प्रधान ने बेरोजगार, हुनर की कमी के लिए कांग्रेस नीति सरकारों की आलोचना की

Edited By jyoti choudhary,Updated: 27 Apr, 2018 07:31 PM

pradhan criticises previous congress led govts for unemployment lower skills

केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने युवाओं में बेरोजगारी और काम के हुनर में की कमी के लिए आज पूर्व कांग्रेस नीति सरकारों की आलोचना की। उन्होंने कहा कि जो लोग 3 पीढ़ी से सत्ता में रहे हैं, वे अब पूछ रहे हैं कि ‘‘मोदी जी रोजगार कहां हैं।

नई दिल्लीः केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने युवाओं में बेरोजगारी और काम के हुनर में की कमी के लिए आज पूर्व कांग्रेस नीति सरकारों की आलोचना की। उन्होंने कहा कि जो लोग 3 पीढ़ी से सत्ता में रहे हैं, वे अब पूछ रहे हैं कि ‘‘मोदी जी रोजगार कहां हैं।’’ उन्होंने यहां कौशल विकास तथा उद्यमिता पर राज्यों के मंत्रियों के सम्मेलन में कहा, ‘‘जिनकी तीन-तीन पीढियां सांसद रहीं, उनमें इस बात को लेकर नाराजगी है कि युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा।’’

प्रधान ने कहा, ‘‘उनकी पार्टी 7 दशक तक सत्ता में बनी रही। वे हमारी 48 महीनों की सेवा पर सवाल उठा रहे हैं। वे पूछे रहे हैं कि मोदी जी रोजगार कहा हैं। उनकी 3 पीढिय़ां, परदादा, दादी और पिता सत्ता में रहे। मां और बेटे विरासत संभल रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि रोजगार सृजन और कौशल विकास आरोप लगाने का विषय नहीं है बल्कि एक जिम्मेदारी है। कांग्रेस समेत विपक्षी दल यह आरोप लगाते हैं कि देश में रोजगार विहीन वृद्धि हो रही है।

नीति आयोग ने कहा कि इस साल फरवरी तक 6 महीने में 35.3 लाख नए रोजगार पाने वाले पंजीकृत (रोजगार सृजन) हुए। रोजगार विहीन वृद्धि पर आयोग ने कहा था ‘‘उम्मीद है कि यह आंकड़ा (पेरोल आंकड़ा) रोजगार विहीन वृद्धि को लेकर जारी चर्चा और आलोचनाओं पर विराम लगाएगा।’’ प्रधान ने राज्यों से सहयोग की अपील की ताकि कुशल कार्यकल का स्तर बढ़े। उन्होंने कहा कि अमेरिका में 100 प्रतिशत कुशल कामगार हैं जबकि जर्मनी, जापान और दक्षिण कोरिया में यह क्रमश: 95 प्रतिशत, 90 प्रतिशत तथा 86 प्रतिशत है। वहीं भारत में यह केवल 10 प्रतिशत है।

उन्होंने इस मौके पर आई.टी.आई. (औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान) पंजीकरण के लिए पोर्टल शुरू किया। प्रधान ने राज्यों से कौशल विकास कार्यक्रमों में सुधार के बारे में राज्यों को सुझाव देने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि केंद्र, राज्य तथा उद्योग संयुक्त रूप से हर साल 25,000 रुपए खर्च कर रहे हैं। इसमें स्कूल का खर्चा शामिल नहीं है।      

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