जयशंकर ने कहा-भारत अब वह देश नहीं रहा जो धीमी गति से घिसट-घिसट कर चलता था

Edited By Tanuja,Updated: 04 Jun, 2023 10:51 AM

india no longer lumbering around at relatively slow pace jaishankar

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि भारत अब वह देश नहीं रहा जो अपेक्षाकृत धीमी गति से घिसट-घिसट कर चलता था। जयशंकर ने...

जोहानिसबर्ग: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि भारत अब वह देश नहीं रहा जो अपेक्षाकृत धीमी गति से घिसट-घिसट कर चलता था। जयशंकर ने ब्रिक्स सम्मलेन के लिए दक्षिण अफ्रीका की अपनी तीन दिवसीय यात्रा के अंतिम दिन यह बात कही। उन्होंने कहा, ‘‘यह अब वह भारत नहीं है जो अपेक्षाकृत धीमी गति से घिसट-घिसट कर चलता था। जब डिजिटल की बात आती है तो मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि भारत में जो चीजें मैं देख रहा हूं, वह मुझे यूरोप तथा उत्तर अमेरिका में भी नहीं दिखती।'' जयशंकर ने कहा, ‘‘जब हम इन नौ वर्ष में बदलाव की गति की बात करते हैं तो भारत में इस स्तर पर हो रहा बदलाव वाकई बहुत प्रभावशाली एवं बहुत बड़ा है और विदेश में रह रहे भारतीय समुदाय और विदेश में भारत के शुभचिंतकों को भी इस बात को समझने की जरूरत है।''

 

वह शनिवार शाम को केपटाउन में स्थानीय और प्रवासी समुदाय द्वारा उनके सम्मान में आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच खास संबंधों के बारे में भी बात की। जयशंकर दक्षिण अफ्रीका द्वारा आयोजित ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) समूह की बैठक के लिए जोहानिसबर्ग में थे। भारतीयों की आत्म-निर्भरता को बढ़ाने के लिए मोदी सरकार की नौ साल की उपलब्धियों पर जोर देते हुए जयशंकर ने कहा कि यह संरक्षणवादी प्रयास नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘एक आत्म-निर्भर भारत ऐसा संरक्षणवादी भारत नहीं है, जो स्वयं को दुनिया के लिए बंद कर रहा है। यह ऐसा भारत है जो असल में भारत में और अधिक निर्माण कर रहा है, जो दुनिया के लिए अधिक निर्माण कर रहा है और जो दुनिया के साथ मिलकर अधिक निर्माण कर रहा है।''

 

उन्होंने कहा कि पिछले साल भारत का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 86 अरब डॉलर था जो दुनिया में सबसे अधिक था। अगले 25 वर्ष के लिए भारत की दूरदृष्टि के बारे में विदेश मंत्री ने कहा कि आज की पीढ़ी को यह दिखाना महत्वपूर्ण है कि उनमें बहुत बड़े पैमाने पर बहुत बड़े काम करने की क्षमता है। उन्होंने भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच खास संबंधों के बारे में भी बात की जो नए राजनयिक रिश्ते के 30 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाएंगे। रंगभेद के कारण दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध में करीब चार दशक का विराम आया था।

 

जयशंकर ने कहा, ‘‘जैसे ही हम आजाद हुए और दक्षिण अफ्रीका को रंगभेद के खिलाफ उसके संघर्ष में सहयोग करते रहे तो नेल्सन मंडेला और महात्मा गांधी के प्रतीकों ने बहुत गहरी जड़ें जमा ली।'' उन्होंने कहा कि आज दोनों देशों के बीच करीब 18 अरब डॉलर का व्यापार होता है। उन्होंने अपने संबोधन में विभिन्न मंचों पर अंतरराष्ट्रीय मुद्दों, क्रिकेट, भारत में चीतों को फिर से बसाने और कोविड-19 टीकों जैसे अनगिनत क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच सहयोग पर भी बात की। दक्षिण अफ्रीका की यात्रा के लिए वीजा हासिल करने में हो रही मुश्किलों पर जयशंकर ने कहा कि भारत में दक्षिण अफ्रीकी आवेदकों के लिए ई-वीजा प्रणाली है जो काफी अच्छी तरह और तेजी से काम करती है।  

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