Edited By shukdev,Updated: 07 Jan, 2020 09:24 PM
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्रों एवं शिक्षकों पर हुए हमले में शामिल लोगों की पहचान के लिए दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा वीडियो फुटेज खंगाल रही है और सीसीटीवी कैमरों में कैद चेहरों को पहचानने के लिए सॉफ्टवेयर की भी मदद ले रही है। जेएनयू में हुई...
नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्रों एवं शिक्षकों पर हुए हमले में शामिल लोगों की पहचान के लिए दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा वीडियो फुटेज खंगाल रही है और सीसीटीवी कैमरों में कैद चेहरों को पहचानने के लिए सॉफ्टवेयर की भी मदद ले रही है। जेएनयू में हुई हिंसा को एक समूह ने अंजाम दिया था जिसमें से ज्यादातर लोग नकाबपोश थे। इस हिंसा के खिलाफ देश भर में प्रदर्शन हो रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि वीडियो फुटेज दिल्ली पुलिस के लिए मददगार साबित हो सकते हैं जिसने सॉफ्टवेयर के प्रयोग से चेहरों की पहचान शुरू कर दी है।
हाल ही में उत्तर प्रदेश पुलिस ने पिछले महीने संशोधित नागरकिता कानून के खिलाफ हुई हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान के लिए ‘नेत्र' सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया था। विश्वविद्यालय में हुए हमले को लेकर पुलिस हिंदू रक्षा दल के उस दावे की जांच भी कर रही है कि इस हिंसा में दल शामिल था। लेकिन पुलिस ने खुद को संगठन का प्रमुख बताने वाले भूपेंद्र तोमर उर्फ पिंकी चौधरी के दावों को निराधार बताकर फिलहाल खारिज कर दिया है। हालांकि अधिकारियों ने कहा कि उसके दावे को पूरी तरह खारिज करने से पहले पुलिस को कुछ समय चाहिए।
गौरतलब है कि जेएनयू परिसर में रविवार रात लाठियों और लोहे की छड़ों से लैस कुछ नकाबपोश लोगों ने परिसर में प्रवेश कर छात्रों तथा शिक्षकों पर हमला कर दिया था और परिसर में संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था। बाद में प्रशासन को पुलिस को बुलाना पड़ा। जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष सहित हमले में कम से कम 34 लोग घायल हो गए थे।