ऐसे ही नहीं पिघली रिश्‍तों में जमी बर्फ, चीन और PAK से संबंध सुधारने में डोभाल की अहम भूमिका

Edited By Seema Sharma,Updated: 26 Feb, 2021 01:21 PM

doval important role in improving relations with china and pakistan

भारत और पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा पर और अन्य क्षेत्रों में संघर्ष विराम संबंधी सभी समझौतों का सख्ती से पालन करने पर गुरुवार को सहमति जताई। वहीं, सैन्य अधिकारियों ने कहा कि आतंकवाद और घुसपैठ से लड़ने के लिए पाकिस्तान सीमा पर सैनिकों की तैनाती या...

नेशनल डेस्क: भारत और पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा पर और अन्य क्षेत्रों में संघर्ष विराम संबंधी सभी समझौतों का सख्ती से पालन करने पर गुरुवार को सहमति जताई। वहीं, सैन्य अधिकारियों ने कहा कि आतंकवाद और घुसपैठ से लड़ने के लिए पाकिस्तान सीमा पर सैनिकों की तैनाती या सैन्य अभियानों में कमी नहीं की जाएगी। इस्लामाबाद और नई दिल्ली में एक संयुक्त बयान जारी कर दोनों पक्षों ने कहा कि दोनों देशों के सैन्य अभियान महानिदेशकों (DGMO) ने हॉटलाइन संपर्क तंत्र को लेकर चर्चा की और नियंत्रण रेखा एवं सभी अन्य क्षेत्रों में हालात की सौहार्दपूर्ण एवं खुले माहौल में समीक्षा की। दूसरी तरफ इन दिनों लद्दाख में हालात सामान्य हैं। आपसी सहमति के बाद भारत-चीन की सेनाएं LAC से पीछे हटी हैं।

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चीन और पाकिस्तान के साथ रिश्तों पर जमी बर्फ यूं ही नहीं पिघली है। राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का इसमें अहम रोल रहा है। डोभाल ने सिर्फ पाकिस्‍तानी सेना से ही नहीं बल्कि इमरान सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ महीनों बैक चैनल बातचीत की। डोभाल के प्रयास के बाद ही भारत-पाकिस्तान के रिश्तों पर जमी बर्फ पिघली और बातचीत आगे बढ़ी।

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इमरान खान के विशेष सलाहकार से डोभाल की मुलाकात
जानकारी के मुताबिक अजित डोभाल ने सुरक्षा मामलों में पाकिस्‍तान की इमरान सरकार के विशेष सलाहकार मोइड यूसुफ से किसी तीसरे देश में मुलाकात की थी। द इंडियन एक्‍सप्रेस की खबर के मुताबिक डोभाल ने पाकिस्‍तानी सेना प्रमख जनरल कमर जावेद बाजवा भी से बातचीत की। दरअसल इन दोनों से बातचीत इसलिए जरूरी थी क्योंकि यूसुफ इमरान के बेहद करीबी हैं तो वहीं बाजवा सेना प्रमुख हैं। हालांकि मोइद यूसुफ ने इस रिपोर्ट को खारिज किया है कि उनकी डोभाल से मुलाकात हुई। यूसुफ ने कहा कि उनकी डोभाल से कोई मुलाकात और बातचीत नहीं है, यह सब आधारहीन बातें हैं। हालांकि द इंडियन एक्‍सप्रेस का कहना है कि भारत-पाकिस्तान खुलकर इस पर कुछ नहीं कहेगा। वहीं हिंदुस्तान टाइम्‍स का कहना है कि कुछ ही लोगों को इस बातचीन की जानकारी थी। वो लोग थे- प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर।

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LAC विवाद सुलझाने में भी अहम भूमिका
डोभाल ने चीन से LAC विवाद सुलझाने में अहम भूमिका निभाई। सूत्रों के मुताबिक डोभाल ने गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ करीब दो घंटे तक वीडियो कॉल पर बात की थी। इसी बातचीत के बाद LAC पर दोनों देशों के बीच कुछ मामलों में सहमति बनी। डोभाल ने चीन के साथ बैक चैनल पर बात जारी रखी थी। हाल ही में चीन ने लद्दाख के पौगेंग झील से अपने सैनिकों को पीछे हटा लिया है। 

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बता दें कि 2008 मुंबई आतंकी हमले के बाद से पाकिस्‍तान के साथ भारत का रिश्ता तनावपूर्ण चल रहा था। 2014 में मोदी सरकार आने के बाद इस तनाव को कम करने की कोशिश की गई। दिसंबर 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अचानक लाहौर पहुंच गए थे और पाकिस्‍तान के तत्‍कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मिले थे। मगर इस मुलाकात के हफ्ते भर बाद ही पठानकोट एयरबेस पर आतंकी हमला हो गया था। जिससे दोनों देशों के बनते रिश्ते एक बार फिर से बिगड़ गए। उरी और पुलवामा हमले ने तो बातचीत के सारे रास्ते बंद कर दिए और दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया। भारत और पाकिस्तान ने 2003 में संघर्ष विराम समझौता किया था लेकिन पिछले कुछ सालों से शायद ही इस पर अमल हुआ। पाकिस्तान की तरफ से अचानक ही बिना किसी उकसावे के अक्सर सीजफायर का उल्लंघन किया गया।

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