Edited By Pardeep,Updated: 16 Jan, 2022 01:09 AM
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अपनी बांग्लादेशी समकक्ष एजेंसी के साथ मिलकर पाकिस्तान में छपने वाले नकली भारतीय नोट की अवैध खेप पर रोक लगाने के लिए जांच शुरू की है। माना जा
नेशनल डेस्कः राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अपनी बांग्लादेशी समकक्ष एजेंसी के साथ मिलकर पाकिस्तान में छपने वाले नकली भारतीय नोट की अवैध खेप पर रोक लगाने के लिए जांच शुरू की है। माना जा रहा है कि ये फर्जी करेंसी बांग्लादेश के जरिए भारत में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की मदद से पहुंचाई जा रही है। यह उन मामलों में से एक है जिनकी जांच विदेशी भूमि पर एनआईए की ओर से राष्ट्रीय जांच एजेंसी अधिनियम 2008 के तहत की जा रही है।
एनआईए के इंस्पेक्टर अर्पण साहा को इस मामले मुख्य जांच अधिकारी (सीआईओ) नियुक्त किया गया है। साहा एजेंसी के गुवाहाटी ब्रांच ऑफिस में तैनात हैं। माना जा रहा है कि नकली नोटों की खेप पहुंचाकर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई भारत की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाना चाहती है। बता दें कि नोटबंदी लागू करने से पहले भी आईएसआई ऐसी हरकतें करती रहती थी लेकिन नोटबंदी के बाद ऐसे मामलों में बड़े स्तर पर कमी देखी गई थी।
इसे लेकर एनआईए ने पिछले साल 30 दिसंबर को एक मामला दर्ज किया था और साहा को मामले की जांच शुरू करने का निर्देश दिया था। मामले की गंभीरता और इसके अंतरराष्ट्रीय संबंधों को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसका संज्ञान लिया था और पिछले महीने एनआई को इसकी जांच एनआईए अधिनियम के तहत करने को कहा था। बांग्लादेश पुलिस ने 26 नवंबर 2021 को दो तस्करों को 7.35 करोड़ रुपये की नकली भारतीय मुद्रा के साथ गिरफ्तार किया था।
चूंकि जब्त की गई नकली मुद्रा भारतीय थी, इसलिए बांग्लादेश की पुलिस ने भारत को इस बारे में जानकारी दी। गिरफ्तार किए गए तस्करों की पहचान फातिमा अख्तर आपी और मोहम्मद अबू तालिब के रूप में हुई थी। दोनों से पूछताछ के दौरान पता चला कि 500 रुपये के नोटों में यह खेप दो पाकिस्तानी नागरिकों के जरिए आई थी, जिनके नाम सुल्तान और रफी हैं। अब भारत-बांग्लादेश की एजेंसियां मिलकर इस रैकेट का पर्दाफाश करने के काम में जुट गई हैं।