Edited By Yaspal,Updated: 17 Jun, 2020 07:27 PM
लद्दाख में एलएसी पर भारत-चीन सेना के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों में तनातनी बढ़ गई है। एलएसी पर जारी तनातनी के बीच भारत चीन पर कड़े आर्थिक फैसले कर सकता है। भारत में कई चीनी कंपनियों के प्रोजेक्ट चल रहे हैं, जिन पर कड़ाई हो सकती है। उन...
नेशनल डेस्कः लद्दाख में एलएसी पर भारत-चीन सेना के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों में तनातनी बढ़ गई है। एलएसी पर जारी तनातनी के बीच भारत चीन पर कड़े आर्थिक फैसले कर सकता है। भारत में कई चीनी कंपनियों के प्रोजेक्ट चल रहे हैं, जिन पर कड़ाई हो सकती है। उन प्रोजेक्टों को रद्द किया जा सकता है, जिनमें चीनी कंपनियों ने करार हासिल किए हैं। इनमें से एक है मेरठ रैपिट रेल प्रोजेक्ट। जिसकी बिड चीनी कंपनी ने हासिल की है।
बताया जा रहा है कि चीना सीमा पर विवाद के बाद भारत सरकार ने उन प्रोजेक्ट की समीक्षा शुरू कर दी है, जो चीनी कंपनियों को दी गई है। इसमें दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस प्रोजेक्ट भी है। सरकार की ओर से बिड को कैंसिल करने के लिए सभी कानूनी पहलुओं को देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि इस बिड को सरकार रद्द कर सकती है।
क्या है दिल्ली-मेरठ RRTS प्रोजेक्ट
दिल्ली-मेरठ के बीच सेमी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर बनना है। इस प्रोजेक्ट से दिल्ली, गाजियाबाद होते हुए मेरठ से जुड़ेगी। 82.15 किलोमीटर लंबे आरआरटीएस में 68.03 किलोमीटर हिस्सा एलिवेटेड और 14.12 किलोमीटर अंडरग्राउंड होगा। इस प्रोजेक्ट से मुख्य रूप से उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश जाने वालों को खासा फायदा होगा।
क्यों हो रहा है बवाल
दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस प्रोजेक्ट के अंडरग्राउंड स्ट्रेच बनाने के लिए सबसे कम रकम की बोली एक चीनी कंपनी शंघाई टनल इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड (STEC) ने लगाई है। एसटीईसी ने 1126 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। चीनी कंपनी को स्ट्रेच का काम दिए जाने का विपक्ष समेत स्वदेशी जागरण मंच विरोध कर रही है।
इन कंपनियों ने लगाई थी बोली
दिल्ली-मेरठ RRTS कॉरिडोर में न्यू अशोक नगर से साहिबाबाद के बीच 5.6 किमी तक अंडरग्राउंड सेक्शन का निर्माण होना है। इसके लिए पांच कंपनियों ने बोली लगाई थी। चीनी कंपनी STEC ने सबसे कम 1,126 करोड़ रुपये की बोली लगाई। भारतीय कंपनी लार्सन ऐंड टूब्रो (L&T) ने 1,170 करोड़ रुपये की बोली लगाई।