Edited By Yaspal,Updated: 28 Mar, 2023 06:28 PM

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि देश में सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने के लिए नफरती भाषण का त्याग करना मूलभूत आवश्यकता है
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि देश में सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने के लिए नफरती भाषण का त्याग करना मूलभूत आवश्यकता है। जस्टिस के. एम. जोसेफ और जस्टिस बी. वी. नागरत्ना की पीठ ने नफरती भाषण के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। पीठ ने मौखिक टिप्पणी की, ‘‘सांप्रदायिक सद्भाव कायम रखने के लिए नफरती भाषण का त्याग करना मूलभूत आवश्यकता है।"
पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सवाल किया कि ऐसे मामलों में प्राथमिकी के अनुसार क्या कार्रवाई की गई है, क्योंकि केवल शिकायत दर्ज करने से इस समस्या का समाधान नहीं होने वाला है। मेहता ने अदालत को बताया कि नफरती भाषणों के संबंध में 18 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। मेहता और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के. एम. नटराज की आपत्ति के बावजूद यह मामला बुधवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 21 अक्टूबर को कहा था कि संविधान के अनुसार भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। इसके साथ ही अदालत ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सरकारों को नफरती भाषणों के मामलों में सख्त कार्रवाई करने और शिकायत की प्रतीक्षा किए बिना दोषियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करने का निर्देश दिया था। अदालत ने चेतावनी भी दी थी कि इस "अत्यंत गंभीर मुद्दे" पर कार्रवाई करने में प्रशासन की ओर से देरी पर अदालत की अवमानना कार्यवाही शुरू की जा सकती है।