ग्लोबल वार्मिंग से भारत में बढ़ेगी गर्मी, कोलकाता हो सकता है सर्वाधिक प्रभावति

Edited By shukdev,Updated: 08 Oct, 2018 10:16 PM

global warming will increase in india calcutta can be the most influential

ग्लोबल वार्मिंग के कारण धरती के तापमान में दो डिग्री सेल्सियस के संभावित इजाफे से भारत को भयानक लू का सामना करना पड़ सकता है। जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के अंतरसरकारी समूह (आईपीसीसी)की सोमवार को जारी रिपोर्ट में यह आशंका जताते हुए भारत में...

नई दिल्ली: ग्लोबल वार्मिंग के कारण धरती के तापमान में दो डिग्री सेल्सियस के संभावित इजाफे से भारत को भयानक लू का सामना करना पड़ सकता है। जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के अंतरसरकारी समूह (आईपीसीसी)की सोमवार को जारी रिपोर्ट में यह आशंका जताते हुए भारत में घातक लू के दौर से कोलकाता के सर्वाधिक प्रभावित होने की आशंका से इंकार नहीं किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार नाइजीरिया में लागोस और चीन के शंघाई सहित अन्य महानगरों के तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ोतरी की आशंका के कारण साल 2050 तक प्रभावित महानगरों के लगभग 35 करोड़ लोग भीषण गर्मी से प्रभावित होंगे। रिपोर्ट में तापमान बढ़ोतरी की चपेट में आए महानगरों की संख्या भी दोगुनी होने की बात कही गई है। 

नजरअंदाज किया गया तो भविष्य में वैश्विक अर्थव्यवस्था पर होंगे व्यापक बदलाव
रिपोर्ट में वैश्विक स्तर पर जलवायु संबंधी आपाधापी को देखते हुए इस बात के लिए आगाह भी किया गया है कि अगर इस बदलाव को नजरअंदाज किया गया तो भविष्य में समाज और वैश्विक अर्थव्यवस्था में व्यापक बदलाव करने पड़ेंगे। रिपोर्ट के अनुसार तापमान में सालाना दो डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी की आशंका वाले शहरों में कराची (पाकिस्तान) और कोलकाता (भारत) भी शामिल है।

PunjabKesariखतरों के दायरे में आने वाले शहरों में सालाना 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान बढऩे की आशंका
इसके अलावा वैश्विक तापमान बढ़ोतरी (ग्लोबल वार्मिंग) के क्षेत्रीय आधार पर विभिन्न खतरों के दायरे में आने वाले शहरों में सालाना 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान बढऩे की आशंका है। इस दायरे में दक्षिण एशिया के भारत, पाकिस्तान और चीन के अलावा उपसहारा क्षेत्र के अफ्रीकी देश, मध्य पूर्व और पूर्वी एशियाई देशों के तमाम शहर शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार यद्यपि ग्लोबल वार्मिंग के कारण तापमान में 1.5 या 2.0 डिग्री सेल्सियस बढ़ोतरी वाले संभावित इलाकों के दायरे में उत्तरी गोलार्ध क्षेत्र को प्रमुखता से शामिल किया गया है, वहीं उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र और दक्षिणी गोलार्ध क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों पर इसका सर्वाधिक असर देखने को मिल सकता है।

आर्थिक विकास में दिखेगा भारी अंतर
रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन संबंधी अनुमान की अनिश्चितताओं के बावजूद तापमान में 1.5 से 2.0 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी की आशंका वाले संभावित इलाकों में विकसित और विकासशील देशों के आर्थिक विकास में भारी अंतर भी दिखेगा। इसके परिणामस्वरूप रिपोर्ट में अफ्रीका और दक्षिण पूर्वी एशिया देशों के अलावा मैक्सिको, भारत और ब्राजील में प्रति व्यक्ति विकास दर के आधार पर सकल घरेलू उत्पाद में उल्लेखनीय गिरावट आने की भी आशंका व्यक्त की गई है।  

समुद्र तटीय इलाकों में जलस्तर बढऩे से उठाना पड़ेगा करोड़ो डॉलर का अतिरिक्त बोझ
ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र तटीय इलाकों में जलस्तर बढऩे की कीमत करोड़ों डॉलर के अतिरिक्त आर्थिक बोझ के रूप में चुकानी पड़ेगी। इस खतरे के दायरे में दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के तटीय इलाकों को शामिल किया गया है। समुद्री जलस्तर बढऩे के खतरे से तटीय इलाकों की लगभग पांच करोड़ आबादी प्रभावित होगी। इसमें चीन, बांग्लादेश, चीन, मिस्र, भारत, इंडोनेशिया, जापान, फिलीपीन, अमरीका और वियतनाम के तटीय क्षेत्र शामिल हैं।  

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