Edited By prachi upadhyay,Updated: 15 Aug, 2019 02:26 PM
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से तिरंगा लहराकर उसे नमन किया। वहीं हर साल गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रपति राजपथ पर तिरंगा फहराकर उसे नमन करते हैं। लेकिन क्या आप जानते है इन दोनों राष्ट्रीय समारोह में और उसमें तिरंगा...
नेशनल डेस्क: स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से तिरंगा लहराकर उसे नमन किया। वहीं हर साल गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रपति राजपथ पर तिरंगा फहराकर उसे नमन करते हैं। लेकिन क्या आप जानते है इन दोनों राष्ट्रीय समारोह में और उसमें तिरंगा फहराने के बीच का अंतर क्या हैं।
पहला अतंर
15 अगस्त के मौके पर झंडे को नीचे रस्सी के द्वारा खींचकर ऊपर लाया जाता है। फिर खोलकर उसे फहराया जाता है। इस प्रक्रिया को ‘ध्वजारोहण’ कहा जाता है। 15 अगस्त 1947 के मौके पर प्रधानमंत्री नेहरू ने ऐसा किया था। उसी ऐतिहासिक घटना को सम्मान देते हुए हर साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ध्वजारोहण किया जाता है। अंग्रेजी में इसे फ्लैग होइस्टिंग कहते हैं।
वहीं 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस के मौके पर झंडा ऊपर ही बंधा रहता है। जिसे राष्ट्रपति खोलकर फहराते है। संविधान में इसे फ्लैग अनर्फ्लरिंग कहते हैं।
दूसरा अंतर
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश के प्रधानमंत्री जो कि केंद्र सरकार के प्रमुख होते है। वो घ्वजारोहण करते हैं। क्योंकि स्वतंत्रता दिवस के दिन भारत का संविधान लागू नहीं हुआ था। और राष्ट्रपति जो कि राष्ट्र के संवैधानिक प्रमुख होते हैं, उन्होने पदभार ग्रहण नहीं किया था।
वहीं 26 जनवरी देश का संविधान लागू होने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। ऐसे में देश के संवैधानिक प्रमुख होने के नाते राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं।
तीसरा अंतर
स्वतंत्रता दिवस समारोह का आयोजन लाल किले पर ही किया जाता है। जहां प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से संबोधन करते हैं। दरअसल, 15 अगस्त 1947 को जब देश आजाद हुआ तो भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने दिल्ली के लाल किला स्थिति लाहौरी गेट के ऊपर से ही ध्वजारोहण करके देश को संबोधित किया था।
वहीं 26 जनवरी 1950 को आजाद भारत का संविधान लागू हुआ था और पहले गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन राजपथ पर किया गया था। जिसके बाद राजपथ पर ही गणतंत्र दिवस का आयोजन होता है। हालांकि बीच के कुछ वर्षों में गणतंत्र दिवस का आयोजन कुछ अलग जगहों पर भी किया गया था।
चौथा अंतर
15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हैं। जबकि इसकी पूर्व संध्या पर मतलब 14 अगस्त की शाम को राष्ट्रपति राष्ट्र के नाम अपना संदेश देते हैं।
वहीं 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस के मौके पर किसी का संबोधन नहीं होता है।
पांचवा अंतर
15 अगस्त के मौके पर लाल किले पर ध्वजारोहण और पीएम के संबोधन होता है। वहीं देश के कई हिस्सों में भी ध्वजारोहण का कार्यक्रम होता है।
वहीं गणतंत्र दिवस के मौके पर सैनिकों, अर्धसैनिक बलों, राज्यों आदि की काफी लंबी परेड होती है। जिसमें दिलकश झाकियां और रंगारंग कार्यक्रम को भी शामिल किया जाता है। गणतंत्र दिवस समारोह के जरिए देश जल, थल और नभ में अपनी सैन्य ताकत और संस्कृति का प्रदर्शन करता है। कार्यक्रम में दौरान राष्ट्रपति इन सभी झांकियों और परेड की सलामी लेते हैं।