महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश को मोदी कैबिनेट ने दी मंजूरी, भड़की शिवसेना

Edited By Seema Sharma,Updated: 12 Nov, 2019 03:31 PM

modi cabinet approves imposition of president rule in maharashtra

महाराष्ट्र में सियासी उथल-पुथल के बीच मोदी कैबिनेट ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की की सिफारिश पर मुहर लगा दी है। सूत्रों के मुताबिक मोदी कैबिनेट में महाराष्ट्र के राज्यपाल की उस सिफारिश को मंजूरी दे दी गई जिसमें उन्होंने राष्ट्रपति शासन...

महाराष्ट्र: महाराष्ट्र में सियासी उथल-पुथल के बीच मोदी कैबिनेट ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश पर मुहर लगा दी है। सूत्रों के मुताबिक मोदी कैबिनेट में महाराष्ट्र के राज्यपाल की उस सिफारिश को मंजूरी दे दी गई जिसमें उन्होंने राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्राजील यात्रा पर रवाना होने से पहले कैबिनेट की बैठक की और महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन पर मुहर लगाई। इसी बीच शिवसेना महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की खबर से भड़क गई। शिवसेना ने कहा कि राज्यपाल ने भाजपा को 48 घंटे दिए जबकि हमें 24। वहीं शिवसेना सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है। उद्धव ठाकरे ने कपिल सिब्बल से इस संबंधी बात भी की। दूसरी तरफ कांग्रेस ने भी राज्यपाल की सिफारिस पर सवाल उठाए और कहा कि वे इतनी जल्दी में क्यों हैं।

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दूसरी तरफ कांग्रेस ने अभी तक शिवसेना के साथ सरकार बनाने को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं। महाराष्ट्र में हां और ना के फेर में सरकार बनने का फैसला अधर में लटका हुआ है। मुख्यमंत्री पद के लिए भाजपा से किनारा करने वाली शिवसेना महाराष्ट्र में सरकार बनाने से फिलहाल चूक गई। शिवसेना सोमवार को राज्यपाल के दिए तय समय सीमा से पहले कांग्रेस और राकांपा का समर्थन पत्र हासिल नहीं कर सकी।

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शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे व आदित्य ठाकरे ने राज्यपाल से 2 दिन का समय मांगा लेकिन राज्यपाल ने समय देने से इंकार कर दिया। वहीं राज्यपाल ने राकांपा को न्यौता देकर मंगलवार रात 8 बजे तक बहुमत संख्या दिखाने का समय दिया। इस पर राकांपा प्रमुख शरद पवार ने राज्यपाल से मुलाकात कर कहा कि हम सहयोगी से बात कर जवाब देंगे। वहीं अगर एनसीपी 24 घंटे में समर्थन नहीं जुटा पाती है तो राज्य में राष्ट्रपति शासन के आसार बढ़ सकते हैं।

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ड्राइविंग सीट पर राकांपा

राज्यपाल ने अब राकांपा को समर्थन साबित करने का न्यौता दिया है। कांग्रेस उसे बिना शर्त समर्थन दे सकती है। सबसे आसान रास्ता है कि राकांपा मुख्यमंत्री पद के लिए ठाकरे परिवार से किसी का नाम आगे बढ़ा दे। मगर अब तक कभी ऐसा नहीं हुआ है कि जिसे न्यौता दिया हो उसने सी.एम. के लिए दूसरे दल के नेता का नाम आगे बढ़ाया हो।

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किंगमेकर की भूमिका में शिवसेना
राकांपा और कांग्रेस मिलकर सरकार बनाएं और इसे समर्थन देकर शिवसेना किंगमेकर की भूमिका में आ सकती है, मगर इसकी संभावना नगण्य है। अगर उसे बैकसीट पसंद होती तो वह भाजपा के साथ बेहतर भूमिका में सरकार बना सकती थी। यह तभी संभव है जब शिवसेना हर हाल में राष्ट्रपति शासन को रोकना चाहे और भाजपा को नीचा दिखाना चाहे।

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धैर्य के फल पर भाजपा की नजर
कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना के जीतकर आए विधायक सरकार न बनने से असंतुष्ट होंगे। उन्हें पार्टियां ज्यादा समय तक संभाल कर नहीं रख पाएंगी। फिलहाल राष्ट्रपति शासन और कुछ महीनों में पर्याप्त बहुमत जुट जाने पर भाजपा पूरे धैर्य से सरकार बनाने पर काम कर सकती है।

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राष्ट्रपति शासन और मध्यावधि चुनाव
चारों प्रमुख दलों के समर्थन जुटा पाने में नाकाम रहने पर राज्यपाल राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा कर सकते हैं। यह 6 महीने के लिए होगा। केंद्र सरकार चाहे तो इसकी अवधि और बढ़ाई जा सकती है। इस समय के दौरान किसी भी दल के समर्थन न जुटा पाने पर मध्यावधि चुनाव हो सकते हैं।

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