नीति आयोग ने कहा- कर्ज माफी से होगा किसानों के एक वर्ग का भला

Edited By Yaspal,Updated: 09 Dec, 2018 11:44 PM

policy commission said debt waiver will be good for a section of farmers

कृषि कर्ज को माफ करने की मांग के बीच नीति आयोग के सदस्य एवं कृषि नीति विशेषज्ञ रमेश चंद ने कहा कि वह इस तरह के कर्ज की माफी के पक्ष में नहीं हैं। चंद ने कहा कि कर्ज माफी से किसानों के...

नई दिल्लीः कृषि कर्ज को माफ करने की मांग के बीच नीति आयोग के सदस्य एवं कृषि नीति विशेषज्ञ रमेश चंद ने कहा कि वह इस तरह के कर्ज की माफी के पक्ष में नहीं हैं। चंद ने कहा कि कर्ज माफी से किसानों के सिर्फ एक वर्ग को फायदा होता है। देश में हाल के दिनों में किसानों के कई आंदोलन देखने को मिले हैं। किसान कर्ज माफ करने से लेकर चीनी मिलों द्वारा बकाये के भुगतान और फसलों के लिए ऊंचे मूल्य की मांग कर रहे हैं।

चंद ने कहा, ‘‘कर्ज माफी के साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि इससे किसानों के एक छोटे वर्ग को ही फायदा होता है। मैं कर्ज माफ करने के पक्ष में कतई नहीं हूं।’’ चंद पिछले 15 साल से नीति निर्माण से जुड़े हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ज्यादा गरीब राज्यों में सिर्फ 10 से 15 प्रतिशत किसानों को कर्ज माफी का लाभ मिलता है। ऐसे राज्यों में सीमित संख्या में ही किसानों को संस्थागत ऋण मिलता है।

स्वामीनाथन रिपोर्ट पर क्या कहा
स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने के बारे में पूछे जाने पर चंद ने कहा कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली राजग सरकार ने आयोग की ज्यादातर सिफारिशों को क्रियान्वित किया है। उन्होंने यह भी कहा कि किसी फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) एक सीमा से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता क्यों की ज्यादा वृद्धि से समाज के एक बड़े वर्ग के लिए खद्यान्न खरीदना मुश्किल हो जाएगा।

स्वामीनाथन समिति ने एमएसपी को सी 2 (उत्पादन लागत में जमीन का लगान और स्थायी पूंजी पर ब्याज को मिला कर) जमा 50 प्रतिशत के हिसाब से तय करने का सुझाव दिया है , जबकि सरकार ने इसके लिए ए2 प्लस एफएल (वास्तविक लागत तथा परिवार का श्रम) और ए2 जमा एफएल के ऊपर 50 प्रतिशत को अपनाया है। चंद ने कहा कि एमएसपी बढ़ाते समय मांग आपूर्ति कारकों का ध्यान रखा जाना चाहिए। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि देश का कृषि उत्पादन चालू वित्त वर्ष में करीब चार प्रतिशत बढ़ जाएगा।

कृषि वृद्धि दर पर क्या बोला नीति आयोग
कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 2016-17 में 6.3 प्रतिशत और 2017-18 में 3.4 प्रतिशत रही है। चंद ने कहा कि 2018-19 की दूसरी तिमाही में यह 3.8 प्रतिशत रही जो कृषि क्षेत्र के लिए खराब आंकड़ा नहीं है। उम्मीद है कि इस साल के अंत तक कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर बढ़कर चार प्रतिशत पर पहुंच जाएगी। यह पूछे जाने पर कि प्याज कीमतों में गिरावट क्यों आ रही है और किसानों को उनकी उपज का अच्छा मूल्य क्यों नहीं मिल रहा है, चंद ने कहा कि यदि आपके पास प्याज के लिए अच्छी भंडारण क्षमता नहीं है तो इस तरह की चीजें होंगी। उन्होंने कहा कि पिछले 10-15 साल में कृषि उत्पादन बढ़ रहा है लेकिन बाजार उस हिसाब से तैयार नहीं है। उत्पादन का नया परिदृश्य अतिरिक्त उत्पादन वाला है। बाजार को खुद को उस स्थिति के लिए तैयार करना होगा।       

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