5% अधिक वोट लाना BJP के लिए इतना आसान भी नहीं

Edited By Anil dev,Updated: 06 Mar, 2019 11:09 AM

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पुलवामा हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक ने देश के साथ-साथ दिल्ली में भी भाजपा के प्रति मूड बदला है। यही कारण भी है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी से लेकर सांसद व विधायक सभी जोर-शोर से यह दावा करने से नहीं चूक रहे हैं कि इस बार पहले की अपेक्षा अधिक...

नई दिल्ली: (नवोदय टाइम्स): पुलवामा हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक ने देश के साथ-साथ दिल्ली में भी भाजपा के प्रति मूड बदला है। यही कारण भी है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी से लेकर सांसद व विधायक सभी जोर-शोर से यह दावा करने से नहीं चूक रहे हैं कि इस बार पहले की अपेक्षा अधिक अंतर से सातों सीटों पर काबिज होंगे। 

चुनाव के लिए शाह ने रखा लक्ष्य
राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने इस बार चुनाव के लिए 51 प्रतिशत वोट हासिल करने का लक्ष्य रखा है। लेकिन यह सवाल बरकरार है कि क्या यह अंतर उन सभी पुराने सांसदों के जरिए ही हासिल होगा या फिर कई नए चेहरे मैदान में उतरेंगे। भाजपा के लिए यह भी जानना आवश्यक है कि युवा का रुझान क्या वाकई भाजपा के प्रति बढ़ा है क्योंकि डूसू चुनाव में भाजपा के एबीवीपी संगठन को अध्यक्ष सहित तीन सीटें हासिल हुई हैं। लेकिन चुनाव के बाद हुई युवा रैली में छात्रों की कितनी भीड़ रही, यह जगजाहिर है जबकि करीब 11 लाख युवा वोटर दिल्ली की सातों संसदीय सीटों पर जीत-हार में महत्वपूर्ण भूमिका में होंगे। यही छात्र नए वोटरों के रूप में पहली बार वोट देंगे। 

2014 के चुनाव में भाजपा को मिला था 46.40 प्रतिशत वोट
आंकड़ों की बात करें तो 2014 के चुनाव में भाजपा को 46.40 प्रतिशत वोट मिला था जबकि कांग्रेस के खाते में महज 15.10 प्रतिशत वोट ही आए थे। आप ने 32 फीसदी से अधिक वोट प्राप्त किए थे।  ऐसे में देखा जाए तो निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति के लिए महज 5 फीसदी वोट ही इस बार अधिक जुटाने हैं। इसके लिए युवा विजय संकल्प रैली, दलित महासम्मेलन, महिला सम्मेलन सहित खिचड़ी पकाने जैसे कार्यक्रम का आयोजन भाजपा ने पिछले दिनों किया है। इसके बाद भी यह लक्ष्य साधना भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण है। क्योंकि भाजपा लाख प्रयास के बाद भी अब तक आपसी भीतरघात से पार नहीं पा सकी है। 

युवा विजय संकल्प रैली की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं 
नौबत यह है कि लोकसभा चुनाव प्रभारी बनाई गई केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने ही बैठक में एक-दूसरे नेता के खिलाफ और संगठन में कार्यकर्ताओं की अनदेखी को लेकर की गई बातों को सुनने के बाद उन्हें बोलना पड़ा कि भाजपा में कुछ नहीं बदला, जो स्थिति 2014 के चुनाव के समय थी, वही अब भी है। उनका संकेत साफ था कि आपस में कटुता और भीतरघात की स्थिति अब भी बरकरार है। युवा विजय संकल्प रैली की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है, जिसमें दावे के विपरीत गिनती भर लोग ही रामलीला मैदान में डटे हुए दिखे। जबकि भाजपा ने 25 हजार से अधिक संख्या पहुंचने का दावा किया था। इसी प्रकार अन्य कई कार्यक्रम में भी भाजपा के दावे के विपरीत आयोजन में लोगों की संख्या बेहद कम रही। 

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने किया दावा
पार्टी सूत्रों की मानें तो बड़े आयोजन के दौरान कई बार मुख्य अतिथि के देरी से पहुंचने के कारण भी लोगों की संख्या कम हो जाती है। इस पर पार्टी ध्यान दे रही है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने दावा किया है कि इस बार पार्टी पिछले चुनावों की अपेक्षा और भी बड़े अंतर से सातों सीटों पर विजयी होगी। भाजपा पदाधिकारियों की मानें तो लोग इस बार फिर से नरेंद्र मोदी को ही प्रधानमंत्री बनते देखना चाहते हैं, लेकिन क्या उसके लिए पार्टी दिल्ली में भी वही पैंतरा अपनाएगी जिसे उन्होंने एमसीडी चुनाव में अपनाया था। क्योंकि पार्टी ने नमो अगेन विजय संकल्प को हासिल करने के लिए साफ संकेत भी दिया है कि पुराने अनुभवी कार्यकर्ताओं का लाभ लेने से पार्टी इस बार नहीं चूकेगी। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस आलाकमान के मना करने के बाद भी आप के साथ गठबंधन को लेकर चर्चाएं कायम हैं।  

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