Edited By Yaspal,Updated: 16 Sep, 2021 07:41 PM
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी आज हरियाणा के सोहना में थे। गडकरी दिल्ली-मुंबई हाइवे का निरीक्षण करने के लिए पहुंचे थे। यहां अपने संबोधन में उन्होंने सालों बाद एक बड़ा राज खोला। उन्होंने बताया, ''मेरी नई-नई शादी हुई थी तो रामटेक में मेरे ससुर का घर सड़क...
नेशनल डेस्कः केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी आज हरियाणा के सोहना में थे। गडकरी दिल्ली-मुंबई हाइवे का निरीक्षण करने के लिए पहुंचे थे। यहां अपने संबोधन में उन्होंने सालों बाद एक बड़ा राज खोला। उन्होंने बताया, 'मेरी नई-नई शादी हुई थी तो रामटेक में मेरे ससुर का घर सड़क के बीचोंबीच आ रहा था। यह समस्या बड़ी थी। लोगों के आवागमन में मुश्किल आ रही थी।' इस धर्म संकट में गडकरी ने अपना फर्ज निभाते हुए पत्नी को बिना बताए ससुर के घर पर बुलडोजर चलवा दिया था। यह गडकरी के काम करने की शैली है, वे हर मुश्किल को चुनौती की तरह लेते हैं और फिर जनहित को प्राथमिकता में रखते हुए फैसला लेते हैं।
सड़क बनानी है.... पर किसानों से बोले- मत बेचो
सड़क निर्माण में किसानों से जमीन लेनी होती है। गडकरी ने किसानों को खुद सलाह दे डाली कि वे अपनी जमीनें न बेचें। इसकी बजाय उन्होंने ज्यादा लाभ लेने का तरीका सुझाया। गुरुवार को एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि किसान धनवान बनें। पर जब हम रोड बनाते हैं तो बिल्डर और डिवेलपर जमीन खरीद लेते हैं और फिर रेट बढ़ते हैं तो फायदा उनका होता है।
खुलेआम हो जाते हैं गुस्सा
गडकरी वक्त के कितने पाबंद और काम के पक्के हैं कि खुलेआम अधिकारियों पर बरस पड़ते हैं। पिछले साल की ऐसी ही एक घटना है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की तरफ से बनाई एक बिल्डिंग में काफी देरी हो गई थी। गडकरी ने तंज भरे लहजे में कहा, 'जिन महान हस्तियों ने 2011 से लेकर 2020 तक इस पर काम किया है, संभव हो तो उन चेयरमैन, सीजीएम और जीएम का फोटो इस ऑफिस में लगा लेना। इन्होंने बिल्डिंग बनाने में नौ साल की देरी की है तो इनका इतिहास भी सामने आना चाहिए।'
गडकरी ने आगे कहा, '80 हजार से 1 लाख करोड़ का दिल्ली-मुंबई हाइवे 2 साल में पूरा होगा। 1 लाख करोड़ के काम में अगर 3-3.5 साल लगेंगे और 200 करोड़ रुपये के काम के लिए 10 साल लगाए तो ये अभिनंदन करने वाली बात तो नहीं है। मुझे इस बात की शर्म आती है।' गडकरी सीजीएम और जीएम को नालायक, निकम्मा भी कह गए जबकि अक्सर ऐसा देखा जाता है कि मंत्री अपने विभाग के अंदर की खामियों को सामने नहीं लाते हैं।