमंडल एक कॉलेज गया जहां उनका पारंपरिक तरीक से स्वागत किया गया। उन्होंने वहां स्थानीय लोगों से बात की।

अधिकारियों ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल और स्थानीय लोगों के बीच खुलकर चर्चा हुई। राजनयिकों से बात करने वाले डीडीसी बडगाम के अध्यक्ष नजीर अहमद ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने सरकार द्वारा खाद्य, बिजली और अच्छी सड़कों जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराए जाने की आवश्यकता जताई। अहमद ने कहा, ‘‘बडगाम एक पिछड़ा जिला है जिसे विकास की आवश्यकता है। हमारी चर्चा इसी के इर्द-गिर्द थी।'' बाद में, प्रतिनिधिमंडल को प्रसिद्ध डल झील के पास स्थित एक होटल ले जाया गया जहां राजनयिकों ने श्रीनगर के महापौर, नवगठित जिला विकास परिषदों, खंड विकास परिषदों और नगर परिषदों के अध्यक्षों से बात की।

प्रतिनिधिमंडल को जमीनी स्तर पर लोकतंत्र सुनिश्चित करने और जम्मू कश्मीर में पंचायतों को वित्तीय शक्तियां प्रदान कर उन्हें मजबूत बनाने की सरकार की पहल से अवगत कराया गया। अधिकारियों ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल में ओआईसी से जुड़े देशों के राजनयिकों को शामिल करना एक महत्वपूर्ण चीज है जिससे कि केंद्रशासित प्रदेश में स्थिति को लेकर पाकिस्तान के दुष्प्रचार का आसानी से मुकाबला किया जा सके।

उल्लेखनीय है कि ओआईसी के महासचिव की विदेश मंत्रियों की परिषद के 47वें सत्र में रखी गई रिपोर्ट में जम्मू कश्मीर की स्थिति का जिक्र किया गया था और कहा गया था, ‘‘क्षेत्र के जनांकिक और भौगोलिक समीकरण को बदलने की दिशा में पांच अगस्त 2019 का भारत सरकार के फैसले और लगातार बाधित गतिविधियों और जारी प्रतिबंधों तथा मानवाधिकारों के उल्लंघन ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को नए प्रयासों के लिए जागृत किया है।''

भारत ने हालांकि, पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा था कि यह ‘‘दुखद है कि ओआईसी एक ऐसे खास देश द्वारा खुद के मंच का लगातार इस्तेमाल होने दे रहा है जिसका धार्मिक सहिष्णुता, कट्टरपंथ, अल्पसंख्यकों के दमन, भारत विरोधी दुष्प्रचार करने का बेहद खराब रिकॉर्ड है।'' यहां यह उल्लेख किया जा सकता है कि जम्मू कश्मीर में इस महीने के शुरू में इंटरनेट संबंधी पाबंदी खत्म कर दी गई थी और इसकी गति 2 जी से बढ़ाकर 4जी कर दी गई थी।

घाटी में अपने पड़ाव के दौरान प्रतिनिधिमंडल डल झील के किनारे स्थित हजरत बल दरगाह जाएगा और दस्तकारों से मुलाकात भी करेगा। इसके बाद राजनयिकों का यह समूह बृहस्पतिवार को जम्मू जाएगा जहां यह अधिकारियों और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मुलाकात करेगा। इस बीच, एक संबंधित घटनाक्रम में श्रीनगर के कुछ हिस्सों में आज बंद रहा। लाल चौक और आसपास के कुछ इलाकों में दुकानें बंद रहीं क्योंकि अधिकारियों ने प्रतिनिधिमंडल का निर्बाध दौरा सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा के अतिरिक्त इंतजाम किए थे। हालांकि, सड़कों पर यातायात सामान्य था।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज ने कहा कि राजनयिकों का दौरा लगभग हर साल होता है और यह बेकार की कवायद है क्योंकि सरकार को इससे कोई फायदा नहीं होता। उन्होंने कहा कि इससे बेहतर यह होगा कि भारत सरकार कश्मीर के मुख्यधारा के राजनीतिक दलों से बात करे। वहीं, मीरवाइज उमर फारूक के नेतृत्व वाली हुर्रियत कॉन्फ्रेंस ने कहा कि राजनयिकों का दौरा विश्व को भ्रमित करने के लिए है।

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