Edited By vasudha,Updated: 04 May, 2018 02:14 PM
प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस(POCSO) में संशोधन को हरी झंडी देने के बाद केंद्र सरकार बलात्कारियों की सजा को लेकर एक बार फिर विचार कर रही है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने बच्चों के साथ रेप करने वालों को नपुंसक बनाए जाने संबंधी याचिका को...
नेशनल डेस्क: प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस(POCSO) में संशोधन को हरी झंडी देने के बाद केंद्र सरकार बलात्कारियों की सजा को लेकर एक बार फिर विचार कर रही है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने बच्चों के साथ रेप करने वालों को नपुंसक बनाए जाने संबंधी याचिका को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को भेजा है।
महिला वकीलों ने उठाई मांग
दरअसल नाबालिगों के खिलाफ यौन शोषण की बढ़ती वारदातों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट की महिला वकीलों ने मांग की है कि फांसी की सजा के साथ-साथ रेप के दोषियों के लिए रासायनिक तौर पर नपुंसक बनाए जाने की सजा का प्रावधान भी बनाया जाए। प्रधानमंत्री कार्यालय ने महिला वकीलों की इस याचिका को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को भेजकर इस पर उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
रेप और यौन शोषण के बढ़े मामले
सुप्रीम कोर्ट की महिला वकीलों के संगठन SCWLA की ओर से भेजी गई याचिका में कहा गया कि बच्चों के खिलाफ रेप और यौन शोषण के मामलों में बेहद तेजी से बढ़ोतरी हुई है। इसलिए इस संबंध में उचित कानून की तत्काल जरूरत है। याचिका में लिखा गया कि कोई भी कानून बनाना विधायिका के अधिकार क्षेत्र में आता है। इसलिए हमारी प्रार्थना है कि संसद बच्चों के साथ रेप और यौन शोषण के मामलों में मौत की सजा और नपुंसक बनाए जाने के कानून पर गंभीरतापूर्वक और जल्द से जल्द विचार करे।
POCSO एक्ट में संशोधन को मंजूरी
प्रधानमंत्री कार्यालय ने इसके जवाब में कहा कि इस प्रार्थना पत्र को उचित कार्यवाही के लिए आगे फॉरवर्ड कर दिया गया है। जल्द ही इस संबंध में जवाब भेज दिया जाएगा। बता दें कि जम्मू के कठुआ और उत्तर प्रदेश के एटा में नाबालिग बच्चियों के साथ रेप की घटनाओं ने देश को झकझोर कर रख दिया। जिसके बाद सरकार ने नाबालिग बच्चियों से रेप करने वालों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान करने का फैसला लिया गया था। POCSO एक्ट में संशोधन को मंजूरी मिलने से 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से रेप के दोषियों को मौत की सजा दिए जाने का रास्ता साफ हो गया।