Edited By Utsav Singh,Updated: 04 May, 2024 05:07 PM
कांग्रेस के नेता शशि थरूर ने कहा है कि एक साथ या एक-दूसरे के खिलाफ प्रचार कर रहे विपक्षी दल लोकसभा चुनाव के बाद साथ आ जाएंगे और ‘इंडिया' गठबंधन की सरकार में लोगों को ऐसा प्रधानमंत्री मिलेगा, जो सबको समान भाव से देखता हो और दूसरों की बात सुनता हो।
नई दिल्ली : कांग्रेस के नेता शशि थरूर ने कहा है कि एक साथ या एक-दूसरे के खिलाफ प्रचार कर रहे विपक्षी दल लोकसभा चुनाव के बाद साथ आ जाएंगे और ‘इंडिया' गठबंधन की सरकार में लोगों को ऐसा प्रधानमंत्री मिलेगा, जो सबको समान भाव से देखता हो और दूसरों की बात सुनता हो। थरूर ने समाचार एजेंसी ‘पीटीआई' के मुख्यालय में संपादकों के साथ बातचीत में 4 जून को मतगणना के बाद विपक्षी दलों के एकजुट होने के बारे में अपनी बात में तृणमूल कांग्रेस को शामिल करते हुए कहा कि गठबंधन सरकार को लेकर डरने की कोई बात नहीं है। उन्होंने कहा, “एकदलीय सरकारों की तुलना में ऐसी (गठबंधन) सरकारों का भारतीय अर्थव्यवस्था की आर्थिक संवृद्धि दर के मामले में प्रदर्शन बेहतर रहा है।”
परिवर्तन का चुनाव है और BJP ने अपनी पकड़ खो दी है
थरूर ने कहा कि यह "परिवर्तन" का चुनाव है और भाजपा ने विमर्श पर अपनी “पकड़ खो दी है।” कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य थरूर ने अयोध्या में राम मंदिर 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह में शामिल नहीं होने के पार्टी के फैसले का भी बचाव किया और कहा कि निमंत्रण को अस्वीकार करना सही था क्योंकि यह “प्रधानमंत्री मोदी के जोर-शोर से महिमामंडन के लिए एक राजनीतिक मंच था।” बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, “मेरे विचार से अगर हमने ऐसा किया होता, तो यह एक गलती होती। एक विशुद्ध राजनीतिक फैसले के तौर पर देखें, तो यह सही निर्णय था।” थरूर ने कहा कि यह सच है कि गठबंधन सरकार एकदलीय सरकार से बहुत अलग तरह से काम करती है। उन्होंने कहा, “मोदी की शैली, उनके व्यक्तित्व और भाजपा के शासन के तरीके को देखते हुए, मुझे लगता है कि यह कहना उचित होगा कि यह (इंडिया गठबंधन की सरकार) बीते 10 वर्ष की इस सरकार से बहुत अलग होगी।”
गठबंधन सरकारों के साथ जनता का अनुभव काफी अच्छा
उन्होंने विश्वास जताया कि इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इंक्लूसिव अलायंस (इंडिया) गठबंधन अगली सरकार बनाएगा। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गठबंधन सरकारों के साथ भारत की जनता का रिकॉर्ड और अनुभव काफी अच्छा रहा है। थरूर ने कहा, "गठबंधन सरकार का एक लाभ यह होगा कि जो भी प्रधानमंत्री बनेगा वह निरंकुश प्रवृत्ति का नहीं होगा... उसे दूसरों को ध्यान में रखना होगा। सच कहूं तो, संसदीय प्रणाली शासन का उत्कृष्ट राजनीतिक सिद्धांत है , जिसे हमने अपनाया है। लेकिन अभी हम ऐसी संसदीय प्रणाली देख रहे हैं, जिसे राष्ट्रपति प्रणाली की तरह चलाया जा रहा है, जो दोनों प्रणालियों का सबसे बुरा रूप है।” उन्होंने कहा, “यदि इंडिया गठबंधन की सरकार बनी, तो आप लंबे समय के बाद आप ऐसा प्रधानमंत्री देखेंगे, जो सबको समान भाव से देखता हो, दूसरों की बात सुनता हो, उनकी बात पर गौर करता हो और अच्छा प्रबंधक हो।”
अटल बिहारी वाजपेयी के गठबंधन में 26 पार्टियां थी
उन्होंने कहा, “ (अटल बिहारी) वाजपेयी को कई मायनों में सर्वसम्मति कायम करने वाले व्यक्ति की एक उत्कृष्ट मिसाल के तौर पर देखा जाता है। उनके पास बहुमत नहीं था, इसके अलावा... उनके गठबंधन में 26 पार्टियां थीं, लेकिन उनकी सरकार प्रभावी तरीके से काम कर पाई, साथ ही उन्होंने भारतीयों को आश्वस्त किया कि उनके पास एक ऐसी सरकार है, जो काम कर रही है।” लेखक और नेता थरूर ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की शासन शैली की भी सराहना की और कहा कि वह अपने आर्थिक लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में "निरंतर" आगे बढ़े और भारत के अब तक के सबसे अच्छे विकास काल के अगुवा रहे। संप्रग-1 गठबंधन के टूटने, वाम दलों के समर्थन वापस लेने और संप्रग-2 का हिस्सा नहीं बनने पर बात करते हुए थरूर ने कहा कि हमेशा कोई ऐसा मुद्दा होता है जिसको लेकर एक प्रधानमंत्री को अपनी सरकार में शामिल एक या अधिक दलों के लिए सीमा रेखा खींचनी पड़ सकती है।
गठबंधन सरकार को लेकर डरने की कोई बात नहीं
थरूर ने कहा, “मुझे लगता है... गठबंधन सरकार को लेकर डरने की कोई बात नहीं है। मैंने जिन मतदाताओं से बात की, उनमें से अधिकतर की सोच थी कि मैं जिस उम्मीदवार को वोट दे रहा हूं वह कौन है, वह किन मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है, उसके जीतने से दिल्ली में किसकी सरकार बनेगी और वह सरकार कैसे काम करेगी।” केरल में कांग्रेस और वाम दलों के बीच टकराव को लेकर ‘इंडिया' गठबंधन में उपजे विरोधाभासों और इससे गठबंधन सरकार के गठन में बाधा आने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर थरूर ने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) और उससे पहले वाजपेयी के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) भी तो चुनाव के बाद बना था। उन्होंने कहा, "सच्चाई यह है कि हमारे देश में गठबंधन चुनाव के बाद बनते हैं... यह एक असामान्य मामला है, जिसमें मतदान से पहले ही लोगों को एक साथ लाने का गंभीर प्रयास किया गया। हम सभी इस बात को लेकर स्पष्ट थे कि गठबंधन अलग-अलग राज्य के आधार पर काम करेगा।”
पहले चरण के मतदान से पहले ही “अहंकारी विमर्श” खत्म
केरल का उदाहरण देते हुए थरूर ने कहा कि यह अकल्पनीय था कि राज्य में यूडीएफ का नेतृत्व करने वाली कांग्रेस और एलडीएफ का नेतृत्व करने वाले वामपंथी कभी साथ आएंगे। उन्होंने कहा, "हम पिछले 55 वर्ष से एक-दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं, आमने-सामने रहे हैं और पिछले चुनाव तक बारी-बारी से सत्ता में रहे, इसलिए इसके व्यवहार्य होने का कोई सवाल ही नहीं था। केरल के पड़ोसी राज्य तमिलनाडु में वही दल माकपा, भाकपा, मुस्लिम लीग और द्रमुक हमारे साझेदार हैं और रहेंगे। इसमें कोई समस्या नहीं है।” उन्होंने कहा, “मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि 4 जून को मतगणना के दिन तृणमूल समेत ये सभी दल, चाहे वे एक साथ या एक-दूसरे के खिलाफ प्रचार कर रहे हों, नतीजे हमारे पक्ष में आने पर भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए साथ आ जाएंगे।”
थरूर ने कहा कि कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करने वाली पार्टियों में उनके दोस्त हैं, जो उनसे कह रहे हैं कि 4 जून के बाद "हम साथ मिलकर काम करेंगे"। थरूर के अनुसार, पहले चरण के मतदान से पहले ही “अहंकारी विमर्श” खत्म हो चुका था। कांग्रेस नेता ने कहा, "मुझे नहीं लगता कि हम आने वाले कुछ समय तक लोगों को दोबारा 'अबकी बार 400 पार' कहते हुए सुन पाएंगे।"