न्यूजीलैंड में प्लास्टिक बैग पर लगा बैन

Edited By Tanuja,Updated: 02 Jul, 2019 04:24 PM

new zealand imposes ban on plastic bags

प्लास्टिक प्रदूषण पूरे विश्व के लिए चिंता का विषय बन गया है। इसी के मद्देनजर सोमवार को न्यूजीलैंड ने आधिकारिक तौर पर खुदरा विक्रेताओं के लिए ...

वेलिंगटनः प्लास्टिक प्रदूषण पूरे विश्व के लिए चिंता का विषय बन गया है। इसी के मद्देनजर सोमवार को न्यूजीलैंड ने आधिकारिक तौर पर खुदरा विक्रेताओं के लिए प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगा दिया है। न्यूजीलैंड के आधिकारी ने कहा कि बैन के बावजूद प्लास्टिक शॉपिंग बैग का प्रयोग करने वाले व्यवसायियों व प्लास्टिक उत्पादक कंपनियों को भारी जुर्माना लगाया जाएगा। इसमें एक लाख न्यूजीलैंड डॉलर तक का जुर्माना शामिल है।

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बता दे कि प्लास्टिक की वजह से एक लाख पक्षी और एक लाख से अधिक समुद्री स्तनधारी घायल हो चुके हैं, हर साल पैकेजिंग में उलझ जाते हैं या खाद्य श्रृंखला के माध्यम से इसे नुकसान पहुंचाते हैं। पर्यावरण मंत्री यूजनी सेज ने कहा कि न्यूजीलैंड के लोगों को देश की स्व्चछता, हरित प्रतिष्ठा पर गर्व होना चाहिए इसेकायम रखने में सहयोग देना चाहिए । उन्होंने कहा कि इस कानून को पिछले साल अगस्त में घोषित किया गया था, जिसे सोमवार से लागू कर दिया गया। मालूम हो कि न्यूजीलैंड के प्रमुख सुपरमार्केट पहले ही स्वैच्छिक रूप से बैग पर प्रतिबंध लगा चुके हैं।

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 भारत की स्थिति बेहद गंभीर 
इस मामले में भारत की स्थिति बेहद गंभीर है। भारत में बेशक अब तक बीस राज्यों में प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है लेकिन एक अनुमान के मुताबिक यहां  हर साल 5.6 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है। देश के 60 फीसदी प्लास्टिक कचरे को दुनिया के महासागरों में फेंक दिया जाता है। एनवायरमेंट साइंस एंड टेक्नोलॉजी के अनुसार दुनिया की दस नदियों में से तीन नदियां जो महासागरों में 90 फीसदी प्लास्टिक ले जाती हैं, उसमें भारत के तीन प्रमुख नदी सिंधु, गंगा और ब्रम्हपुत्र हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड( CPCB) ने जनवरी 2015 की आकलन रिपोर्ट में कहा था कि भारतीय शहर हर दिन 15 हजार टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न करते हैं।

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यह कचरा 10 प्रति टन पर 1,500 ट्रक भरने के लिए पर्याप्त है । जिनमें से 9 हजार टन कचरा को एकत्र करके संसाधित किए जाता है। बता दें कि भारत में लगभग 60 फीसदी प्लास्टिक कचरा मिश्रित अपशिष्ट है जिसमें पॉलीबैग और पाउच का उपयोग भोजन पैक करने के लिए किया जाता है। इसमें मुख्य रूप से सबसे ज्यादा आवासीय इलाकों में मिलता है। मई 2012 में सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीश न्यायमूर्ति सिंघवी और न्यायमूर्ति मुखोपाध्याय ने कहा था कि जब तक कि प्लास्टिक पर पूर्ण रुप से प्रतिबंध नहीं लगाया जाता है, तब तक अगली पीढ़ी को परमाणु बम से अधिक गंभीर खतरा कचरा से ही है।

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