इलेक्शन डॉयरीः लाल बहादुर शास्त्री ने हरित क्रांति से बदली खेती की तस्वीर

Edited By Pardeep,Updated: 08 Apr, 2019 05:44 AM

lal bahadur shastri a picture of farming replaced by green revolution

जब 1964 में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का निधन हुआ और लाल बहादुर शास्त्री देश के नए प्रधानमंत्री बने तो देश अकाल जैसी चुनौतियों से जूझ रहा था। इसके लिए लंबी अवधि की योजना और जमीनी स्तर पर काम करने की जरूरत थी। देश में अनाज के संकट को...

नेशनल डेस्क(नरेश कुमार): जब 1964 में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का निधन हुआ और लाल बहादुर शास्त्री देश के नए प्रधानमंत्री बने तो देश अकाल जैसी चुनौतियों से जूझ रहा था। इसके लिए लंबी अवधि की योजना और जमीनी स्तर पर काम करने की जरूरत थी। 
PunjabKesari
देश में अनाज के संकट को कम करने के लिए एक तरफ प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दे रहे थे और दूसरी तरफ इस संकट का पक्का हल निकालने के लिए हरित क्रांति जैसी बड़ी योजना पर काम हो रहा था। देश में अकाल की ऐसी हालत में लाल बहादुर शास्त्री ने किसानों को प्रेरित करने के लिए खुद हल भी चलाया था हालांकि उस समय तक देश में सिंचाई के लिए नहरी नैटवर्क पर काफी काम हो चुका था लेकिन इसके बावजूद हमारे पास ऐसे बीज नहीं थे जिनसे उत्पादन क्षमता बढ़े और देश में खाने लायक अनाज की कमी न हो। 
PunjabKesari
उस समय भारत अमरीका के शीतकालीन गेहूं के बीज का इस्तेमाल कर रहा था और ये बीज हमारी जलवायु में अच्छा परिणाम नहीं देते थे। इस बीच पहले वल्र्ड एग्रीकल्चर प्राइस से सम्मानित भारतीय कृषि वैज्ञानिक एम.एस. स्वामीनाथन ने उस दौर में गेहूं के बीजों पर काम कर रहे कृषि वैज्ञानिक नॉर्मन बोरलॉग से संपर्क किया और उन्हें भारत के लिए अर्ध बोने गेहूं के बीज देने की गुजारिश की। मैक्सिको के कृषि वैज्ञानिकों की टीम 1963 में भारत के दौरे पर आई और उत्तर भारत में परीक्षण के दौरान यह सामने आया कि ये बीज भारतीय जलवायु में भी पहले से बीजी जा रही गेहूं के मुकाबले दो से अढ़ाई गुना का उत्पादन कर रहे थे। 
PunjabKesari
ऐसे में अब बीज के आयात पर फैसला राजनीतिक लीडरशिप को लेना था और लाल बहादुर शास्त्री ने मैक्सिको से गेहूं की नई किस्म के बीज को आयात करने का बड़ा फैसला लिया। लंबी अवधि में इसका फायदा यह हुआ कि बोन गेहूं का रकबा 1964 के चार हजार हैक्टेयर से बढ़ कर 1970 में 40 लाख हैक्टेयर हो गया और 1968 में देश का गेहूं उत्पादन 170 लाख टन हो गया जबकि 1964 में यह 120 लाख टन था। शास्त्री जी के एक फैसले से देश में गेहूं का उत्पादन 4 साल में 50 लाख टन बढ़ गया था।
       

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!