इमरान का PM बनना बढ़ाएगा भारत की टैंशन

Edited By Tanuja,Updated: 26 Jul, 2018 01:01 PM

imran taliban khan will increase tention for india as pm

पाकिस्तान में आम चुनाव के लिए कल हुए एेतिहासिक चुनाव  में मतदान के बाद आ रहे  परिणामों के आधार पर पूर्व क्रिकेटर से  राजनेता बने  इमरान खान की जीत लगभग निश्चित नजर आ रही है...

पेशावर:  पाकिस्तान में आम चुनाव के लिए कल हुए एेतिहासिक चुनाव  में मतदान के बाद आ रहे  परिणामों के आधार पर पूर्व क्रिकेटर से  राजनेता बने  इमरान खान की जीत लगभग निश्चित नजर आ रही है। इमरान की जीत से पाकिस्तान को क्या फायदा होगा यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन उनकी जीत भारत के लिए चिंता का सबब जरूर बन सकती है। अब तक के चुनाव परिणाम में  इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) की स्थिति सबसे मजबूत जा रही है। 

नवाज शरीफ की पार्टी (पीएमएल-एन) और  पाकिस्तान पीपल्स पार्टी दोनों की नेतृत्व वाली सरकार के साथ भारत द्व‍िपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने की कोश‍िश कर चुका है। लेकिन अगर इस बार  इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी सत्ता में आती है तो भारत के लिए एक नई पार्टी के साथ डील करने का नया अनुभव होगा। इस लिहाज से पाकिस्तान के उदारवादी धड़े के बीच 'तालिबान खान' के नाम से चर्चित इमरान का PM बनना  भारत के लिए चिंता की बात है।
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पाकिस्तान सेना नहीं चाहती कि कोई स्थ‍िर नागरिक सरकार सत्ता में आए, क्योंकि इससे प्रशासन पर उसका प्रभाव कम होगा।  ऐसे में वह इमरान खान की पार्टी को बढ़ावा दिया क्योंकि इमरान खान की सोच सेना की सोच से काफी मिलती जुलती है। इमरान खान आतंकी ग्रुपों के साथ बातचीत का रास्ता अपनाने की सोच व कट्टरपंथी संस्थाओं और आतंकी संगठन के साथ म‍िलकर चलने में विश्वास रखते हैं। ऐसे में कई बार विपक्षी उनको तालिबानी खान कहकर भी विरोध कर चुके हैं।

यह है पाक सेना और ISI का प्लान  
पाक सेना और ISI का प्लान है कि अगर इमरान खान की पार्टी बहुमत  में आती है तो  हाफ‍िज सईद के समर्थन वाले उम्मीदवार वाली पार्टी अल्लाह हू अकबर तहरीक की समर्थन से सरकार बनाई जा सके। पाक सेना इसलिए भी इमरान पर दांव खेल रही है क्योंकि पूर्व में नवाज शरीफ की पार्टी (पीएमएल-एन)  और पाकिस्तान पिपल्स पार्टी दोनों ही भारत के साथ रिश्ते सुधारने पर जोर दे चुके हैं। जबकि चुनावी रैलियों में इमरान  के भाषणों की पड़ताल करें तो  ये बात  स्पष्ट हो जाती है कि कि भारत के प्रति उनका क्या रुख हो  सकता है। 'भारत और मोदी को प्यारे हैं नवाज' बोलने वाले इमरान भारत के लिए हानिकारक इसलिए भी माने जा रहे हैं क्योंकि उन पर सेना और ISI  के साथ  सांठगांठ के आरोप भी लग चुके  हैं।  इमरान ने लोगों को यह कहते हुए उकसाया कि, 'भारत और मोदी को नवाज प्यारे हैं लेकिन वे हमारी सेना से नफरत करते हैं। विश्लेषकों का मानना है कि पाक सेना भारत से संबंध नहीं सुधारना चाहती इसलिए वो इमरान को सत्ता को लाकर अपना गंदा खेल जारी रखना चाहती है। 
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उधर इमरान खान भी नवाज शरीफ को आधुनिक मीर जाफर कह मोदी की भाषा बोलने वाला बता चुके हैं। इमरान ने अपने पूरे कैंपेन में काफी उग्र तरीके से कश्मीर का मुद्दा उठाया है। भारत को कश्मीर में हिंसा का जिम्मेदार बताया है। यहां तक कि भारत की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद इमरान ने काफी तीखे तेवर दिखाते हुए कहा था कि 'मैं नवाज शरीफ को बताऊंगा कि मोदी को कैसे जवाब देना है।' अब जिस तरह से इमरान ने भारत के खिलाफ पाकिस्तानी जनता को अपना स्टैंड दिखाया है, वह इसी ओर इशारा कर रहा है कि पड़ोसी मुल्क के प्रति उनकी नीति भारत के लिए हानिकारक हो सकती है। 

क्या है इमरान का 'तालिबान खान'  कनैक्शन
पाकिस्तान में भी एक उदारवादी धड़ा बसता है। इस उदारवादी धड़े के बीच पिछले कुछ सालों से इमरान खान एक अलग नाम से भी जाने जाते हैं। यह नाम है 'तालिबान खान'। दरअसल पाकिस्तान के कट्टरपंथी धड़ों का समर्थन करने की वजह से इमरान को यह नया नाम मिला है। इमरान की इस तरह की राजनीति नई नहीं है। 2013 में अमरीकी ड्रोन हमले में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) का कमांडर वली-उर-रहमान मारा गया था। उस समय इमरान ने उसे 'शांति समर्थक' के खिताब से नवाजा था। इमरान का यह तालिबान प्रेम पिछले सालों में इस कदर सार्वजनिक रहा है कि गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर पश्चिम प्रांत खैबर पख्तुनख्वा में उनकी प्रांतीय गठबंधन सरकार ने 2017 में हक्कानी मदरसे को 30 लाख डॉलर की मदद दी।  

PunjabKesariऐसे में इस बात की आशंका है कि इमरान के हाथ में अगर सत्ता आई तो पाकिस्तान में कट्टरपंथियों को उभार मिलेगा। ये कट्टरपंथी पाकिस्तान में बैठ भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देते हैं। ऐसे में इनके मजबूत होने की आशंका मात्र ही भारत के लिए खतरनाक नजर आती है। इमरान खान के उलट नवाज शरीफ भारत के साथ वार्ता के पक्षधर रहे हैं। भारत में नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद नवाज शरीफ उन नेताओं में शामिल थे जो शपथ ग्रहण समारोह में आए। 

 

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