चीन का राशन खा रहे भारत के कई गांवों के लोग, हकीकत बढ़ा देगी मोदी की टैंशन

Edited By Tanuja,Updated: 30 Sep, 2018 11:18 AM

indian people using chinese grocery in tibetan border villages

भारत-चीन के बीच डोकलाम को लेकर बेशक तनाव कम हो गया है लेकिन अब चीन को लेकर एक एेसा नया मामला सामने आया है जिससे भारत की टैंशन बढ़ जाएगी। एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय राज्य उत्तराखंड में तिब्बत सीमा से सटे करीब छह गांवों में लोग चीन का राशन...

इंटरनेशनल डैस्कः भारत-चीन के बीच डोकलाम को लेकर बेशक तनाव कम हो गया है लेकिन अब चीन को लेकर एक एेसा नया मामला सामने आया है जिससे भारत की टैंशन बढ़ जाएगी। एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय राज्य उत्तराखंड में तिब्बत सीमा से सटे करीब छह गांवों में लोग चीन का राशन, रिफाइंड, सब्जियां-मसाले और नमक खा रहे हैं। ये वस्तुएं चीन के जरिए नेपाल के छांगरु तिंकर के रास्ते भारत पहुंच रही हैं। नजंग के आगे रास्ता बंद होने की वजह से सीमांत के इन गांवों में भारत से जरूरी सामान नहीं पहुंच पा रहा है। यही वजह है कि इन गांवों के लोग नेपाल जाकर अपनी जरूरत का सामान ला रहे हैं।
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गर्ब्यांग, गुंजी, नपल्चू, नाभि, रौंककौंग, कुटी आदि गांव तिब्बत सीमा से सटे हुए हैं। इन गांवों में 350-400 परिवार रहते हैं। कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग के इन गांवों में धारचूला से खाने-पीने की वस्तुओं की आपूर्ति होती है। धारचूला से 100-105 किमी दूरी पर बसे इन गांवों में घोड़े, खच्चर से माल पहुंचाया जाता है। इस समय धारचूला से गुंजी तक निर्माणाधीन सड़क के लिए पहाड़ काटे जा रहे हैं। धारचूला से 56 किमी दूर गर्बाधार के आगे ब्लास्टिंग के चलते पहाड़ों से मलबा, बोल्डर गिरने का डर है। इस वजह से घोड़े, खच्चर इन रास्तों पर नहीं जा रहे हैं। इस कारण सीमांत गांवों में खाने-पीने की वस्तुएं नहीं पहुंच पा रही हैं। ऐसे में ये ग्रामीण सीतापुल से नेपाल के छांगरु तिंकर पहुंच कर वहां से चीन का रिफाइंड, चावल, सब्जियां, मसाला आदि ला रहे हैं।
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भारत का अंतिम गांव कुटी के प्रधान गुलाब सिंह का कहना है कि केंद्र और प्रदेश सरकार भारत के आखिरी गांव में खाद्य सामग्री उपलब्ध नहीं करा पा रही हैं। लोग नेपाल के माध्यम से चीन से आने वाला चावल, तेल, मसाले खाने को मजबूर हैं। सरकार को हमारे बारे में भी सोचना चाहिए। नजंग के आगे रास्ता बंद होने से माल नहीं पहुंच पा रहा है। हमारी विशेष पूजा पद्धति होती है, इसमें पूरे गांव को दावत देनी होती है। ऐसे में हम लोगों को नेपाल से रसद खरीद कर लानी पड़ती है। सरकार हमको पर्याप्त खाद्य वस्तुएं दे तो नेपाल पर निर्भरता खत्म हो जाएगी। बता दे कि चीन की मुद्रा युआन को  ग्रामीण स्थानीय भाषा में स्युगर कहते हैं। एक स्युगर की कीमत करीब 11 रुपए आंकी जाती है।

PunjabKesariचीन की वस्तुओं की कीमत स्युगर में

वस्तु   चीनी करंसी  भारतीय करंसी
चावल 10 किलो 55-65 स्युगर   605- 715 रुपए
रिफाइंड पांच लीटर 70-80 स्युगर  770-880 रुपए
नमक का पैकेट   10 स्युगर  110 रुपए


 
 

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